- 18/09/2025
शराब घोटाले में बड़ी कार्रवाई, रिटायर्ड IAS को EOW ने किया गिरफ्तार, जानें क्या थी भूमिका?

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले के मामले में आर्थिक अपराध विंग (ईओडब्ल्यू) ने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी निरंजन दास को गिरफ्तार कर लिया है। पूर्व आबकारी आयुक्त दास पर कांग्रेस सरकार के दौरान घोटाले के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का गंभीर आरोप है। गिरफ्तारी के बाद ईओडब्ल्यू उन्हें रिमांड पर लेकर गहन पूछताछ करेगी, और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में घोटाले की कई नई परतें उजागर होंगी।
ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आया है कि निरंजन दास ने पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, तत्कालीन विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर और अन्य के साथ मिलकर एक शक्तिशाली सिंडिकेट खड़ा किया था। इस गिरोह ने सरकारी शराब दुकानों में कमीशन तय करने, डिस्टिलरियों से अतिरिक्त शराब बनवाने, विदेशी ब्रांड की अवैध सप्लाई कराने और डुप्लीकेट होलोग्राम के जरिए अनियमित शराब बेचने जैसी गतिविधियों से राज्य को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के अनुसार, यह सिंडिकेट 2019 से 2022 के बीच सक्रिय रहा, जिसमें वित्तीय अनियमितताओं के जरिए भारी कमाई की गई।
टेंडर दिलाने में निभाई थी प्रमुख भूमिका
चार्जशीट में दर्ज विवरण के मुताबिक, नोएडा की प्रिज्म होलोग्राफिक सिक्योरिटी फिल्म्स (जिसके मालिक विधु गुप्ता हैं) को टेंडर दिलाने में निरंजन दास की अहम भूमिका रही। कंपनी अयोग्य होने के बावजूद दास, त्रिपाठी और टुटेजा ने टेंडर शर्तें बदलकर इसे अवैध रूप से आवंटित कर दिया। इसके बाद डुप्लीकेट होलोग्राम बनाकर अवैध शराब की बिक्री को वैध ठहराया गया। प्रति होलोग्राम आठ पैसे का कमीशन तय हुआ, जिससे राज्य को करीब 1,200 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। ईओडब्ल्यू ने जुलाई 2024 में इस कंपनी के छत्तीसगढ़ राज्य प्रमुख दिलीप पांडे को गिरफ्तार किया था, जो इस घोटाले का एक हिस्सा था।
झारखंड कनेक्शन: नीति बदलाव की साजिश
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि दास और सिंडिकेट ने झारखंड की आबकारी नीति बदलवाने की साजिश रची। जनवरी 2022 में अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी के साथ झारखंड अधिकारियों से बैठक कर छत्तीसगढ़ मॉडल को लागू कराया गया, जिससे वहां के खजाने को भारी नुकसान हुआ। सितंबर 2024 में झारखंड एसीबी ने निरंजन दास सहित सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, और मई-जून 2025 में दो आईएएस अधिकारियों (विनय चौबे और अमित प्रकाश) की गिरफ्तारी हुई। रिटायरमेंट के बाद फरवरी 2023 में पूर्व कांग्रेस सरकार ने दास को संविदा पर आबकारी आयुक्त बनाया था। निरंजन दास की अग्रिम जमानत याचिकाएं कई बार खारिज हो चुकी हैं, और मई 2024 में उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम राहत मिली थी, लेकिन अब यह समाप्त हो गई है।
जानिए क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला?
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ईडी जांच कर रही है, जिसने एसीबी में एफआईआर दर्ज कराई है। दर्ज एफआईआर में 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ईडी ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल (2019-2022) में आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी अरुणपति त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया। ईडी ने जुलाई 2023 में नोएडा में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया, मई 2024 में 205 करोड़ की संपत्ति जब्त की, और अगस्त 2025 की चार्जशीट में 248 करोड़ के अवैध मुनाफे का जिक्र किया। फरवरी 2024 में एसीबी/ईओडब्ल्यू ने निरंजन दास के आवास सहित ठिकानों पर छापे मारे। ईओडब्ल्यू ने जुलाई 2025 में 5,000 पन्नों का चालान पेश किया, जिसमें आबकारी विभाग के 29 अधिकारियों की भूमिका बताई गई, और अगस्त 2025 में छठी चार्जशीट दाखिल की गई।
फरवरी 2019 में बना था सिंडिकेट
कारोबारी अनवर ढेबर ने सिंडिकेट बनाने के लिए फरवरी 2019 में जेल रोड स्थित होटल वेनिंगटन में प्रदेश के तीन डिस्टिलरी मालिकों को बुलाया। इस मीटिंग में छत्तीसगढ़ डिस्टिलरी से नवीन केडिया, भाटिया वाइंस प्राइवेट लिमिटेड से भूपेंदर पाल सिंह भाटिया और प्रिंस भाटिया, तथा वेलकम डिस्टिलरी से राजेंद्र जायसवाल उर्फ चुन्नू जायसवाल, हीरालाल जायसवाल और नवीन केडिया के संपर्क अधिकारी संजय फतेहपुरिया शामिल हुए। मीटिंग में एपी त्रिपाठी और अरविंद सिंह भी मौजूद थे। अनवर ढेबर ने तय किया कि डिस्टिलरी से सप्लाई होने वाली शराब पर प्रति पेटी कमीशन देना होगा। कमीशन के बदले रेट बढ़ाने का आश्वासन दिया गया। पैसे का हिसाब-किताब करने के लिए कारोबार को ए, बी और सी पार्ट में बांटा गया।
सरकारी कागजों पर रिकॉर्ड नहीं चढ़ाने की हिदायत
शराब की दुकान संचालकों को सरकारी कागजों पर शराब की खपत दर्ज न करने की सलाह दी गई। बिना शुल्क चुकाए दुकानों तक डुप्लीकेट होलोग्राम वाली शराब पहुंचाई गई। जांच एजेंसी ने आरोप पत्र में कहा है कि आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार फरवरी 2019 से शुरू हुआ था। ईओडब्ल्यू ने जनवरी 2024 में रायपुर में एफआईआर दर्ज की, जिसमें 70 से अधिक नाम शामिल हैं, जैसे पूर्व मंत्री कवासी लखमा, अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर आदि।
ऐसे हुई अवैध शराब बेचने की शुरुआत
शुरुआत में डिस्टिलरी से हर महीने 800 पेटी शराब से भरे 200 ट्रक निकलते थे। एक पेटी 2,840 रुपये में बिकती थी। उसके बाद, हर महीने 400 ट्रक शराब की आपूर्ति होने लगी, जो 3,880 रुपये प्रति पेटी बेची गई। ईओडब्ल्यू की शुरुआती जांच में पता चला है कि तीन साल में 60 लाख से ज्यादा पेटी शराब अवैध रूप से बेची गई। इससे राज्य को 6,000 करोड़ रुपये तक का नुकसान होने का अनुमान है।
ईओडब्ल्यू और ईडी की संयुक्त जांच जारी है, और इस गिरफ्तारी से सिंडिकेट के अन्य सदस्यों पर दबाव बढ़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2023 में ईडी को आगे जांच की अनुमति दी थी, लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोपों के बीच मामला संवेदनशील बना हुआ है।