- 03/09/2025
केंद्र सरकार का बड़ा फैसला: अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए लोगों को बिना पासपोर्ट-वीजा भारत में रहने की अनुमति, लेकिन सिर्फ एक शर्त; नोटिफिकेशन जारी

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के सदस्यों को बड़ी राहत दी है। मंत्रालय ने घोषणा की है कि 31 दिसंबर 2024 तक भारत में प्रवेश करने वाले इन समुदायों के लोगों को बिना वैध पासपोर्ट या वीजा के भी देश में रहने की अनुमति होगी। साथ ही, उन्हें भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी। यह आदेश आप्रवास और विदेशियों विषयक अधिनियम, 2025 के तहत जारी किया गया है।
गजट नोटिफिकेशन में क्या कहा गया?
गृह मंत्रालय के गजट नोटिफिकेशन के अनुसार, “अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय- हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई, जो धार्मिक उत्पीड़न या इसके डर के कारण भारत में शरण लेने को मजबूर हुए और 31 दिसंबर 2024 को या उससे पहले बिना वैध दस्तावेजों के भारत में प्रवेश किए, उन्हें पासपोर्ट और वीजा नियमों से छूट दी जाएगी।” यह फैसला विशेष रूप से उन शरणार्थियों के लिए महत्वपूर्ण है, जो 2014 के बाद भारत आए और अपने भविष्य को लेकर चिंतित थे, खासकर पाकिस्तान से आए हिंदू समुदाय के लोग।
नेपाल और भूटान के नागरिकों के लिए नियम
आदेश में स्पष्ट किया गया है कि नेपाल और भूटान के नागरिकों को भारत में सीमा मार्ग से प्रवेश करने या यहां रहने के लिए पासपोर्ट और वीजा की आवश्यकता नहीं होगी। यह व्यवस्था पहले की तरह ही लागू रहेगी। हालांकि, यदि कोई नेपाली या भूटानी नागरिक चीन, मकाऊ, हॉन्गकॉन्ग या पाकिस्तान से भारत आता है, तो उसके पास वैध पासपोर्ट होना अनिवार्य होगा।
भारतीय नागरिकों और सैन्य कर्मियों के लिए नियम
इसी तरह, भारतीय नागरिकों को नेपाल या भूटान की सीमा से भारत आने-जाने के लिए पासपोर्ट या वीजा की जरूरत नहीं होगी। लेकिन, यदि वे नेपाल या भूटान के अलावा अन्य देशों (चीन, मकाऊ, हॉन्गकॉन्ग और पाकिस्तान को छोड़कर) से भारत लौटते हैं, तो उन्हें वैध पासपोर्ट प्रस्तुत करना होगा। इसके अतिरिक्त, भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के कर्मियों और उनके परिवार के सदस्यों को, जो सरकारी परिवहन के साथ ड्यूटी पर भारत में प्रवेश या बाहर जा रहे हैं, पासपोर्ट या वीजा की आवश्यकता नहीं होगी।
शरणार्थियों के लिए राहत, भविष्य की चिंता खत्म
यह आदेश उन लाखों शरणार्थियों के लिए राहत की खबर है, जो धार्मिक उत्पीड़न के कारण अपने देश छोड़कर भारत में शरण लेने आए हैं। खासकर पाकिस्तान से आए हिंदू समुदाय के लोगों के लिए यह फैसला उनके भविष्य को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण साबित होगा। सरकार का यह कदम नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के तहत अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने की दिशा में एक ठोस कदम है।