• 30/04/2025

छत्तीसगढ़: NHM कर्मचारी 1 मई को करेंगे स्वास्थ्य भवन का घेराव, वेतन के भी पड़े लाले.. विधानसभा में की घोषणा भी अधूरी, अब 18 सूत्रीय मांग को लेकर आंदोलन

छत्तीसगढ़: NHM कर्मचारी 1 मई को करेंगे स्वास्थ्य भवन का घेराव, वेतन के भी पड़े लाले.. विधानसभा में की घोषणा भी अधूरी, अब 18 सूत्रीय मांग को लेकर आंदोलन

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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के कर्मचारी अपनी लंबे समय से लंबित मांगों को लेकर 1 मई 2025 को नवा रायपुर स्थित स्वास्थ्य भवन का घेराव करेंगे। छत्तीसगढ़ प्रदेश NHM कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष डॉ. अमित मिरी के नेतृत्व में यह आंदोलन समय पर वेतन न मिलने, संविलियन, ग्रेड पे स्केल निर्धारण, मेडिकल अवकाश, और क्लिनिकल एवं मैनेजमेंट वर्ग के लिए पब्लिक हेल्थ कैडर की मांग को लेकर किया जा रहा है। दुर्ग जिला अध्यक्ष डॉ. आलोक शर्मा ने बताया कि संघ पिछले 20 वर्षों से इन मांगों को उठा रहा है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

20 साल बाद भी अनसुनी मांगें

NHM को लागू हुए दो दशक बीत चुके हैं, लेकिन कर्मचारियों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। डॉ. शर्मा ने बताया कि मणिपुर, मध्य प्रदेश, और तमिलनाडु जैसे राज्यों में NHM कर्मचारियों को नियमितीकरण, मेडिकल अवकाश, और बेहतर सेवा शर्तें दी जा चुकी हैं। तमिलनाडु में समयबद्ध नियमितीकरण लागू है, जबकि मध्य प्रदेश में मातृत्व अवकाश सहित कई बेहतर नीतियां बनाई गई हैं। इसके विपरीत, छत्तीसगढ़ में कर्मचारी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।

27% वेतन वृद्धि का लाभ अधर में

जुलाई 2023 में छत्तीसगढ़ विधानसभा में NHM कर्मचारियों के लिए 27% वेतन वृद्धि की घोषणा की गई थी, लेकिन अप्रैल 2025 तक यह राशि कर्मचारियों को नहीं मिली है। डॉ. शर्मा ने बताया कि कई अन्य विभागों को इस वृद्धि का लाभ मिल चुका है, लेकिन NHM कर्मचारी इससे वंचित हैं। इसके अलावा, मार्च-अप्रैल 2025 का वेतन भी कई कर्मचारियों को नहीं मिला है, जिससे वे आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं।

कर्मचारियों की आर्थिक बदहाली

प्रदेश मीडिया प्रभारी पूरन दास ने बताया कि समय पर वेतन न मिलने से कर्मचारी गंभीर आर्थिक संकट में हैं। कई कर्मचारियों को घर का किराया, बच्चों की स्कूल फीस, वृद्ध माता-पिता की दवाइयां, और दैनिक जरूरतों के लिए उधार लेना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, “कोरोना काल में अपनी जान जोखिम में डालकर काम करने वाले ये कोरोना योद्धा आज तिल-तिल मरने को मजबूर हैं।”