• 04/05/2025

AIIMS रायपुर के डॉक्टर की फंदे पर झूलती मिली लाश, सुसाइड नोट में लिखा….; मच गया हडकंप

AIIMS रायपुर के डॉक्टर की फंदे पर झूलती मिली लाश, सुसाइड नोट में लिखा….; मच गया हडकंप

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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) से एक दुखद खबर सामने आई है। एम्स में कार्यरत जूनियर डॉक्टर ए. रवि कुमार ने अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। डॉक्टर का शव आज सुबह पंखे से लटकता हुआ मिला, जिसके बाद परिसर में हड़कंप मच गया।

जानकारी के अनुसार, डॉ. ए. रवि कुमार हैदराबाद के निवासी थे और कई वर्षों से रायपुर एम्स में अपनी सेवाएं दे रहे थे। उन्होंने आमानाका थाना क्षेत्र के हर्षित टॉवर में अपने फ्लैट में यह कदम उठाया। सुबह जब उनके सहकर्मियों ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की और कोई जवाब नहीं मिला, तो दरवाजा तोड़कर अंदर प्रवेश किया गया। वहां उनका शव पंखे से लटका हुआ पाया गया।

सुसाइड नोट में मानसिक तनाव की बात

पुलिस को घटनास्थल से एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें डॉ. रवि ने अपनी आत्महत्या का कारण काम का अत्यधिक दबाव और मानसिक तनाव बताया है। नोट में उन्होंने लिखा कि वे लंबे समय से तनाव और अवसाद से जूझ रहे थे, जिसका असर उनकी मानसिक स्थिति पर पड़ा। पुलिस ने सुसाइड नोट को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है ताकि इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि की जा सके। शव को पोस्टमार्टम के लिए मेकाहारा हॉस्पिटल भेजा गया है।

पुलिस जांच और सहकर्मियों में शोक

आमानाका थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह आत्महत्या का मामला प्रतीत होता है, लेकिन सभी पहलुओं की गहन जांच की जा रही है। डॉक्टर के परिवार और सहकर्मियों से पूछताछ की जा रही है ताकि किसी अन्य संभावित कारण का पता लगाया जा सके। इस घटना ने रायपुर एम्स और मेडिकल समुदाय में शोक की लहर दौड़ा दी है। सहकर्मियों ने बताया कि डॉ. रवि एक समर्पित और मेहनती डॉक्टर थे, लेकिन हाल के दिनों में वे तनावग्रस्त दिखाई दे रहे थे।

मेडिकल प्रोफेशन में तनाव का बढ़ता मुद्दा

यह घटना मेडिकल प्रोफेशन में बढ़ते मानसिक दबाव और तनाव के मुद्दे को फिर से सामने लाती है। हाल के दिनों में देशभर में कई डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों द्वारा आत्महत्या के मामले सामने आए हैं, जो इस पेशे में कार्यस्थल के दबाव और मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी को उजागर करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि डॉक्टरों के लिए बेहतर काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत है।