- 24/09/2025
6 IAS सहित 11 अफसरों ने फर्जी NGO बनाकर किया 1000 करोड़ का घोटाला! हाईकोर्ट ने CBI को सौंपी जांच, 15 दिन में FIR के निर्देश

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य स्त्रोत नि:शक्त जन संस्थान (SRC) के नाम पर हुए कथित 1,000 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। जस्टिस पीपी साहू और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की डिवीजन बेंच ने अपने आदेश में कहा कि आरोपों की प्रारंभिक जांच में राज्य के 6 IAS अधिकारियों समेत 11 अधिकारियों के खिलाफ लगाए गए आरोप सही पाए गए हैं। कोर्ट ने स्थानीय एजेंसियों या पुलिस को जांच सौंपने को अनुचित बताते हुए सीबीआई को 15 दिनों में सभी दस्तावेज जब्त कर जांच शुरू करने का निर्देश दिया है।
यह फैसला 2017 में दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के बाद आया है, जिसमें राज्य को 2004 से 2018 तक 10 वर्षों में हुए वित्तीय नुकसान का खुलासा हुआ। घोटाले में IAS अधिकारी आलोक शुक्ला, विवेक ढांड, एमके राउत, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल और पीपी सोती समेत सतीश पांडेय, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हरमन खलखो, एमएल पांडेय व पंकज वर्मा पर फर्जी संस्था के जरिए सरकारी फंड साइफन करने का आरोप है।
सुप्रीम कोर्ट से लौटा मामला, अब CBI को सौंपी जांच
सीबीआई जबलपुर ने पहले ही मामले में FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। लेकिन आरोपी IAS और राज्य सेवा अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर कर CBI जांच पर रोक लगाने की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने SLP पर सुनवाई के बाद जांच पर रोक लगाते हुए प्रकरण छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट को वापस भेज दिया। हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान तत्कालीन मुख्य सचिव अजय सिंह ने शपथ-पत्र में 150-200 करोड़ की ‘गलतियां’ स्वीकार कीं, लेकिन कोर्ट ने इन्हें ‘संगठित और सुनियोजित अपराध’ करार दिया।
कोर्ट ने कहा, “उच्च पदस्थ अधिकारियों पर आरोप हैं, इसलिए जांच प्रभावित होने का खतरा है। CBI ही निष्पक्ष जांच कर सकती है।” कोर्ट ने CBI को एक सप्ताह में FIR दर्ज करने और 15 दिनों में विभागीय दस्तावेज जब्त करने का आदेश दिया। आरोपी अधिकारियों ने कोर्ट में अपना जवाब भी पेश किया था, लेकिन बेंच ने आरोपों को प्रारंभिक रूप से सही माना।
PIL का सफर: RTI से खुला राज, फर्जी अस्पताल व फर्जीवाड़ा
रायपुर के कुशालपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर ने 2017 में जनहित याचिका दायर की, जिसमें राज्य के वर्तमान व रिटायर्ड IAS अधिकारियों पर NGO के नाम पर करोड़ों का घोटाला करने का आरोप लगाया। 2018 में PIL के रूप में सुनवाई शुरू हुई। याचिकाकर्ता ने बताया कि उन्हें एक कथित शासकीय अस्पताल ‘राज्य स्त्रोत नि:शक्त जन संस्थान’ में कार्यरत बताकर वेतन देने की जानकारी मिली। RTI के जरिए पता चला कि नया रायपुर में स्थित यह ‘अस्पताल’ वास्तव में एक NGO चला रहा है, जहां करोड़ों की मशीनें खरीदी गईं और रखरखाव पर भी भारी खर्च दिखाया गया।
याचिका में खुलासा हुआ कि ‘राज्य स्त्रोत नि:शक्त जन संस्थान’ नामक संस्था अस्तित्व में ही नहीं है—यह केवल कागजों पर 2004 में गठित की गई। समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत माना जाने वाला यह ‘SRC’ फिजिकल रेफरल रिहैबिलिटेशन सेंटर (PRRC) से जुड़ा था। राज्य को 1,000 करोड़ का वित्तीय नुकसान हुआ।
फर्जीवाड़े का तरीका: SRC ने बैंक ऑफ इंडिया के एकाउंट और SBI मोतीबाग के तीन एकाउंट्स से फर्जी आधार कार्ड पर खाते खुलवाकर अलग-अलग नामों से रुपये निकाले। कोई भर्ती प्रक्रिया नहीं हुई—फर्जी कर्मचारियों को कैश पेमेंट दिखाकर फंड साइफन किए गए।
- ऑडिट की कमी: SRC 2004 में छत्तीसगढ़ सोसाइटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम के तहत पंजीकृत हुई, लेकिन कभी ऑडिट नहीं हुई।
- याचिकाकर्ता पर धमकी: ठाकुर ने RTI दाखिल करने पर जान से मारने की धमकी मिलने का भी जिक्र किया।
कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था, जिसके जवाब में मुख्य सचिव ने ‘त्रुटियां’ बताईं, लेकिन बेंच ने इसे ‘सुनियोजित घोटाला’ कहा।
आरोपी अधिकारियों की सूची: IAS व राज्य सेवा के टॉप अफसर
याचिका में नामजद 11 अधिकारियों में 6 IAS हैं, जो समाज कल्याण विभाग से जुड़े थे। ये सभी 2004-2018 के बीच फंड आवंटन व व्यय में कथित संलिप्त थे।
क्रमांक | नाम | पद/विभाग |
---|---|---|
1 | आलोक शुक्ला | IAS, समाज कल्याण विभाग |
2 | विवेक ढांड | IAS, समाज कल्याण विभाग |
3 | एमके राउत | IAS, समाज कल्याण विभाग |
4 | सुनील कुजूर | IAS, समाज कल्याण विभाग |
5 | बीएल अग्रवाल | IAS, समाज कल्याण विभाग |
6 | पीपी सोती | IAS, समाज कल्याण विभाग |
7 | सतीश पांडेय | राज्य सेवा अधिकारी |
8 | राजेश तिवारी | राज्य सेवा अधिकारी |
9 | अशोक तिवारी | राज्य सेवा अधिकारी |
10 | हरमन खलखो | राज्य सेवा अधिकारी |
11 | एमएल पांडेय | राज्य सेवा अधिकारी |
12 | पंकज वर्मा | राज्य सेवा अधिकारी |