- 19/07/2025
महिलाओं का अर्धनग्न प्रदर्शन: SECL ने जमीनें ली.. नहीं दी नौकरी मुआवजा; 42 साल बाद टूटा सब्र का बांध, साड़ी उतार कर महिलाओं ने किया प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कुसमुंडा क्षेत्र में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) की खदान से प्रभावित 150 भू-विस्थापित परिवारों की महिलाओं ने 18 जुलाई को जमकर विरोध प्रदर्शन किया। करीब 20-25 महिलाओं ने कुसमुंडा स्थित SECL के मुख्य कार्यालय के मेन गेट पर धरना देते हुए साड़ी उतारकर अर्धनग्न प्रदर्शन किया और नौकरी की मांग की। इस प्रदर्शन ने कंपनी के कार्यालय का कामकाज ठप कर दिया।
महिलाओं का आरोप: जमीन ली, रोजगार नहीं दिया
प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना है कि SECL ने उनकी पुश्तैनी जमीन का अधिग्रहण तो कर लिया, लेकिन पिछले 42 सालों से उन्हें नौकरी और उचित मुआवजा नहीं मिला। प्रदर्शनकारी फुलेश्वरी बाई ने बताया, “हमारे पिताजी के समय से यह मांग चल रही है। परिजनों की उम्र निकल गई, अब हम उनकी बेटियां बची हैं। हमारी जमीन लेकर कंपनी सोना निकाल रही है, और हम गड्ढों में हैं। हमारे 15-16 साल के बच्चे मजदूरी करने को मजबूर हैं।” महिलाओं ने यह भी आरोप लगाया कि जिन परिवारों में बेटा नहीं है, उन्हें नौकरी से वंचित रखा गया है।
जिंदा पिता के मृत्यु प्रमाण पत्र का आरोप
प्रदर्शनकारियों ने SECL पर गंभीर आरोप लगाए। उनका दावा है कि कंपनी ने जिंदा पिताओं के नाम पर मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर नौकरी देने से इनकार किया। कई बार दस्तावेज जमा करने के बावजूद उनकी मांगें अनसुनी रही हैं। प्रभावित गांवों में सोनपुरी, बालिपडनिया, जटराज, अमगांव, बरकुटा, गेवरा बस्ती, खोडरी और भिलाई बाजार शामिल हैं, जहां करीब 150 परिवार इस समस्या से जूझ रहे हैं।
प्रदर्शन से कार्यालय का कामकाज ठप
महिलाओं ने कार्यालय परिसर में धरना देकर और पुतला जलाकर अपना आक्रोश जताया। इससे पहले भी इन परिवारों ने खदान में प्रदर्शन किया था, जिसके बाद SECL प्रबंधन ने 30-35 लोगों, जिसमें महिलाएं और बच्चे शामिल थे, को बलपूर्वक हटाकर जेल भेज दिया था। इस बार प्रदर्शनकारियों ने खदान की बजाय मुख्य कार्यालय को निशाना बनाया, जिससे कामकाज पूरी तरह ठप हो गया। महिलाओं ने साफ कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे परिसर से नहीं हटेंगी।
SECL प्रबंधन का जवाब
SECL के पीआरओ डॉ. सनीश चंद्र ने बयान जारी कर कहा कि कुसमुंडा क्षेत्र में कुछ परियोजना प्रभावित लोग निर्धारित नियमों से इतर रोजगार और मुआवजे की मांग कर रहे हैं। प्रबंधन ने बातचीत के लिए प्रदर्शनकारियों को महाप्रबंधक कार्यालय में बुलाया था, लेकिन उन्होंने प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रबंधन ने सहयोग की अपेक्षा जताई और स्थानीय प्रशासन ने भी मामले में संज्ञान लिया है।
लंबे समय से अनसुलझी मांगें
प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना है कि SECL ने उनकी जमीन के बदले रोजगार और मुआवजे का वादा किया था, लेकिन अधिकांश परिवारों को केवल कागजी आश्वासन मिले। कोरबा जिले में SECL की खदानों, विशेष रूप से गेवरा और कुसमुंडा, के विस्तार से हजारों परिवार प्रभावित हुए हैं। 1980 के दशक से शुरू हुए भूमि अधिग्रहण ने कई गांवों को विस्थापित किया, लेकिन पुनर्वास और रोजगार के वादे अधूरे रहे।