- 17/05/2025
शराब घोटाला: ACB-EOW की 15 ठिकानों पर छापेमारी, कई नेता भी निशाने पर

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले के मामले में ACB-EOW की टीमों ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सुकमा, जगदलपुर, दंतेवाड़ा, अंबिकापुर और रायपुर में एक साथ छापेमारी की। 5 जिलों के 15 से अधिक ठिकानों पर कार्रवाई जारी है। सूत्रों के मुताबिक, छापेमारी के निशाने पर पूर्व मंत्री कवासी लखमा से जुड़े लोग भी हैं।
दंतेवाड़ा और सुकमा में कार्रवाई
दंतेवाड़ा में कांग्रेस नेता और लखमा के करीबी राजकुमार तामो के घर ACB-EOW ने दबिश दी। वहीं, सुकमा में 4 ठिकानों पर छापेमारी हुई, जिसमें जिला मुख्यालय के 3 और तोंगपाल का 1 स्थान शामिल है। इनमें हार्डवेयर और पेट्रोल पंप कारोबारी भी शामिल हैं, जो लखमा के नजदीकी बताए जा रहे हैं।
अंबिकापुर में कपड़ा फर्म पर रेड
अंबिकापुर में ACB-EOW ने कपड़ा व्यवसाय से जुड़ी फर्म धजाराम-विनोद कुमार के संचालकों मुकेश अग्रवाल और विनोद अग्रवाल के ठिकानों पर छापा मारा। यह फर्म पहले DMF घोटाले में चर्चा में थी और इसके खिलाफ FIR दर्ज है। ED और आयकर विभाग भी इनके खिलाफ पहले कार्रवाई कर चुके हैं।
इस बहुचर्चित मामले में ईडी और एसीबी-ईओडब्ल्यू ने अलग-अलग केस रजिस्टर्ड किया है। जिसमें पूर्व IAS अफसर अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, CSMCL के तत्कालीन MD रहे अरुणपति त्रिपाठी, कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अरविंद सिंह, अनुराग सिंह, नितेश पुरोहित, सुनील, दिलीप पाण्डेय, दीपक द्वारी, अनुराग द्विवेदी और विकास अग्रवाह को गिरफ्तार किया था। ये सभी आरोपी अभी रायपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं।
क्या है पूरा मामला ?
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच ED कर रही है, जिसने ACB में 2,100 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले की FIR दर्ज कराई। ED के अनुसार, 2019 से 2022 तक भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के MD AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट ने घोटाला किया। इस दौरान डुप्लीकेट होलोग्राम के जरिए सरकारी दुकानों से अवैध शराब बेची गई, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ।
लखमा पर ED के गंभीर आरोप
ED का दावा है कि पूर्व मंत्री कवासी लखमा इस सिंडिकेट का अहम हिस्सा थे। उनके निर्देश पर सिंडिकेट काम करता था और शराब नीति में बदलाव कर FL-10 लाइसेंस शुरू किया गया। ED के वकील सौरभ पांडेय के अनुसार, लखमा को 3 साल में हर महीने 2 करोड़ रुपये मिले, यानी कुल 72 करोड़ रुपये। यह राशि उनके बेटे हरीश कवासी के घर और सुकमा में कांग्रेस भवन के निर्माण में लगी।
घोटाले की कमाई का तरीका
ED के मुताबिक, 2019-2022 के बीच शराब घोटाले में अवैध कमाई निम्न तरीकों से हुई:
- पार्ट-A कमीशन: CSMCL के जरिए डिस्टिलर्स से प्रति केस रिश्वत ली गई।
- पार्ट-B कच्ची शराब: बिना हिसाब की देसी शराब बेची गई, जिसका पैसा सिंडिकेट ने हड़पा।
- पार्ट-C कमीशन: कार्टेल बनाने और बाजार में हिस्सेदारी के लिए रिश्वत ली गई। FL-10 A लाइसेंस धारकों से भी कमीशन वसूला गया।
FL-10 लाइसेंस क्या है?
FL-10 (फॉरेन लिकर-10) लाइसेंस छत्तीसगढ़ सरकार ने विदेशी शराब की खरीद के लिए जारी किया था। यह लाइसेंस धारक निर्माताओं से शराब लेकर सरकार को सप्लाई करते थे। इसमें दो श्रेणियां थीं:
- FL-10 A: देश के किसी भी निर्माता से विदेशी शराब खरीदकर सप्लाई।
- FL-10 B: राज्य के निर्माताओं से विदेशी ब्रांड की शराब सप्लाई।
आगे क्या?
ACB-EOW की टीमें दस्तावेज और लेन-देन की जांच कर रही हैं। पूरे नेटवर्क को खंगाला जा रहा है और जल्द ही घोटाले में बड़े नाम सामने आ सकते हैं।