• 09/07/2025

CBI की बड़ी कामयाबी: 23 साल से फरार मोनिका कपूर अमेरिका में गिरफ्तार, भारत लाया जा रहा, जानें कौन हैं और क्या है मामला?

CBI की बड़ी कामयाबी: 23 साल से फरार मोनिका कपूर अमेरिका में गिरफ्तार, भारत लाया जा रहा, जानें कौन हैं और क्या है मामला?

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। 23 साल से फरार चल रही इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट धोखाधड़ी मामले की मुख्य आरोपी मोनिका कपूर को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है। सीबीआई की टीम ने 9 जुलाई 2025 को मोनिका कपूर को हिरासत में लेकर भारत के लिए रवाना किया। वह बुधवार रात तक भारत पहुंचने वाली है और उसे दिल्ली की साकेत कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां वह अपने खिलाफ लगे आरोपों का सामना करेगी।

मोनिका कपूर, जो Monika Overseas की प्रोपराइटर थी, पर अपने दो भाइयों राजन खन्ना और राजीव खन्ना के साथ मिलकर 1998 में फर्जी दस्तावेज तैयार करने का आरोप है। इन फर्जी दस्तावेजों, जैसे शिपिंग बिल्स, इनवॉयस और बैंक सर्टिफिकेट्स, के जरिए उन्होंने 6 रीप्लेनिशमेंट लाइसेंस हासिल किए, जिनका इस्तेमाल 2.36 करोड़ रुपये के ड्यूटी-फ्री गोल्ड के आयात के लिए किया गया। इसके बाद इन लाइसेंस को अहमदाबाद की कंपनी Deep Exports को प्रीमियम पर बेच दिया गया। Deep Exports ने इन लाइसेंस का उपयोग कर ड्यूटी-फ्री गोल्ड आयात किया, जिससे भारतीय राजकोष को 1.44 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

चार्जशीट और कोर्ट की कार्रवाई

सीबीआई ने इस मामले की जांच के बाद 31 मार्च 2004 को मोनिका कपूर, राजन खन्ना और राजीव खन्ना के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120-B (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेज को असली के रूप में उपयोग) के तहत चार्जशीट दाखिल की थी। दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 20 दिसंबर 2017 को राजन खन्ना और राजीव खन्ना को दोषी करार दिया था। हालांकि, मोनिका कपूर जांच और ट्रायल से बचती रही। उसे 13 फरवरी 2006 को कोर्ट ने भगोड़ा अपराधी (Proclaimed Offender) घोषित किया और 26 अप्रैल 2010 को उसके खिलाफ खुला गैर-जमानती वारंट जारी किया गया। इसके अलावा, 2010 में उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया गया था।

प्रत्यर्पण की लंबी प्रक्रिया

सीबीआई ने मोनिका कपूर के प्रत्यर्पण के लिए 19 अक्टूबर 2010 को अमेरिकी अधिकारियों को अनुरोध भेजा था। लंबी कानूनी प्रक्रिया और अमेरिकी एजेंसियों के साथ लगातार समन्वय के बाद आखिरकार प्रत्यर्पण को मंजूरी मिली। न्यूयॉर्क के पूर्वी जिला स्थित यूनाइटेड स्टेट्स डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने भारत-अमेरिका द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि के तहत मोनिका कपूर के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी। मोनिका ने दावा किया था कि भारत लौटने पर उसे यातना का सामना करना पड़ सकता है, जिसके आधार पर उसने संयुक्त राष्ट्र यातना विरोधी सम्मेलन और 1998 के विदेशी मामलों के सुधार और पुनर्गठन अधिनियम (FARRA) का हवाला देते हुए प्रत्यर्पण का विरोध किया था। हालांकि, अमेरिकी विदेश मंत्री ने इन दावों को खारिज कर दिया और प्रत्यर्पण के लिए आत्मसमर्पण वारंट जारी किया।

सीबीआई ने एक बयान में कहा, “मोनिका कपूर का प्रत्यर्पण न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह सीबीआई की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि वह आर्थिक अपराधियों को अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के बावजूद कानून के सामने लाएगी।” सीबीआई की एक टीम खुद अमेरिका गई और मोनिका कपूर को हिरासत में लेकर भारत के लिए रवाना हुई।

अब आगे क्या?

मोनिका कपूर को अब दिल्ली की साकेत कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां वह अपने खिलाफ लगे धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोपों का सामना करेगी। इस मामले में सीबीआई की यह सफलता आर्थिक अपराधों के खिलाफ उसकी सख्त कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मिसाल है।