- 20/07/2025
‘नेहा’ निकली अब्दुल, बांग्लादेशी 30 साल तक ट्रांसजेंडर बनकर छिपा, फर्जी दस्तावेजों के साथ गिरफ्तार

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां पुलिस ने बांग्लादेशी नागरिक अब्दुल कलाम को हिरासत में लिया है। अब्दुल पिछले 8-10 साल से भोपाल के बुधवारा इलाके में ‘नेहा किन्नर’ के नाम से ट्रांसजेंडर की पहचान बनाकर रह रहा था। 10 साल की उम्र में भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने वाला अब्दुल करीब दो दशक मुंबई में रहा और फिर भोपाल में बस गया, जहां उसने स्थानीय हिजड़ा समुदाय में शामिल होकर अपनी असली पहचान छिपाई। पुलिस ने अब्दुल को फर्जी दस्तावेजों के साथ गिरफ्तार किया है, जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा और दस्तावेजों की जालसाजी से जुड़े गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जाली दस्तावेजों से बनाई भारतीय नागरिकता
पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि अब्दुल ने स्थानीय एजेंटों की मदद से आधार कार्ड, राशन कार्ड, वोटर आईडी और यहां तक कि भारतीय पासपोर्ट जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज हासिल किए थे। इन जाली दस्तावेजों का उपयोग कर वह न केवल भारत में अपनी पहचान को वैध बनाए रखने में कामयाब रहा, बल्कि कई बार बांग्लादेश की यात्रा भी करता रहा। भोपाल के बुधवारा और मंगलवारा इलाकों में रहते हुए उसने बार-बार घर बदलकर अपनी गतिविधियों को छिपाया और स्थानीय लोग उसे ‘नेहा किन्नर’ के नाम से ही जानते थे।
पुलिस की खुफिया कार्रवाई
भोपाल पुलिस को एक गुप्त सूचना के आधार पर अब्दुल की पहचान का पता चला। तलैया पुलिस ने एक खुफिया अभियान के तहत उसे सोमवार-मंगलवार की मध्यरात्रि में हिरासत में लिया। अतिरिक्त डीसीपी शालिनी दीक्षित ने बताया, “हमें एक मुखबिर से विश्वसनीय जानकारी मिली, जिसके आधार पर उसकी पहचान और गिरफ्तारी हुई। वह पिछले 8-10 साल से भोपाल में रह रहा था और उससे पहले महाराष्ट्र में था। इस दौरान वह जाली भारतीय दस्तावेजों का उपयोग कर बांग्लादेश भी गया। हम केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर जांच कर रहे हैं।”
लिंग परीक्षण और संभावित नेटवर्क की जांच
पुलिस अब यह पता लगाने के लिए अब्दुल का मेडिकल लिंग परीक्षण कराने की तैयारी कर रही है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि उसकी ट्रांसजेंडर पहचान वास्तविक थी या केवल पहचान छिपाने का एक तरीका। जांच में यह भी सामने आया है कि अब्दुल महाराष्ट्र में ट्रांसजेंडर समुदाय की गतिविधियों में सक्रिय था, जिससे आशंका जताई जा रही है कि वह किसी बड़े अवैध इमिग्रेशन और दस्तावेज जालसाजी नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है। पुलिस ने दो स्थानीय युवकों से पूछताछ शुरू की है, जिन्होंने कथित तौर पर अब्दुल को फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराने में मदद की। उसके मोबाइल फोन के कॉल रिकॉर्ड, चैट और सोशल मीडिया खातों की भी जांच की जा रही है ताकि संभावित सीमा-पार संबंधों का पता लगाया जा सके।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल
इस मामले ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को हिलाकर रख दिया है। एक विदेशी नागरिक का 30 साल तक भारत में जाली दस्तावेजों के सहारे रहना और बार-बार विदेश यात्रा करना राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमा सुरक्षा की खामियों को उजागर करता है। खुफिया ब्यूरो और आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) भी जांच में शामिल हो गए हैं। साइबर अपराध विशेषज्ञ अब्दुल के फोन डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या वह किसी आतंकी या अवैध नेटवर्क से जुड़ा था।
अब्दुल को विदेशी अधिनियम के तहत 30 दिनों की हिरासत में रखा गया है और निर्वासन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। हालांकि, पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां पहले उसके पूरे नेटवर्क, गतिविधियों और संपर्कों की गहन जांच कर रही हैं। भोपाल पुलिस आयुक्त हरिनारायणचारी मिश्रा ने बताया कि शहर में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों की पहचान के लिए एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने लोगों से संदिग्ध व्यक्तियों की सूचना देने की अपील की है।
भोपाल पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां इस मामले को एक गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती मान रही हैं। यह घटना आधार, वोटर आईडी और पासपोर्ट जैसे दस्तावेजों की सत्यापन प्रक्रिया में खामियों को उजागर करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला अवैध इमिग्रेशन और पहचान धोखाधड़ी के बड़े नेटवर्क का केवल एक हिस्सा हो सकता है। भोपाल में ट्रांसजेंडर समुदाय के बीच अब्दुल की स्वीकार्यता ने भी सवाल उठाए हैं कि क्या अन्य लोग भी अनजाने में या जानबूझकर इस तरह की गतिविधियों में शामिल हैं।