- 20/07/2024
‘क्षमा करो मीलॉर्ड, दोबारा गलती नहीं होगी’, IG और SP ने हाईकोर्ट से माफी की लगाई गुहार, जानें मामला

अदालत की अवमानना छत्तीसगढ़ पुलिस के दो आईपीएस अफसरों को महंगी पड़ गई। अवमानना में फंसे दोनों आईपीएस अफसर सजा से बचने हाईकोर्ट के सामने क्षमा की गुहार लगाई। पुलिस विभाग की सीआईडी के आईजी और एसपी की क्षमायाचना के बाद हाकोर्ट ने अवमानना याचिका निराकृत किया।
दरअसल रायपुर निवासी कृष्णा प्रसाद ठाकुर पुलिस मुख्यालय (PHQ) में प्रधान आरक्षक के पद पर पदस्थ थे। पुलिस महानिरीक्षक एवं पुलिस अधीक्षक (सीआईडी) ने रिटायरमेंट के बाद उनके सभी देयकों को रोक दिया। उनके द्वारा यह हवाला दिया गया कि सर्विस के दौरान उन्हें ज्यादा भुगतान किया गया। इसके साथ ही उनके खिलाफ 3,28,657 रुपए वसूली का आदेश जारी कर दिया गया।
कृष्णा प्रसाद ठाकुर ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने वसूली की राशि को छोड़कर रिटायरमेंट की सभी राशि का 60 दिनों के भीतर भुगतान करने का आदेश सुनाया। लेकिन समयावधि पूरी होने के बावजूद जब उन्हें रिटायरमेंट के पैसों को भुगतान नहीं किया गया तो उन्होंने हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय और दुर्गा मेहर के माध्यम से हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की।
दोनों अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क दिया कि दोनों वरिष्ठ आईपीएस अफसर हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेशों की प्रत्येक याचिका में लगातार अवमानना की जा रही है। हाईकोर्ट का एक-एक मिनट का वक्त कीमती होता है जो कि ज्यादातर अवमानना की याचिकाओं को सुनने में व्यर्थ जाता है।
अधिवक्ताओं ने कहा कि न्यायालय अवमानना अधिनियम 1971 के उपनियम 12 में न्यायालय के आदेश की अवमानना पर 6 माह का कारावास एवं 2000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। ऐसे में न्यायालय के आदेशों को समयसीमा में पालन कराए जाने और अदालत का कीमती समय बर्बाद होने से बचाने के लिए अवमानना याचिकाओं में दंडित किया जाना आवश्यक है।
मामले की अंतिम सुनवाई में आईजी और एसपी ने भविष्य में दोबारा गलती नहीं दोहराने और क्षमायाचना के पश्चात हाईकोर्ट ने अवमानना याचिका को निराकृत कर दिया।