• 21/04/2025

कैसे चुना जाएगा नया पोप: सफेद और काले धुएं का क्या है रहस्य, कॉन्क्लेव की रहस्यमयी परंपराएं, जानें 

कैसे चुना जाएगा नया पोप: सफेद और काले धुएं का क्या है रहस्य, कॉन्क्लेव की रहस्यमयी परंपराएं, जानें 

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पोप फ्रांसिस के 88 वर्ष की आयु में निधन के बाद कैथोलिक चर्च के सामने अब एक नया आध्यात्मिक नेता चुनने की चुनौती है। नया पोप चुनने की प्रक्रिया, जिसे “कॉन्क्लेव” कहा जाता है, न केवल धार्मिक महत्व की है, बल्कि यह अपनी रहस्यमय और प्राचीन परंपराओं के कारण भी दुनिया भर में चर्चा का विषय है। आइए, जानते हैं कि कैसे चुना जाता है कैथोलिक चर्च का सर्वोच्च नेता।

क्या है कॉन्क्लेव ?

कॉन्क्लेव लैटिन शब्द “कम क्लावे” से आता है, जिसका अर्थ है “कुंजी के साथ बंद।” यह एक गुप्त बैठक है, जिसमें दुनिया भर के कार्डिनल्स (80 वर्ष से कम आयु के) नए पोप का चयन करने के लिए एकत्र होते हैं। यह प्रक्रिया वेटिकन सिटी के सिस्टिन चैपल में होती है, जहां कार्डिनल्स को बाहरी दुनिया से पूरी तरह अलग कर दिया जाता है। कोई फोन, इंटरनेट या बाहरी संपर्क नहीं—सिर्फ प्रार्थना और मतदान।

प्रक्रिया की शुरुआत

पोप के निधन (या इस्तीफे) के बाद, वेटिकन में नौ दिनों की शोक अवधि (नोवेमडियालेस) होती है। इसके बाद, 15-20 दिनों के भीतर कॉन्क्लेव शुरू होता है। इस दौरान वेटिकन के कैमरलेंगो (चर्च का अस्थायी प्रशासक) और कार्डिनल्स की सभा तैयारियां करती है। कॉन्क्लेव में भाग लेने वाले कार्डिनल्स की संख्या आमतौर पर 120 के आसपास होती है, जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आते हैं।

मतदान का अनोखा तरीका

  • दिन में चार मतदान: कॉन्क्लेव में कार्डिनल्स दिन में दो बार (सुबह और दोपहर) मतदान करते हैं। प्रत्येक कार्डिनल एक गुप्त मतपत्र पर अपने पसंदीदा उम्मीदवार का नाम लिखता है, जिस पर लिखा होता है “एलिगो इन सुमम पोंटिफेक्स” (मैं सर्वोच्च पोंटिफ के रूप में चुनता हूं)।
  • दोतिहाई बहुमत जरूरी: नए पोप के लिए किसी उम्मीदवार को दो-तिहाई वोट चाहिए। यदि कोई उम्मीदवार यह बहुमत हासिल नहीं करता, तो मतदान अगले दौर में जाता है।
  • धुएं का संकेत: प्रत्येक मतदान के बाद, मतपत्रों को जलाया जाता है। यदि कोई पोप नहीं चुना गया, तो रसायन मिलाकर काला धुआं निकाला जाता है, जो असफलता का संकेत है। जब पोप चुन लिया जाता है, तो सफेद धुआं निकलता है, जो सेंट पीटर स्क्वायर में इकट्ठा हजारों लोगों के लिए उत्साह का क्षण होता है।

सिस्टिन चैपल का महत्व

सिस्टिन चैपल, जहां माइकल एंजेलो की विश्व प्रसिद्ध फ्रेस्को पेंटिंग्स हैं, कॉन्क्लेव का केंद्र है। कार्डिनल्स यहां शपथ लेते हैं कि वे प्रक्रिया की गोपनीयता बनाए रखेंगे। चैपल को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और बाहरी हस्तक्षेप से बचाने के लिए स्कैन किया जाता है। कार्डिनल्स कासा सांता मार्ता में ठहरते हैं, लेकिन दिन-रात सिस्टिन चैपल में मतदान और प्रार्थना में बिताते हैं।

पोप का चयन और स्वीकृति

जब कोई उम्मीदवार दो-तिहाई वोट हासिल कर लेता है, तो उसे पूछा जाता है, “क्या आप चुनाव स्वीकार करते हैं?” यदि वह सहमति देता है, तो वह नया पोप बन जाता है। इसके बाद वह अपना पोप नाम चुनता है (उदाहरण के लिए, जॉर्ज मारियो बेर्गोग्लियो ने “फ्रांसिस” चुना)। फिर, वेटिकन के प्रोटोकॉल मास्टर घोषणा करते हैं, “हबेमुस पापम” (हमें पोप मिल गया है), और नया पोप सेंट पीटर स्क्वायर में जनता को आशीर्वाद देता है।

दिलचस्प तथ्य

  • सबसे लंबा कॉन्क्लेव 1268-1271 तक तीन साल चला, जिसके बाद नियम बनाए गए कि कार्डिनल्स को तेजी से फैसला लेना होगा।
  • 2005 में जोसेफ रैट्जिंगर (पोप बेनेडिक्ट सोलहवें) केवल दो दिनों में चुने गए थे।
  • कोई भी कैथोलिक पुरुष, सैद्धांतिक रूप से, पोप बन सकता है, लेकिन 1378 के बाद से हमेशा कार्डिनल्स में से ही पोप चुना गया है।
  • पोप फ्रांसिस ने अपने कार्यकाल में 80% कार्डिनल्स नियुक्त किए, जिससे नया पोप संभवतः उनके सुधारवादी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाए।

वर्तमान परिदृश्य

पोप फ्रांसिस के निधन के बाद, कॉन्क्लेव जल्द शुरू होने की उम्मीद है। दुनिया भर की निगाहें वेटिकन पर टिकी हैं, क्योंकि यह नया पोप न केवल कैथोलिक चर्च, बल्कि वैश्विक मुद्दों जैसे जलवायु परिवर्तन, शांति और सामाजिक न्याय पर भी प्रभाव डालेगा। क्या नया पोप लैटिन अमेरिका, अफ्रीका या एशिया से होगा? यह सवाल चर्च और विश्लेषकों के बीच चर्चा का केंद्र है।

कॉन्क्लेव की यह प्राचीन परंपरा आधुनिक दुनिया में भी उतनी ही रहस्यमयी और आकर्षक है, जितनी सैकड़ों साल पहले थी। सफेद धुएं का इंतजार अब शुरू हो चुका है।