• 31/07/2025

तलाक के बाद पति की संपत्ति पर पत्नी का कोई हक नहीं, हाईकोर्ट का अहम फैसला

तलाक के बाद पति की संपत्ति पर पत्नी का कोई हक नहीं, हाईकोर्ट का अहम फैसला

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया कि तलाक के बाद पत्नी का पति की संपत्ति पर कोई वैधानिक अधिकार नहीं रहता। कोर्ट ने रायगढ़ सिविल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए एक महिला की अपील खारिज कर दी, जिसमें उसने तलाक के बावजूद पति की संपत्ति पर अधिकार जताया था। हाईकोर्ट ने कहा कि तलाक की डिक्री के बाद पत्नी का वैवाहिक दर्जा समाप्त हो जाता है, जिसके साथ ही संपत्ति पर उत्तराधिकार या स्वामित्व का कोई हक नहीं बचता।

क्या है पूरा मामला?

रायगढ़ के एक युवक, जो जिंदल स्टील में कार्यरत था, ने 11 मई 2007 को जिंदल स्टील प्लांट की एक महिला कर्मचारी से प्रेम विवाह किया था। कुछ साल बाद पत्नी के चरित्र को लेकर दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया और 2010 से वे अलग-अलग रहने लगे। पति ने 2013 में रायगढ़ फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए आवेदन किया, जिसे कोर्ट ने मार्च 2014 में मंजूर कर लिया। 31 मार्च 2014 से दोनों का वैवाहिक संबंध कानूनी तौर पर समाप्त हो गया।

तलाक के बाद संपत्ति पर कब्जा

पति ने रायगढ़ में एक मकान खरीदा था, जिसे किराए पर दिया गया था। तलाक के बाद भी पूर्व पत्नी ने 8-10 लोगों के साथ मिलकर उस मकान पर जबरन कब्जा कर लिया और वहां रहने लगी। पति की शिकायत पर पुलिस ने महिला और अन्य आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 452 (घर में जबरन प्रवेश) और 448/34 के तहत मामला दर्ज किया।

सिविल कोर्ट में दायर किया गया था वाद

महिला ने पति की संपत्ति पर अधिकार जताते हुए रायगढ़ सिविल कोर्ट में सिविल सूट दायर किया। सिविल कोर्ट ने तलाक के आदेश का हवाला देते हुए वाद खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि तलाक के बाद पत्नी का पति की संपत्ति पर कोई वैध अधिकार नहीं बनता।

हाईकोर्ट में अपील भी खारिज

सिविल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए महिला ने बिलासपुर हाईकोर्ट में अपील दायर की, जिसमें दावा किया कि पति उसे संपत्ति से बेदखल नहीं कर सकता। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि 31 मार्च 2014 को तलाक की डिक्री लागू होने के बाद दोनों के वैवाहिक संबंध खत्म हो चुके हैं। कोर्ट ने कहा, “तलाक के बाद पत्नी का दर्जा समाप्त हो जाता है, इसलिए वह पति की संपत्ति पर न तो उत्तराधिकार का दावा कर सकती है और न ही स्वामित्व का।” इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सिविल कोर्ट के फैसले की पुष्टि करते हुए अपील खारिज कर दी।