- 16/06/2025
जनगणना 2025: गजट अधिसूचना जारी, जानें आपसे क्या जानकारी ली जाएगी और इसका उपयोग?


भारत में बहुप्रतीक्षित जनगणना और जातिगत जनगणना की प्रक्रिया शुरू करने के लिए गृह मंत्रालय ने जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत आधिकारिक गजट अधिसूचना जारी कर दी है। यह पहला मौका होगा जब देश में जनगणना के साथ-साथ जातिगत जनगणना भी होगी। यह प्रक्रिया डिजिटल तकनीक पर आधारित होगी, जिसमें मोबाइल ऐप्स और स्व-गणना का विकल्प शामिल है। आइए जानते हैं कि जनगणना के दौरान आपसे कौन-सी जानकारियां जुटाई जाएंगी और उनका उपयोग कैसे होगा।
जनगणना की प्रक्रिया और चरण
जनगणना दो मुख्य चरणों—हाउसिंग सेंसेस और पॉपुलेशन सेंसेस—में होगी। पहला चरण 1 फरवरी 2027 तक और दूसरा चरण फरवरी 2027 के अंत तक पूरा होगा। 1 मार्च 2027 की मध्यरात्रि को रेफरेंस तिथि माना जाएगा, जिसके आधार पर आंकड़े दर्ज होंगे। हिमालयी और दुर्गम क्षेत्रों जैसे जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और उत्तराखंड में यह प्रक्रिया अक्टूबर 2026 तक पूरी होगी, जहां 1 अक्टूबर 2026 रेफरेंस तिथि होगी।
इस प्रक्रिया में करीब 34 लाख कर्मचारी हिस्सा लेंगे, जिन्हें डिजिटल उपकरणों और मोबाइल ऐप्स का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशासनिक इकाइयां जैसे जिला, तहसील और पुलिस थाने 31 दिसंबर 2024 तक अपनी तैयारियां पूरी कर लेंगे।
आपसे कौन–सी जानकारी ली जाएगी?
जनगणना के दौरान दो तरह की जानकारियां जुटाई जाएंगी:
- हाउसिंग सेंसेस:
- घर का उपयोग (आवासीय या वाणिज्यिक)
- पेयजल, शौचालय, बिजली जैसी सुविधाओं की उपलब्धता
- संपत्ति का स्वामित्व और वाहनों की संख्या
- घर की स्थिति और निर्माण सामग्री
- पॉपुलेशन सेंसेस:
इस चरण में लगभग 30 सवाल पूछे जाएंगे, जिनमें शामिल होंगे:- नाम, आयु, लिंग, जन्म तिथि
- वैवाहिक स्थिति, शिक्षा, रोजगार
- धर्म, जाति, उप-जाति, और संप्रदाय
- परिवार के मुखिया से रिश्ता
- आवासीय स्थिति और प्रवास (माइग्रेशन) से जुड़े विवरण
इस बार जातिगत जनगणना के तहत OBC, SC, ST और सामान्य श्रेणी की सभी जातियों की जानकारी ली जाएगी। सामाजिक-आर्थिक स्थिति जैसे आय, शिक्षा, और रोजगार का डेटा भी दर्ज होगा। यह 1931 के बाद पहला अवसर है जब जनगणना में सभी जातियों का ब्योरा शामिल किया जाएगा।
जानकारी का क्या होगा उपयोग?
जनगणना से एकत्र डेटा सरकार की नीतियों और योजनाओं का आधार बनेगा। इसके प्रमुख उपयोग निम्न हैं:
- सामाजिक–आर्थिक नीतियां: शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और आवास जैसी योजनाओं को बेहतर बनाने में मदद।
- आरक्षण नीति: जातिगत और सामाजिक-आर्थिक डेटा OBC, SC, ST और अन्य समुदायों के लिए आरक्षण नीतियों को और प्रभावी बनाने में सहायक होगा।
- परिसीमन: जनगणना के आंकड़ों के आधार पर लोकसभा और विधानसभा सीटों का परिसीमन होगा, जिसमें महिलाओं के लिए 33% आरक्षण लागू हो सकता है।
- वित्तीय आवंटन: केंद्रीय वित्त आयोग राज्यों को अनुदान देने के लिए इस डेटा का उपयोग करेगा।
- राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR): NPR को अपडेट करने के लिए जानकारी एकत्र की जाएगी।
- सामाजिक न्याय: जातिगत और आर्थिक असमानता को कम करने वाली योजनाओं के लिए डेटा महत्वपूर्ण होगा।
डिजिटल जनगणना और प्रोफॉर्मा
इस बार जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी। प्रोफॉर्मा में जाति, उप-जाति और OBC के लिए विशेष कॉलम जोड़े गए हैं। गणनाकार घर-घर जाकर जानकारी लेंगे, लेकिन स्व-गणना का विकल्प भी उपलब्ध होगा, जिसके लिए मोबाइल ऐप्स और ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग होगा।
परिसीमन और दक्षिणी राज्यों की चिंता
जनगणना के बाद 2028 में परिसीमन शुरू हो सकता है, जिससे लोकसभा सीटों का आबादी के आधार पर पुनर्गठन होगा। दक्षिणी राज्यों को आशंका है कि उनकी कम जनसंख्या के कारण उनका प्रतिनिधित्व कम हो सकता है। सरकार ने भरोसा दिया है कि उनकी चिंताओं का ध्यान रखा जाएगा।
महिलाओं के लिए आरक्षण
परिसीमन के दौरान महिलाओं के लिए 33% आरक्षण लागू करने की योजना है, जिससे 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले आरक्षित सीटें स्पष्ट हो सकती हैं।
निष्कर्ष
2025 में शुरू हो रही जनगणना और जातिगत जनगणना न केवल आंकड़ों का संग्रह है, बल्कि सामाजिक न्याय, समावेशी विकास और नीतिगत नियोजन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह डेटा देश के भविष्य को और अधिक समृद्ध और समान बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।