• 22/09/2024

‘हे, बालाजी भगवन! क्षमा करें प्रभु’, तिरुपति लड्डू विवाद से आहत डिप्टी CM का ऐलान, 11 दिन रहेंगे उपवास पर

‘हे, बालाजी भगवन! क्षमा करें प्रभु’, तिरुपति लड्डू विवाद से आहत डिप्टी CM का ऐलान, 11 दिन रहेंगे उपवास पर

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आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में चढ़ाए जाने वाले लड्डू प्रसाद में जानवरों की चर्बी इस्तेमाल करने के मामले में जहां देश भर में गुस्से का माहौल है। वहीं दूसरी तरफ मामला सामने आने के बाद मचा सियासी घमासान भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब सूबे के उप मुख्यमंत्री और फिल्म अभिनेता पवन कल्याण ने इस मामले को लेकर प्रयाश्चित करने का ऐलान किया है। पवन कल्याण आज से 11 दिन के उपवास पर रहेंगे।

प्रायश्चित उपवास से पहले उऩ्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “हे, बालाजी भगवन! क्षमा करें प्रभु। तिरुमाला लड्डू प्रसाद जिसे अत्यंत पवित्र माना जाता है… पिछले शासकों की अनियंत्रित प्रवृत्ति के परिणामस्वरूप अपवित्र हो गया था। पशु मेदों के अवशेषों से दूषित हो गया था। ऐसे पाप क्रूर मन वाले ही करते हैं. इस पाप को प्रारम्भ में न पहचान पाना हिंदू जाति पर कलंक की मानिंद है। जैसे ही मुझे पता चला कि लड्डू प्रसाद में जानवरों के अवशेष हैं, मेरा मन विचलित हो गया। मुझे स्वयं में दोषित भाव महसूस हो रहा है। मैं जन कल्याण के लिए लड़ रहा हूं. दुख इस बात का हुआ कि शुरुआत में ऐसी समस्या मेरे ध्यान में नहीं आई।”

उन्होंने आगे लिखा, “सनातन धर्म में आस्था रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को कलियुग के देवता बालाजी के साथ हुए इस भयानक अपचार का प्रायश्चित करना चाहिए। इसी भावना के अंतर्गत मैंने प्रायश्चित आरंभ करने का निर्णय लिया है। रविवार (22 सितंबर, 2024 ) की सुबह मैं गुंटूर जिले स्थित नंबूर के श्री दशावतार वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में दीक्षा धारण करूंगा। 11 दिनों तक दीक्षा जारी रखने के बाद, मैं तिरुमाला श्री वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन करूंगा। ‘ईश्वर… मैं आपसे विनती करता हूं कि मुझे पिछली सरकारों की ओर से आपके खिलाफ किए गए पापों के प्रक्षालन करने की शक्ति प्रदान करें।”

आंध्र के डिप्टी सीएम ने आगे लिखा, “केवल वे ही लोग ऐसे अपराधों में लिप्त होते हैं, जिनका ईश्वर में विश्वास नहीं होता है और पाप कर्म का कोई डर नहीं होता है। मेरा दुख यह है कि बोर्ड के सदस्य और कर्मचारी जो तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम प्रणाली का हिस्सा हैं, वे भी वहां की गलतियों का पता नहीं लगा पाते हैं। अगर उन्हें पता चलता भी है, तो वे इसके बारे में बात नहीं करते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि वे उस समय के राक्षसी प्रवृत्ति वाले शासकों से डरते थे।”

पवन कल्याण ने आगे कहा, “साक्षात वैकुंठ धाम माने जाने वाले तिरुमाला की पवित्रता, शिक्षाशास्त्र और धार्मिक कर्तव्यों की निंदा करने वाले पिछले शासकों के व्यवहार ने हिंदू धर्म का पालन करने वाले सभी लोगों को आहत किया है। वहीं, इस बात पर भी मन अत्यंत व्याकुल है कि लड्डू प्रसाद बनाने में जानवरों के अवशेष वाले घी का इस्तेमाल किया गया था। धर्म की पुनर्स्थापना की दिशा में कदम उठाने का समय आसन्न हुआ है। धर्मो रक्षति रक्षितः।”