• 09/07/2025

बड़ा हादसा: महिसागर नदी पर बना पुल ढहा, 8 की मौत, 5 वाहन नदी में समाए; जांच के आदेश

बड़ा हादसा: महिसागर नदी पर बना पुल ढहा, 8 की मौत, 5 वाहन नदी में समाए; जांच के आदेश

गुजरात के वडोदरा जिले में बुधवार सुबह एक दुखद हादसा हुआ, जब महिसागर नदी पर बना 40 साल पुराना गंभीरा पुल अचानक ढह गया। इस हादसे में 5 वाहन नदी में गिर गए, जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य को बचा लिया गया। हादसे ने वडोदरा और आनंद जिलों को जोड़ने वाले इस महत्वपूर्ण मार्ग को पूरी तरह बाधित कर दिया है।

हादसा सुबह करीब 7:30 बजे हुआ, जब गंभीरा पुल का एक हिस्सा अचानक टूट गया। इस दौरान दो ट्रक, एक ईको वैन, एक पिकअप वैन और एक ऑटो-रिक्शा नदी में गिर गए। दो ट्रक पूरी तरह नदी में समा गए, जबकि एक टैंकर पुल के टूटे हिस्से पर लटका रह गया। हादसे के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई। स्थानीय लोगों, वडोदरा अग्निशमन विभाग, और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमें तुरंत बचाव कार्य में जुट गईं। अब तक 5 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, जिनमें से कुछ को मामूली चोटें आई हैं।

मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश

घटना की गंभीरता को देखते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम को घटनास्थल पर भेजकर हादसे की जांच के आदेश दिए हैं। सड़क एवं भवन विभाग के सचिव पीआर पटेलिया ने कहा, “हमें गंभीरा पुल के क्षतिग्रस्त होने की सूचना मिली है, जिसके कारण यह दुर्घटना हुई। विशेषज्ञों की एक टीम घटनास्थल पर भेज दी गई है, जो हादसे के कारणों की जांच करेगी।”

पुल की जर्जर हालत और पहले से दी गई चेतावनी

1981 में बनकर 1985 में शुरू हुआ यह 900 मीटर लंबा गंभीरा पुल वडोदरा, आनंद, भरूच और सौराष्ट्र क्षेत्र को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण मार्ग था। यह पुल भारी वाहनों, किसानों, और दैनिक यात्रियों के लिए अहम था। हालांकि, समय के साथ इसकी हालत जर्जर हो चुकी थी। स्थानीय विधायक चैतन्य सिंह झाला ने पहले ही इस पुल की खराब स्थिति को लेकर चेतावनी दी थी और नए पुल की मांग की थी। हाल ही में एक स्थानीय टीवी चैनल ने भी इसकी खराब हालत को उजागर करते हुए दुर्घटना की आशंका जताई थी। इसके बावजूद, वाहनों की आवाजाही बंद नहीं की गई।

नए पुल के लिए मंजूरी, लेकिन देरी से उठाया कदम

हादसे के बाद सरकार ने 212 करोड़ रुपये की लागत से नए पुल के निर्माण को मंजूरी दी है। इसके लिए सर्वेक्षण भी पूरा हो चुका है। लेकिन स्थानीय लोग और विपक्षी दल इस बात पर सवाल उठा रहे हैं कि अगर समय रहते कार्रवाई की गई होती, तो यह त्रासदी टाली जा सकती थी। कांग्रेस नेता अमित चावड़ा ने सोशल मीडिया पर कहा, “सरकार को तत्काल बचाव कार्य तेज करने और वैकल्पिक मार्गों की व्यवस्था करने की जरूरत है।”

बचाव कार्य और यातायात प्रभावित

बचाव कार्य में वडोदरा नगर निगम, आपातकालीन प्रतिक्रिया केंद्र, और NDRF की टीमें लगी हैं। स्थानीय गोताखोरों और नावों की मदद से नदी में फंसे लोगों और वाहनों को निकालने का प्रयास जारी है। हादसे ने वडोदरा-आनंद मार्ग पर यातायात को पूरी तरह ठप कर दिया है, जिससे किसानों, व्यापारियों और दैनिक यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वैकल्पिक मार्गों के रूप में वडोदरा से गोटरी, छानी, और निजामपुरा के रास्ते सुझाए गए हैं।

पुरानी अधोसंरचना पर फिर उठे सवाल

यह हादसा एक बार फिर गुजरात में पुरानी और कमजोर अधोसंरचनाओं की स्थिति पर सवाल खड़े करता है। 2019-20 में इस पुल की मरम्मत पर 1.75 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि मरम्मत कार्य अस्थायी और अपर्याप्त था। विशेषज्ञों का मानना है कि भारी वाहनों का दबाव और मानसून के दौरान गड्ढों ने पुल की स्थिति को और कमजोर किया।

अब सभी की नजर जांच रिपोर्ट पर टिकी है, जो हादसे के कारणों और जिम्मेदारियों को स्पष्ट करेगी। साथ ही, सरकार से यह अपेक्षा की जा रही है कि वह भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।