- 20/05/2025
ACB-EOW Raid: छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में ACB-EOW की ताबड़तोड़ छापेमारी, 30 से ज्यादा ठिकानों पर कार्रवाई


छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (EOW) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दुर्ग-भिलाई और महासमुंद में 30 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की है। दुर्ग-भिलाई में 22 ठिकानों पर कार्रवाई जारी है। ACB-EOW की टीमें सुबह 4 बजे चार गाड़ियों में भिलाई पहुंचीं और विभिन्न कारोबारियों के घरों व प्रतिष्ठानों पर दबिश दी।
दुर्ग–भिलाई में इन कारोबारियों के ठिकानों पर कार्रवाई
- अशोक अग्रवाल: हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, आम्रपाली अपार्टमेंट
- विनय अग्रवाल: खुर्सीपार
- बंसी अग्रवाल: नेहरू नगर
- एसके केजरीवाल: नेहरू नगर
- संजय गोयल: डायरेक्टर, स्पर्श हॉस्पिटल, नेहरू नगर
- विश्वजीत गुप्ता: बिल्डर, दुर्ग
अशोक अग्रवाल के छावनी चौक, भिलाई के पास फैब्रिकेशन और अन्य कारखाने हैं। वे पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के करीबी माने जाते हैं और उन पर लखमा के साथ मिलकर शराब घोटाले को अंजाम देने का आरोप है। एक टीम ने अशोक अग्रवाल को गाड़ी में पकड़कर उनकी फैक्ट्री ले जाकर दस्तावेजों की जांच की। साथ ही, उनके घर पर भी तलाशी जारी है। धमतरी और महासमुंद में भी जांच चल रही है।
तीन दिन पहले भी हुई थी छापेमारी
ACB-EOW ने तीन दिन पहले कवासी लखमा और उनके करीबियों के 13 ठिकानों पर छापा मारा था। रायपुर, दंतेवाड़ा, सुकमा, जगदलपुर और अंबिकापुर में दस्तावेज, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, बैंक खातों और जमीनों में निवेश से संबंधित दस्तावेज जब्त किए गए। इसके अलावा 19 लाख रुपये नकद भी बरामद हुए।
शराब घोटाला क्या है?
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रहा है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई, जिसमें 2,100 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का दावा किया गया। जांच में पाया गया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट ने घोटाले को अंजाम दिया। 2019 से 2022 तक सरकारी शराब दुकानों से डुप्लीकेट होलोग्राम के साथ अवैध शराब बेची गई, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ।
ED का आरोप: लखमा थे सिंडिकेट का हिस्सा
ED का दावा है कि पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा शराब सिंडिकेट के अहम हिस्सा थे। उनके निर्देश पर सिंडिकेट संचालित होता था और शराब नीति में बदलाव में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। इस बदलाव से FL-10 लाइसेंस की शुरुआत हुई। ED का कहना है कि लखमा को शराब घोटाले की गड़बड़ियों की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की।
कमीशन से बेटे का घर और कांग्रेस भवन का निर्माण
ED के वकील सौरभ पांडेय के अनुसार, तीन साल तक चले घोटाले में लखमा को हर महीने 2 करोड़ रुपये मिलते थे, यानी 36 महीनों में कुल 72 करोड़ रुपये। इस राशि का उपयोग उनके बेटे हरीश कवासी के घर और सुकमा में कांग्रेस भवन के निर्माण में किया गया। ED का दावा है कि शराब घोटाले से सरकारी खजाने को 2,100 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।
घोटाले की कार्यप्रणाली
ED के अनुसार, 2019 से 2022 के बीच शराब घोटाला निम्नलिखित तरीकों से हुआ:
- पार्ट-A कमीशन: CSMCL (शराब खरीद-बिक्री का राज्य निकाय) द्वारा डिस्टिलर्स से प्रति ‘केस’ रिश्वत ली गई।
- पार्ट-B कच्ची शराब की बिक्री: बिना हिसाब की देसी शराब की बिक्री हुई, जिसका एक भी पैसा सरकारी खजाने में नहीं पहुंचा। यह शराब सरकारी दुकानों से बेची गई।
- पार्ट-C कमीशन: शराब निर्माताओं से कार्टेल बनाने और बाजार में हिस्सेदारी के लिए रिश्वत ली गई। FL-10 A लाइसेंस धारकों से भी कमीशन लिया गया।
FL-10 लाइसेंस क्या है?
FL-10 (फॉरेन लिकर-10) लाइसेंस छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा विदेशी शराब की खरीद के लिए जारी किया गया। इस लाइसेंस के तहत कंपनियां निर्माताओं से शराब लेकर सरकार को सप्लाई करती थीं। यह लाइसेंस खरीद, भंडारण और परिवहन के लिए था, लेकिन भंडारण और परिवहन का काम बेवरेज कॉर्पोरेशन को सौंपा गया।
- FL-10 A: लाइसेंस धारक देश के किसी भी राज्य के निर्माताओं से इंडियन मेड विदेशी शराब खरीदकर सरकार को बेच सकते हैं।
- FL-10 B: राज्य के शराब निर्माताओं से विदेशी ब्रांड की शराब खरीदकर सरकार को बेच सकते हैं।
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ACB-EOW की कार्रवाई तेज हो गई है। कवासी लखमा और उनके करीबियों पर शिकंजा कस रहा है। ED की जांच और ACB की छापेमारी से इस घोटाले के कई नए खुलासे होने की उम्मीद है।