• 02/06/2025

शराब घोटाला: विजय भाटिया 4 दिन की EOW रिमांड पर, फरार कारोबारी एक दिन पहले दिल्ली से हुआ था गिरफ्तार

शराब घोटाला: विजय भाटिया 4 दिन की EOW रिमांड पर, फरार कारोबारी एक दिन पहले दिल्ली से हुआ था गिरफ्तार

छत्तीसगढ़ के 2100 करोड़ से ज्यादा के बहुचर्चित शराब घोटाला के मामले में दिल्ली से गिरफ्तार फरार आरोपी और शराब कारोबारी विजय भाटिया को ईओडब्ल्यू ने आज कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने पूछताछ के लिए शराब कारोबारी को 4 दिन की रिमांड पर EOW को सौंप दिया है। भाटिया 6 जून तक EOW-ACB की हिरासत में रहेंगे, जहां उनसे घोटाले के संबंध में गहन पूछताछ की जाएगी।

भाटिया को दिल्ली से गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट में पेश किया गया था। रविवार छुट्टी होने की वजह से कारोबारी को 1 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया था। ACB जज के छुट्टी में होने की वजह से भाटिया को आज दूसरे जज की कोर्ट में पेश किया गया। जहां अदालत ने उन्हें 4 दिन की EOW की रिमांड पर भेज दिया।

दुर्गभिलाई में छापेमारी

रविवार को EOW-ACB की टीम ने दुर्ग-भिलाई के पांच ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान लंबे समय से फरार चल रहे विजय भाटिया को दिल्ली में उनके ठिकाने से गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के बाद उन्हें तत्काल फ्लाइट से रायपुर लाया गया और रविवार को ही रायपुर कोर्ट में पेश किया गया।

12 दिन पहले 39 ठिकानों पर छापेमारी

शराब घोटाला मामले में 12 दिन पहले ACB और EOW ने दुर्ग-भिलाई, धमतरी और महासमुंद में 39 स्थानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान 90 लाख रुपये नकद, सोना-चांदी और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद किए गए थे। भिलाई के हाउसिंग बोर्ड स्थित आम्रपाली अपार्टमेंट में कारोबारी अशोक अग्रवाल के घर, नेहरू नगर में बंसी अग्रवाल और विशाल केजरीवाल के ठिकानों के साथ-साथ खुर्सीपार में विनय अग्रवाल के घर दस्तावेजों की जांच की गई।

क्या है शराब घोटाला ?

छत्तीसगढ़ में 2019 से 2022 के बीच हुए कथित शराब घोटाले की जांच ED कर रही है। ED ने एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB) में दर्ज FIR में 2,100 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का दावा किया है। जांच में पाया गया कि तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट ने घोटाले को अंजाम दिया। सरकारी शराब दुकानों से डुप्लिकेट होलोग्राम के जरिए अवैध शराब बेची गई, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।

कौन-कौन हैं आरोपी?

इस बहुचर्चित मामले में ED और ACB-EOW ने अलग-अलग केस रजिस्टर्ड किया है। जिसमें पूर्व IAS अफसर अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, पूर्व मंत्री कवासी लखमा, CSMCL के तत्कालीन MD रहे अरुणपति त्रिपाठी, कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अरविंद सिंह, अनुराग सिंह, नितेश पुरोहित, सुनील, दिलीप पाण्डेय, दीपक द्वारी, अनुराग द्विवेदी और विकास अग्रवाह को गिरफ्तार किया था। ये सभी आरोपी अभी रायपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं।

मंत्री के निर्देश पर शराब नीति में बदलाव

ED ने पूर्व मंत्री कवासी लखमा को शराब सिंडिकेट का अहम हिस्सा बताया है। आरोप है कि लखमा के निर्देश पर सिंडिकेट संचालित होता था और उन्होंने शराब नीति में बदलाव कर FL-10 लाइसेंस की शुरुआत की। ED का दावा है कि लखमा को हर महीने 2 करोड़ रुपये मिलते थे, जो तीन साल में 72 करोड़ रुपये हुए। यह राशि उनके बेटे हरीश कवासी के घर और सुकमा में कांग्रेस भवन के निर्माण में इस्तेमाल हुई। ED के अनुसार, इस घोटाले से सिंडिकेट ने 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध कमाई की।

घोटाले का तरीका
ED के मुताबिक, शराब घोटाला तीन मुख्य तरीकों से किया गया:

  • पार्टA (कमीशन): छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (CSMCL) ने डिस्टिलर्स से प्रति केस रिश्वत लेकर शराब खरीदी और बेची।
  • पार्टB (कच्ची शराब की बिक्री): बिना हिसाब की देसी शराब की अवैध बिक्री की गई, जिसका पैसा सरकारी खजाने में नहीं पहुंचा और सिंडिकेट ने हड़प लिया।
  • पार्टC (कार्टेल कमीशन): शराब निर्माताओं से कार्टेल बनाने और बाजार में हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए रिश्वत ली गई। FL-10A लाइसेंस धारकों से भी कमीशन लिया गया।

FL-10 लाइसेंस क्या है?
FL-10 (फॉरेन लिकर-10) लाइसेंस छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा विदेशी शराब की खरीद, भंडारण और परिवहन के लिए जारी किया जाता है। यह लाइसेंस दो श्रेणियों में बांटा गया है:

  • FL-10A: लाइसेंस धारक देश के किसी भी राज्य के निर्माताओं से भारतीय निर्मित विदेशी शराब खरीदकर सरकार को बेच सकते हैं।
  • FL-10B: राज्य के शराब निर्माताओं से विदेशी ब्रांड की शराब खरीदकर सरकार को सप्लाई करते हैं।
    हालांकि, इन लाइसेंस धारकों ने भंडारण और परिवहन का काम बेवरेज कॉर्पोरेशन को सौंपा, जिससे अनियमितताएं बढ़ीं।