- 05/04/2025
क्या ये मंदी की आहट है? बिखर गया अमेरिकी शेयर बाजार, 2020 के बाद सबसे बुरा दिन


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति ने वैश्विक व्यापार में भूचाल ला दिया है। शुक्रवार को अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई, जिसे 2020 की कोविड-19 महामारी के बाद का सबसे खराब दिन माना जा रहा है। इस गिरावट का मुख्य कारण ट्रंप द्वारा घोषित व्यापक टैरिफ और इसके जवाब में चीन की तीखी प्रतिक्रिया रही। निवेशकों में मंदी की आशंका तेजी से बढ़ रही है, और बाजार में अनिश्चितता का माहौल छा गया है।
ट्रंप टैरिफ और चीनी जवाब
ट्रंप ने बुधवार को “लिबरेशन डे” के तहत सभी अमेरिकी आयात पर 10% का आधारभूत टैरिफ और कई देशों पर इससे कहीं अधिक टैरिफ की घोषणा की थी। इसमें चीन पर 34% का अतिरिक्त टैरिफ शामिल था, जिसके बाद कुल टैरिफ 54% तक पहुंच गया। जवाब में, चीन ने शुक्रवार को अमेरिकी उत्पादों पर 34% का जवाबी टैरिफ लगाने का ऐलान किया, जो 10 अप्रैल से लागू होगा। चीन ने इसे “अमेरिकी एकतरफा उत्पीड़न” करार देते हुए “कड़े कदम” उठाने की चेतावनी दी। इस टैरिफ युद्ध ने दोनों देशों के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया।
अमेरिकी शेयर बाजार में कोहराम
शुक्रवार को वॉल स्ट्रीट पर भारी बिकवाली देखी गई। डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज 3.9% यानी करीब 1,200 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ। नैस्डैक 6% लुढ़क गया और बेयर मार्केट में प्रवेश कर गया, जबकि एसएंडपी 500 में 4.8% की कमी आई। यह 2020 के बाद का सबसे बुरा दिन साबित हुआ। बाजार से लगभग 2.4 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। ऐपल और नाइकी जैसे दिग्गज, जो चीन पर निर्भर हैं, क्रमशः 9% और 14% नीचे गिर गए। तेल की कीमतें भी 7% टूट गईं, जो वैश्विक मांग में कमी की आशंका को दर्शाता है।
मंदी की आहट?
विशेषज्ञों का कहना है कि यह टैरिफ युद्ध मंदी का कारण बन सकता है। जेपी मॉर्गन ने वैश्विक मंदी की संभावना को 40% से बढ़ाकर 60% कर दिया, जबकि गोल्डमैन सैक्स ने इसे 20% आंका। विश्लेषकों का मानना है कि टैरिफ से अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ेंगी, मुद्रास्फीति तेज होगी और आर्थिक विकास ठप हो सकता है। आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने चेतावनी दी कि “यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा जोखिम है, खासकर जब विकास पहले से सुस्त है।”
हालांकि, ट्रंप ने बाजार की गिरावट को खारिज करते हुए कहा, “यह एक बड़ा ऑपरेशन है। बाजार जल्द ही उछाल लेगा। हमारा देश समृद्ध होगा।” लेकिन कई विशेषज्ञ इससे सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि अगर यह टैरिफ युद्ध लंबा खिंचा, तो स्टैगफ्लेशन (मंदी के साथ मुद्रास्फीति) का खतरा बढ़ सकता है।
वैश्विक असर और भारत की स्थिति
इस टैरिफ युद्ध का असर एशिया और यूरोप के बाजारों पर भी पड़ा। जापान का निक्केई 2.7% और यूके का एफटीएसई 100 4.9% नीचे बंद हुआ। भारत में सोमवार को सेंसेक्स और निफ्टी पर दबाव की आशंका है, खासकर उन सेक्टरों पर जो अमेरिकी निर्यात पर निर्भर हैं। हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि भारत को चीन पर भारी टैरिफ से फायदा हो सकता है, अगर वह टेक्सटाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में अमेरिकी बाजार में हिस्सेदारी बढ़ा सके।
आगे क्या?
निवेशकों की नजर अब फेडरल रिजर्व के अगले कदम और अन्य देशों की प्रतिक्रिया पर है। अगर टैरिफ युद्ध बढ़ता है, तो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और व्यापार पर गहरा असर पड़ेगा। ट्रंप ने संकेत दिया कि वह कुछ देशों के साथ सौदेबाजी के लिए तैयार हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस राहत नहीं दिख रही।
2020 के बाद का यह सबसे बुरा दिन एक चेतावनी है। सवाल यह है कि क्या यह मंदी की शुरुआत है, या बाजार जल्द संभल जाएगा? इसका जवाब आने वाले दिनों में साफ होगा, लेकिन अभी अनिश्चितता और डर हावी है।