• 21/09/2025

शराब और कोयला घोटाले में ACB-EOW की छापेमारी, एक साथ कई ठिकानों पर दबिश, जाने कहां-कहां चल रही कार्रवाई

शराब और कोयला घोटाले में ACB-EOW की छापेमारी, एक साथ कई ठिकानों पर दबिश, जाने कहां-कहां चल रही कार्रवाई

छत्तीसगढ़ में कोयला और शराब घोटाले के मामलों में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की कार्रवाई तेज हो गई है। रविवार को कोयला घोटाले में जांजगीर-चांपा जिले के अकलतरा में अधिकारियों ने छापेमारी की, जबकि शराब घोटाले में रायपुर में शराब कारोबारी अवधेश यादव के घर पर दबिश दी गई। ये कार्रवाइयां प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच से जुड़ी हैं, जहां 2,000 करोड़ से अधिक के घोटाले का खुलासा हो चुका है।

शराब घोटाले में रायपुर में छापेमारी: अवधेश यादव के दो ठिकानों पर दस्तावेज जब्त

ईओडब्ल्यू की टीम ने रायपुर के शिव विहार कॉलोनी में शराब कारोबार से जुड़े अवधेश यादव के आवास पर पहुंचकर छापा मारा। कारोबारी के दो ठिकानों पर अफसरों ने दस्तावेजों की छानबीन की। सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई शराब सिंडिकेट से जुड़ी अवैध सप्लाई और कमीशन वसूली के आरोपों पर आधारित है। राज्य में 10 से अधिक जगहों पर ईओडब्ल्यू की छापेमारी चल रही है, जिसमें रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर के शराब व कोयला कारोबारियों के ठिकाने शामिल हैं।

यह कार्रवाई दो दिन पहले रिटायर्ड आईएएस निरंजन दास की गिरफ्तारी के बाद और तेज हुई है। पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास पर सिंडिकेट चलाने का आरोप है, जिसमें उन्हें हर महीने 50 लाख रुपये मिलने का दावा किया गया। शुक्रवार को रायपुर की एसीबी-ईओडब्ल्यू कोर्ट में पेशी के बाद उन्हें 25 सितंबर तक रिमांड पर भेज दिया गया। ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आया कि निरंजन दास ने पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, तत्कालीन विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर और अन्य के साथ मिलकर सिंडिकेट खड़ा किया था। इस सिंडिकेट ने सरकारी शराब दुकानों में कमीशन तय करने, डिस्टलरियों से अतिरिक्त शराब बनवाने, विदेशी ब्रांड की अवैध सप्लाई और डुप्लीकेट होलोग्राम से शराब बेचने जैसी गतिविधियों से राज्य को हजारों करोड़ का नुकसान पहुंचाया।

कोयला घोटाले में अकलतरा और रायपुर में रेड: जयचंद कोसले के घरों पर दबिश

कोयला घोटाले में ईओडब्ल्यू की 12 सदस्यीय टीम ने जांजगीर-चांपा जिले के अकलतरा में कोयला व्यापारी जयचंद कोसले के अंबेडकर चौक स्थित घर पर छापा मारा। जयचंद के पिता खनिज विभाग में सहायक संचालक हैं। इसी कड़ी में एसीबी-ईओडब्ल्यू की एक टीम जयचंद के रायपुर स्थित घर पर भी पहुंची, जहां सेजबहार के अविनाश स्मार्ट सिटी कॉलोनी में दो गाड़ियों में अफसरों ने दस्तावेजों की जांच शुरू की। जयचंद को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपसचिव सौम्या चौरसिया का करीबी बताया जा रहा है।

ईडी का दावा है कि कोयला परिवहन में ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन करने और अन्य तरीकों से 570 करोड़ से अधिक की अवैध वसूली की गई। इस मामले में 36 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज है, जिसमें दो पूर्व मंत्री और विधायक शामिल हैं। जुलाई 2025 में सीबीआई भी जांच में शामिल हो गई, जबकि मई में सुप्रीम कोर्ट ने आईएएस समीर विश्नोई, रानू साहू और सौम्या चौरसिया को सशर्त जमानत दी थी।

शराब घोटाला: फरवरी 2019 से सिंडिकेट का जाल

ईडी की जांच के मुताबिक, शराब घोटाला फरवरी 2019 में जेल रोड स्थित होटल वेनिंगटन में शुरू हुआ, जहां कारोबारी अनवर ढेबर ने तीन डिस्टलरी मालिकों—नवीन केडिया (छत्तीसगढ़ डिस्टलरी), भूपेंदर पाल सिंह भाटिया (भाटिया वाइंस) और राजेंद्र जायसवाल (वेलकम डिस्टलरी)—को बुलाया। मीटिंग में एपी त्रिपाठी और अरविंद सिंह भी मौजूद थे। यहां प्रति पेटी कमीशन तय किया गया और रेट बढ़ाने का आश्वासन दिया गया। कारोबार को ए, बी और सी पार्ट में बांटा गया।

शराब दुकान संचालकों को सरकारी रिकॉर्ड में खपत न दर्ज करने की हिदायत दी गई। बिना शुल्क के डुप्लीकेट होलोग्राम वाली शराब दुकानों तक पहुंचाई गई। शुरुआत में 200 ट्रक (800 पेटी प्रतिदिन) से बढ़कर 400 ट्रक हो गए। ईओडब्ल्यू की जांच में 3 साल में 60 लाख से अधिक पेटी अवैध बिक्री का खुलासा हुआ, जिससे राज्य को 2,500 करोड़ का नुकसान। जुलाई 2025 में पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया गया, जिन पर 1,000 करोड़ के ‘प्रॉसीड्स ऑफ क्राइम’ को रियल एस्टेट में निवेश का आरोप है।

कोयला घोटाला: अवैध लेवी वसूली का खेल

ईडी के अनुसार, 2019-2021 के बीच कोयला परिवहन में ‘कार्टेल’ ने प्रति टन 25 रुपये की अवैध लेवी वसूली, जिससे प्रतिदिन 2-3 करोड़ की कमाई हुई। तत्कालीन खनिज निदेशक आईएएस समीर विश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन करने का आदेश जारी किया। एफआईआर में सौम्या चौरसिया, रानू साहू, सूर्यकांत तिवारी, अमरजीत भगत और देवेंद्र यादव जैसे नाम शामिल हैं। मार्च 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने कई आरोपियों को अंतरिम जमानत दी, लेकिन ईओडब्ल्यू ने उन्हें रिमांड पर लिया।