• 05/08/2025

हाईकोर्ट: 84 बच्चों को सरकारी स्कूल में परोसा कुत्ते का जूठा खाना, हाईकोर्ट ने जताई तीखी नाराजगी, कहा- लापरवाही नहीं; ये जान से खिलवाड़ है

हाईकोर्ट: 84 बच्चों को सरकारी स्कूल में परोसा कुत्ते का जूठा खाना, हाईकोर्ट ने जताई तीखी नाराजगी, कहा- लापरवाही नहीं; ये जान से खिलवाड़ है

छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के पलारी ब्लॉक के लच्छनपुर गांव के सरकारी मिडिल स्कूल में मध्यान्ह भोजन के तहत बच्चों को कुत्ते का जूठा भोजन परोसने का गंभीर मामला सामने आया है। इस घटना पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने तीखी नाराजगी जाहिर की है और इसे “गंभीर प्रशासनिक विफलता” और “अमानवीय कृत्य” करार दिया है। कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले को जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया और राज्य सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को 19 अगस्त तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।

क्या है पूरा मामला?

घटना 29 जुलाई 2025 की है, जब लच्छनपुर के शासकीय पूर्व माध्यमिक स्कूल में मध्यान्ह भोजन के लिए तैयार खाना खुला रखा गया था। इस दौरान एक आवारा कुत्ते ने सब्जी को जूठा कर दिया। कुछ बच्चों ने यह देखकर शिक्षकों को सूचित किया, लेकिन जय लक्ष्मी स्व-सहायता समूह की रसोइयों ने उनकी शिकायत को नजरअंदाज करते हुए वही जूठा भोजन 84 बच्चों को परोस दिया। बच्चों ने यह बात अपने अभिभावकों को बताई, जिसके बाद ग्राम स्तरीय स्कूल समिति की बैठक हुई। दबाव बढ़ने पर 78 बच्चों को एहतियातन एंटी-रेबीज वैक्सीन की दो डोज दी गई। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, अभी तक किसी बच्चे में रेबीज के लक्षण नहीं दिखे हैं, लेकिन निगरानी जारी है।

हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस विभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, “छात्रों को परोसा जाने वाला भोजन कोई औपचारिकता नहीं, बल्कि यह उनकी गरिमा, स्वास्थ्य और जीवन सुरक्षा से जुड़ा विषय है। कुत्ते का जूठा भोजन परोसना घोर लापरवाही और बच्चों की जान से खिलवाड़ है। रेबीज होने पर इसका इलाज संभव नहीं होता।” कोर्ट ने इस घटना को गंभीर प्रशासनिक विफलता करार देते हुए राज्य सरकार से चार बिंदुओं पर जवाब मांगा है:

  • क्या सभी प्रभावित बच्चों को समय पर एंटी-रेबीज वैक्सीन दी गई?
  • जिम्मेदार शिक्षकों और स्व-सहायता समूह पर क्या कार्रवाई की गई?
  • क्या पीड़ित बच्चों को मुआवजा दिया गया?
  • भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या पुख्ता उपाय किए गए हैं?

हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए अगली सुनवाई 19 अगस्त 2025 को निर्धारित की है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह की लापरवाही से न केवल मध्यान्ह भोजन योजना की साख पर असर पड़ता है, बल्कि बच्चों के जीवन को भी खतरा होता है।