• 29/05/2025

जेल से बाहर आएंगी सौम्या और रानू साहू, DMF घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत, समीर-सूर्यकांत को कोल लेव्ही में राहत, छत्तीसगढ़ में रहने पर रोक

जेल से बाहर आएंगी सौम्या और रानू साहू, DMF घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत, समीर-सूर्यकांत को कोल लेव्ही में राहत, छत्तीसगढ़ में रहने पर रोक

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छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निलंबित आईएएस रानू साहू और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपसचिव रही राज्य प्रशासनिक सेवा की निलंबित अफसर सौम्या चौरसिया को अंतरिम जमानत दे दी है। जस्टिस सूर्या कांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने यह फैसला 29 मई 2025 को सुनाया। जमानत सशर्त दी गई है, जिसमें गवाहों को प्रभावित करने की आशंका के चलते दोनों को छत्तीसगढ़ में रहने पर पाबंदी लगाई गई है।

अधिवक्ता हर्षवर्धन परगनिहा ने बताया कि आज रानू साहू, सौम्या चौरसिया, समीर विश्नोई और सूर्यकांत तिवारी की जमानत याचिका लगी थी। रानू साहू की ईडी और ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज डीएमएफ घोटाले के मामले में जमानत याचिका लगी थी। वहीं सौम्या चौरसिया की ईओडब्ल्यू द्वारा डीएमएफ घोटाले में दर्ज किए गए केस में जमानत याचिका लगी थी। जबकि समीर विश्नोई और सूर्यकांत तिवारी की कोल लेव्ही केस में ईडी और ईओडब्ल्यू केस में राहत मिली है। ईओडब्ल्यू और ईडी के डीएमएफ में रानू साहू को राहत मिली है। सौम्या चौरसिया को डीएमएफ केस में सुप्रीम कोर्ट ने राहत देते हुए अंतरिम जमानत दे दी है।

सूर्यकांत को रहना होगा जेल में

अधिवक्ता हर्षवर्धन तिवारी के मुताबिक सूर्यकांत तिवारी को छोड़कर बाकी सभी आरोपी जेल से बाहर आ जाएंगे। सूर्यकांत तिवारी को अभी ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज डीएमएफ के मामले में राहत नहीं मिली है। सूर्यकांत तिवारी की डीएमएफ मामले मे सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका की सुनवाई अगले महीने की जाएगी।

क्या है डीएमएफ घोटाला?

जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) घोटाले में 90.48 करोड़ रुपये से अधिक की अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आया कि कोरबा जिले में टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ। आरोप है कि ठेकेदारों ने टेंडर हासिल करने के लिए 15 से 40 प्रतिशत तक कमीशन और रिश्वत दी, जिसमें सरकारी अधिकारियों और प्रभावशाली नेताओं की मिलीभगत थी। ईडी ने इस घोटाले में 23.79 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की, जिसमें 2.32 करोड़ रुपये की नकदी और आभूषण शामिल हैं।

रानू साहू, 2010 बैच की निलंबित आईएएस अधिकारी, मई 2021 से जून 2022 तक कोरबा जिले की कलेक्टर थीं। इस दौरान उनके ऊपर डीएमएफ फंड में घोटाले का आरोप लगा है। उन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) की धारा 7 और 12 के तहत मामले दर्ज हैं।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत देते हुए कहा कि जांच की लंबी प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए और निष्पक्षता के साथ व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संतुलन बनाए रखने के लिए यह फैसला लिया गया है। कोर्ट ने शर्त रखी कि यदि रानू साहू या सौम्या चौरसिया गवाहों को प्रभावित करने, साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने या जांच में बाधा डालने की कोशिश करती हैं, तो उनकी जमानत रद्द की जा सकती है। दोनों को संतोषजनक जमानत बांड जमा करना होगा।

ईओडब्ल्यू ने हाल ही में डीएमएफ घोटाले में 6,000 पन्नों की चार्जशीट दायर की है, जिसमें रानू साहू, सौम्या चौरसिया और सूर्यकांत तिवारी सहित 9 आरोपियों के नाम शामिल हैं। चार्जशीट में दस्तावेजों, गवाहों के बयानों और वित्तीय लेन-देन के आधार पर घोटाले का विस्तृत विवरण दिया गया है। जांच में कोरबा के चार पूर्व जनपद पंचायत सीईओ—भरोसाराम ठाकुर, भूनेश्वर सिंह राज, राधेश्याम मिर्झा और वीरेंद्र कुमार राठौर—को भी रिमांड पर लिया गया है।

डीएमएफ घोटाला छत्तीसगढ़ में सियासी तूफान का कारण बना हुआ है। बीजेपी ने इसे पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के खिलाफ हथियार बनाया है, जबकि कांग्रेस ने इन कार्रवाइयों को राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है। रानू साहू ने कोर्ट में दावा किया था कि उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए एक के बाद एक मामले दर्ज किए जा रहे हैं।