- 24/03/2025
सांसदों के वेतन में 24 फीसदी की बढ़ोतरी, जानें अब हर महीने मिलेंगे कितने रुपये


केंद्र सरकार ने सोमवार, 24 मार्च 2025 को देश के सांसदों के लिए एक बड़ी घोषणा की। संसदीय कार्य मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के वेतन, भत्तों और पेंशन में बढ़ोतरी की मंजूरी दे दी है। इस फैसले के तहत सांसदों का मासिक वेतन 24 प्रतिशत बढ़ाकर 1 लाख रुपये से 1.24 लाख रुपये कर दिया गया है। यह नया वेतनमान 1 अप्रैल 2023 से प्रभावी होगा, जिसका मतलब है कि सांसदों को पिछले दो वर्षों का एरियर भी मिलेगा।
भत्तों और पेंशन में भी इजाफा
वेतन के साथ-साथ सांसदों के दैनिक भत्ते में भी बढ़ोतरी की गई है। अब सत्र या बैठक के दौरान उपस्थिति के लिए उन्हें प्रतिदिन 2,000 रुपये के बजाय 2,500 रुपये मिलेंगे। इसके अलावा, पूर्व सांसदों की पेंशन में भी संशोधन किया गया है। उनकी मासिक पेंशन 25,000 रुपये से बढ़ाकर 31,000 रुपये कर दी गई है। साथ ही, पांच साल से अधिक सेवा वाले पूर्व सांसदों को प्रत्येक अतिरिक्त वर्ष के लिए मिलने वाली पेंशन 2,000 रुपये से बढ़ाकर 2,500 रुपये प्रति माह कर दी गई है।
बढ़ोतरी का आधार
सरकार ने यह बढ़ोतरी आयकर अधिनियम, 1961 के तहत निर्धारित लागत मुद्रास्फीति सूचकांक (कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स) के आधार पर की है। संसद सदस्य (वेतन, भत्ता और पेंशन) अधिनियम, 1954 के तहत यह संशोधन पिछले पांच वर्षों में महंगाई दर को ध्यान में रखते हुए किया गया है। सरकार का कहना है कि यह कदम सांसदों की बढ़ती जिम्मेदारियों और जीवनयापन लागत को देखते हुए उठाया गया है।
सांसदों को मिलने वाली अन्य सुविधाएं
वेतन और भत्तों के अलावा सांसदों को कई अन्य सुविधाएं भी प्राप्त होती हैं। इनमें 70,000 रुपये मासिक निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, 60,000 रुपये का कार्यालय व्यय, मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं, 50,000 यूनिट मुफ्त बिजली, और 4,000 किलोलीटर मुफ्त पानी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, सांसदों को हर साल 34 मुफ्त हवाई यात्राओं की सुविधा भी मिलती है, जो उनके परिवार के सदस्यों के लिए भी उपलब्ध होती है। विशेष रूप से, सांसदों की सैलरी और भत्तों पर कोई आयकर नहीं लगता, जो इसे और आकर्षक बनाता है।
राजनीतिक और जनता की प्रतिक्रिया
इस फैसले को लेकर राजनीतिक दलों और आम जनता की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कुछ नेताओं ने इसे सांसदों की मेहनत और जिम्मेदारियों के अनुरूप बताया है, वहीं विपक्षी दलों और जनता के एक वर्ग ने इसे मौजूदा आर्थिक स्थिति में गैर-जरूरी करार दिया है। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने तंज कसते हुए कहा कि जब पुरानी पेंशन बहाली की बात आती है तो सरकार अर्थव्यवस्था का हवाला देती है, लेकिन सांसदों के वेतन में बढ़ोतरी के लिए संसाधन आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।
पिछली बार कब हुई थी बढ़ोतरी?
सांसदों के वेतन में आखिरी बार संशोधन अप्रैल 2018 में हुआ था, जब उनकी सैलरी 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये की गई थी। उस समय पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हर पांच साल में महंगाई के आधार पर स्वतः वेतन संशोधन का प्रस्ताव रखा था, जिसके तहत यह ताजा बढ़ोतरी लागू की गई है। हालांकि, कोविड-19 महामारी के दौरान 2020 में सांसदों के वेतन में 30 प्रतिशत की कटौती की गई थी, जो एक साल तक लागू रही थी।
सांसदों के वेतन में 24 प्रतिशत की यह बढ़ोतरी उनके आर्थिक लाभ को मजबूत करने वाला कदम है। हालांकि, यह फैसला ऐसे समय में आया है जब देश में महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर बहस जारी है। अब देखना यह होगा कि यह निर्णय संसद के भीतर और बाहर किस तरह की राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों को प्रभावित करता है।