• 21/10/2025

नहीं रहे ‘अंग्रेजों के जमाने के जेलर’, बॉलीवुड एक्टर असरानी का 84 साल की उम्र में निधन; जानें उनका फिल्मी सफर

नहीं रहे ‘अंग्रेजों के जमाने के जेलर’, बॉलीवुड एक्टर असरानी का 84 साल की उम्र में निधन; जानें उनका फिल्मी सफर

हिंदी सिनेमा के अनोखे हास्य कलाकार गोवर्धन असरानी उर्फ असरानी का सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया। लंबी बीमारी और उम्र संबंधी जटिलताओं से जूझ रहे असरानी पिछले चार-पांच दिनों से जुहू के भारतीय आरोग्य निधि अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन की खबर ने बॉलीवुड और फैंस को गहरा सदमा पहुंचा दिया है।

असरानी के मैनेजर बाबूभाई थीबा ने बताया कि असरानी का निधन दोपहर करीब 4 बजे अस्पताल में हुआ। उनके अंतिम संस्कार को उसी शाम मुंबई के शास्त्री नगर शवदाह गृह में संपन्न कर दिया गया। अंतिम संस्कार में केवल परिजन और करीबी लोग ही मौजूद रहे। परिवार ने मीडिया और बाहरी लोगों को दूरी बनाए रखने का अनुरोध किया था, क्योंकि असरानी स्वयं सादगी पसंद थे और उन्होंने अपनी पत्नी मंजू को निर्देश दिया था कि उनका निधन किसी ‘इवेंट’ में न बदले। एक प्रार्थना सभा का आयोजन बाद में किया जा सकता है।

असरानी का सफर: स्ट्रगल से स्टारडम तक

1 जनवरी 1941 को जयपुर में एक साधारण सिंधी हिंदू परिवार में जन्मे असरानी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल, जयपुर से पूरी की। ग्रेजुएशन राजस्थान कॉलेज से करने के बाद उन्होंने रेडियो आर्टिस्ट के रूप में करियर शुरू किया। 1964 में पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट (FTII) से अभिनय प्रशिक्षण प्राप्त किया।

बॉलीवुड में कदम रखना उनके लिए आसान नहीं था। 1971 में जया भादुरी की फिल्म ‘गुड्डी’ से डेब्यू करने के बावजूद स्ट्रगल लंबा चला। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि निर्देशक गुलजार ने उनके चेहरे को ‘कमर्शियल’ न मानते हुए कहा था, “कुछ अजीब सा चेहरा है।” लेकिन एक बार जब उन्होंने अपनी प्रतिभा दिखाई, तो पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1960 के दशक से सक्रिय असरानी ने 350 से अधिक हिंदी, गुजराती और अन्य भाषा की फिल्मों में काम किया, जिसमें मुख्य भूमिकाओं से लेकर सहायक किरदारों तक सब शामिल हैं।

उनकी कॉमिक टाइमिंग और अनोखा अंदाज उन्हें अमर बना गया। ‘शोले’ (1975) में ‘अंग्रेजों के जमाने का कानून’ कहते हुए जेलर की भूमिका आज भी दर्शकों को ठहाके लगाती है। अन्य यादगार फिल्में हैं:

  • बावर्ची (1972): राजेश खन्ना के साथ हास्यपूर्ण सहायक भूमिका।
  • नमक हराम (1973): अमिताभ बच्चन के साथ।
  • कोशिश (1973): जया बच्चन के साथ संवेदनशील किरदार।
  • चुपके चुपके (1975): धीरेंद्र बोस की भूमिका।
  • छोटी सी बात (1975): अमिताभ बच्चन के साथ दोस्ती का किरदार।

असरानी ने अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, आमिर खान जैसे सितारों के साथ काम किया और हर दौर के प्रमुख निर्देशकों के साथ सहयोग किया। उन्होंने गुजराती सिनेमा में भी योगदान दिया।

निजी जीवन और राजनीति में कदम

असरानी की पत्नी मंजू बंसल ईरानी भी अभिनेत्री हैं। दोनों की मुलाकात फिल्म ‘आज की ताजा खबर’ और ‘नमक हराम’ के सेट पर हुई, जहां प्यार पनपा। शादी के बाद वे कई फिल्मों में साथ नजर आए, जैसे ‘तपस्या’, ‘चांदी सोना’, ‘जुरमाना’, ‘नालायक’ आदि। दंपति के दो बच्चे हैं।

राजनीति में भी असरानी ने रुचि दिखाई। 2004 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी जॉइन की और लोकसभा चुनावों में सक्रिय भूमिका निभाई। हालांकि, उनका मुख्य फोकस सिनेमा ही रहा।

बॉलीवुड की श्रद्धांजलि

असरानी के निधन पर बॉलीवुड सितारे भावुक हो उठे। अक्षय कुमार ने लिखा, “असरानी जी के जाने से स्तब्ध हूं। एक हफ्ते पहले ही ‘हैवान’ के सेट पर गले मिले थे। बहुत प्यारे इंसान थे।” अन्य कलाकारों ने उनकी कॉमिक जीनियस को सलाम किया। असरानी का निधन दिवाली के ठीक पहले हुआ, जब उन्होंने सोशल मीडिया पर गर्मजोशी भरी शुभकामनाएं साझा की थीं।

असरानी अब शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके किरदार—चाहे ‘शोले’ का जेलर हो या ‘चुपके चुपके’ का प्रोफेसर—हमेशा हंसाते रहेंगे। हिंदी सिनेमा ने एक युग का अंत खो दिया है।