- 18/07/2025
छत्तीसगढ़ में 30 मुस्लिम परिवारों का सामाजिक बहिष्कार, फतवा किया जारी, मस्जिद-कब्रिस्तान जाने पर लगाई रोक

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के राजिम में 30 मुस्लिम परिवारों को इतेहाद कमेटी (राजिम) द्वारा सामाजिक रूप से बेदखल किए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। पीड़ित परिवारों ने आरोप लगाया है कि कमेटी के अध्यक्ष अल्तमश सिद्दकी और उनके साथी सम्बीर रिजवी ने उन्हें शिया समुदाय का बताकर फतवा जारी किया, जिसके चलते 2021 से वे सामाजिक कार्यक्रमों, मस्जिद और कब्रिस्तान में प्रवेश से वंचित हैं। पीड़ितों ने गुरुवार को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज से शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है।
पीड़ितों का आरोप: फतवे से सामाजिक बहिष्कार
पीड़ित परिवारों ने छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड कार्यालय पहुंचकर बताया कि वे सुन्नी समुदाय से हैं, लेकिन इतेहाद कमेटी के अध्यक्ष अल्तमश सिद्दकी और सम्बीर रिजवी ने उन्हें शिया समुदाय का बताकर 2021 से सामाजिक बहिष्कार करवा दिया। पीड़ितों का कहना है कि समाज के लोग उनके साथ दावत, रिश्ते, और सलाम-दुआ तक नहीं करते। मस्जिद और कब्रिस्तान में जाने पर भी रोक लगा दी गई है।
मौलाना सैय्यद मोहम्मद अशरफ ने बताया कि सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होने पर उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। उन्होंने कहा, “लखेर बिरादरी और मनियार समाज गरियाबंद की जमात ने मुतवल्ली की शिकायत की थी। मैंने पीड़ितों की मदद की, तो मुझे भी धमकाया जा रहा है।”
मोहम्मद शादिक वारसी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “मुतवल्ली के फतवे के कारण मेरा परिवार तनाव में है। इस तनाव के चलते मेरे भाई की मौत हो गई। हमने वक्फ बोर्ड से फतवा जारी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।”
इतेहाद कमेटी का जवाब
इतेहाद कमेटी के अध्यक्ष अल्तमश सिद्दकी ने आरोपों का जवाब देते हुए कहा, “शिया और सुन्नी समुदायों में मतभेद जगजाहिर हैं। कुछ सुन्नी लोग शिया समाज के नियमों का पालन कर रहे थे। उन्हें बार-बार समझाया गया, लेकिन वे नहीं माने। समाज ने मिलकर यह निर्णय लिया कि उन्हें सामाजिक गतिविधियों से अलग रखा जाए।”
वक्फ बोर्ड ने जारी की नोटिस
छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज ने इस मामले को गंभीर बताते हुए कहा, “दाढ़ी-टोपी की आड़ में कुछ लोग धर्म की ठेकेदारी कर रहे हैं। धर्मगुरु का काम समाज को जोड़ना है, तोड़ना नहीं।” उन्होंने इतेहाद कमेटी के मुतवल्ली और अध्यक्ष को नोटिस जारी करने और मामले की जांच करने का आदेश दिया है। डॉ. राज ने स्पष्ट किया, “समाज से बेदखल करना मुतवल्ली का अधिकार नहीं है। अगर फतवा जारी किया गया है, तो दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।”
मुख्यमंत्री से शिकायत
पीड़ित परिवारों ने गुरुवार को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से भी इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने सामाजिक बहिष्कार को समाप्त करने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गुहार लगाई। शिकायत में कहा गया कि यह फतवा न केवल उनके सामाजिक जीवन को प्रभावित कर रहा है, बल्कि उनके मानसिक और पारिवारिक जीवन पर भी गहरा असर डाल रहा है।
पुराना है विवाद
यह विवाद 2021 से चला आ रहा है, जब इतेहाद कमेटी ने कथित तौर पर इन 30 परिवारों को शिया समुदाय का बताकर सामाजिक बहिष्कार शुरू किया। पीड़ितों का कहना है कि यह बहिष्कार बिना किसी ठोस आधार के किया गया और इसका उद्देश्य उन्हें सामाजिक रूप से अलग-थलग करना है। लखेर बिरादरी और मनियार समाज ने इस मुद्दे को बार-बार उठाया, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।
आगे की कार्रवाई
वक्फ बोर्ड ने इस मामले में त्वरित जांच के आदेश दिए हैं। बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि शिकायतों की गहन पड़ताल की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। इस बीच, पीड़ित परिवारों ने पुलिस में भी शिकायत दर्ज करने की बात कही है। यह मामला छत्तीसगढ़ में सामाजिक और धार्मिक तनाव का कारण बन सकता है, जिसके चलते प्रशासन ने स्थिति पर नजर रखने की बात कही है।