• 09/10/2025

बड़ी खबर: शराब घोटाला केस में सुप्रीम कोर्ट ने कस दी जांच एजेंसियों पर नकेल, ED और EOW को…

बड़ी खबर: शराब घोटाला केस में सुप्रीम कोर्ट ने कस दी जांच एजेंसियों पर नकेल, ED और EOW को…

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को सख्त निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने दोनों एजेंसियों को 3 महीने के भीतर जांच पूरी कर दिसंबर 2025 के आखिरी सप्ताह तक फाइनल रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। सितंबर 2025 के अंतिम सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश अपलोड किया था।

जांच में तेजी, 30 अधिकारियों से पूछताछ

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ED और EOW ने जांच में तेजी ला दी है। ED वर्तमान में आबकारी विभाग के 30 अधिकारियों के बयान दर्ज कर रही है, जिनमें 7 रिटायर्ड अधिकारी भी शामिल हैं। ED के वकील सौरभ पांडे ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इस मामले की जांच को लगभग 2 साल हो चुके हैं। इसे अब तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाना होगा। हम निर्धारित समय के भीतर फाइनल रिपोर्ट पेश करेंगे।”

13 याचिकाएं खारिज, जमानत पर भी रोक

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एम.एम. सुन्दरेश और जस्टिस सतीश चन्द्र शर्मा की खंडपीठ ने शराब घोटाले से जुड़ी 13 याचिकाओं पर सुनवाई की थी। इनमें छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में दर्ज FIR, ED की ECIR और जमानत याचिकाएं शामिल थीं। इनमें IAS अधिकारी अनिल टुटेजा की जमानत याचिका भी थी। कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए ED और EOW को 3 महीने में जांच पूरी कर पूरक आरोपपत्र दायर करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद याचिकाकर्ता नियमित या अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।

भूपेश बघेल के बेटे समेत 10 से ज्यादा गिरफ्तार

EOW के अनुसार, इस मामले में विदेशी शराब पर सिंडिकेट द्वारा लिए गए कमीशन का विश्लेषण किया जा रहा है। अब तक पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, अरुणपति त्रिपाठी, अरविंद सिंह, अनवर ढेबर, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अनुराग द्विवेदी, अमित सिंह, दीपक दुआरी, दिलीप टुटेजा और सुनील दत्त को गिरफ्तार किया जा चुका है। इसके अलावा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को भी शराब घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?

ED की जांच के अनुसार, यह घोटाला 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का है। जांच में सामने आया कि तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी अरुणपति त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के नेतृत्व में एक सिंडिकेट ने इस घोटाले को अंजाम दिया। सिंडिकेट ने शराब की बिक्री से अवैध कमाई की, जिसमें नकली होलोग्राम वाली शराब की बिक्री और डिस्टलरी संचालकों से कमीशन वसूली शामिल थी।

अनवर ढेबर ने बनाया था सिंडिकेट

EOW की जांच के अनुसार, अनवर ढेबर ने फरवरी 2019 में रायपुर के होटल वेनिंगटन में डिस्टलरी मालिकों की मीटिंग बुलाकर सिंडिकेट बनाया था। इसमें छत्तीसगढ़ डिस्टलरी के नवीन केडिया, भाटिया वाइंस के भूपेंद्र पाल सिंह भाटिया, प्रिंस भाटिया, वेलकम डिस्टलरी के राजेंद्र जायसवाल और अन्य शामिल थे। मीटिंग में प्रति पेटी कमीशन तय किया गया, जिसके बदले शराब की कीमतें बढ़ाने का आश्वासन दिया गया।

घोटाले का A, B, C मॉडल

ED और EOW की जांच में घोटाले को तीन श्रेणियों में बांटा गया:

A (कमीशन): डिस्टलरी संचालकों से प्रति पेटी 75-100 रुपये कमीशन लिया गया। कीमतें बढ़ाकर और ओवर बिलिंग की छूट देकर डिस्टलरी मालिकों को नुकसान से बचाया गया।

B (नकली होलोग्राम): नकली होलोग्राम वाली शराब सरकारी दुकानों में बेची गई। होलोग्राम सप्लायर विधु गुप्ता और अरविंद सिंह ने इसकी व्यवस्था की। इस शराब की एमआरपी 2,880 रुपये से बढ़ाकर 3,840 रुपये प्रति पेटी की गई।

C (सप्लाई जोन): डिस्टलरी के सप्लाई जोन को 8 हिस्सों में बांटकर कमीशन वसूला गया। तीन वित्तीय वर्षों में 52 करोड़ रुपये इस तरह वसूले गए।

नकली शराब की बिक्री और मनी लॉन्ड्रिंग

जांच में पता चला कि अनवर ढेबर को 90 करोड़ रुपये से अधिक की राशि मिली, जिसे उन्होंने रिश्तेदारों और CA के नाम पर कई कंपनियों में निवेश किया। विकास अग्रवाल और सुब्बू ने शराब दुकानों से पैसे वसूलने में अहम भूमिका निभाई। सिंडिकेट ने 40 लाख पेटी नकली शराब बेची, जिसका रिकॉर्ड सरकारी कागजों में दर्ज नहीं किया गया।

आगे क्या?

सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख के बाद ED और EOW जांच को तेजी से पूरा करने में जुटी हैं। दिसंबर 2025 तक फाइनल रिपोर्ट पेश होने के बाद इस मामले में और खुलासे होने की संभावना है।