• 09/09/2025

‘नहीं माने तो अच्छा नहीं होगा’.. अमेरिका की भारत को धमकी; अब तो लांघ दी सारी सीमाएं

‘नहीं माने तो अच्छा नहीं होगा’.. अमेरिका की भारत को धमकी; अब तो लांघ दी सारी सीमाएं

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बदलते रुख के बीच व्हाइट हाउस के वरिष्ठ व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने इस दफे सारी सीमाएं लांघते हुए भारत को धमकी दी है। सोमवार को ‘रियल अमेरिकाज वॉयस’ कार्यक्रम में बातचीत के दौरान नवारो ने भारत को चेतावनी दी कि व्यापार वार्ताओं में अमेरिका की बात माननी ही पड़ेगी, वरना नई दिल्ली रूस और चीन के साथ खड़ी नजर आएगी और यह उसके लिए ‘अच्छा नहीं’ होगा। हाल ही में ट्रंप ने भारत के साथ ‘विशेष संबंध’ होने की बात कही थी, लेकिन नवारो का यह तेवर व्यापारिक तनाव को और गहरा सकता है।

नवारो ने कहा, “भारत को किसी न किसी समय अमेरिका के साथ व्यापार वार्ताओं पर सहमत होना ही पड़ेगा। अगर ऐसा नहीं होता, तो यह रूस और चीन के साथ लेटने जैसा होगा, और भारत के लिए अच्छा नहीं होगा।” उन्होंने भारत को ‘टैरिफ का महाराज’ (Maharaja of Tariffs) करार देते हुए कहा कि भारतीय सरकार को यह टिप्पणी बुरी लगी है, लेकिन यह ‘बिल्कुल सही’ है। नवारो का दावा है कि दुनिया के किसी भी बड़े देश में अमेरिका के खिलाफ सबसे ऊंचे शुल्क भारत ही लगाता है, और इससे निपटना जरूरी है।

BRICS पर तंज: ‘वैम्पायर की तरह खून चूसते हैं’

बीआरआईसीएस (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका समेत अब 10 सदस्यीय समूह) देशों पर नवारो ने तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “इस समूह का कोई भी देश तब तक जीवित नहीं रह सकता जब तक वे अमेरिका को अपना माल नहीं बेचते। और जब वे अमेरिका को निर्यात करते हैं, तो अपनी अनुचित व्यापार नीतियों से वैम्पायर की तरह हमारी नसों का खून चूसते हैं।” नवारो ने बीआरआईसीएस गठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठाते हुए कहा, “मैं नहीं देखता कि यह गठबंधन कैसे टिका रह सकता है, क्योंकि ऐतिहासिक रूप से ये देश एक-दूसरे से नफरत करते हैं और एक-दूसरे को मारते हैं।”

उन्होंने भारत-चीन संबंधों पर भी तंज कसा। नवारो ने कहा, “भारत दशकों से चीन के साथ युद्ध लड़ रहा है। और मुझे अभी याद आया, हां, पाकिस्तान को परमाणु बम चीन ने ही दिया था। अब आपके पास हिंद महासागर में चीनी झंडे वाले हवाई जहाज घूम रहे हैं। (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी, देखिए आप इसे कैसे संभालते हैं।” इसके अलावा, उन्होंने रूस-चीन संबंधों को ‘बिस्तर पर साथ’ करार दिया और ब्राजील की अर्थव्यवस्था को ‘सोशलिस्ट नीतियों’ से बर्बाद बताते हुए पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो का जिक्र किया।

रूस से तेल आयात पर निशाना: ‘मुनाफाखोरी का रुख’

नवारो ने रूस से तेल आयात को लेकर भारत की आलोचना जारी रखी। उन्होंने दावा किया कि रूस के यूक्रेन पर आक्रमण से पहले भारत ने मॉस्को से ‘बहुत थोड़ी मात्रा’ में तेल खरीदा था। “इसके बाद भारत ने मुनाफाखोरी का रुख अपना लिया, जहां रूसी रिफाइनर भारत की जमीन पर आकर लाभ कमा रहे हैं, और अमेरिकी करदाताओं को इस संघर्ष के लिए और अधिक पैसा भेजना पड़ता है।” नवारो ने कहा कि भारत को रूसी तेल खरीदना बंद करना चाहिए, क्योंकि ‘शांति का रास्ता आंशिक रूप से नई दिल्ली से होकर गुजरता है।’ उन्होंने यूरोप और चीन पर भी रूसी तेल खरीद बंद करने का दबाव डाला, लेकिन चीन पर पहले से 50% से अधिक टैरिफ लगने का हवाला दिया।

एक्स पोस्ट में सोशल मीडिया पर आरोप

इससे पहले, नवारो ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट में भारत पर दुष्प्रचार फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा, “भारत दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है और वह एक्स पर दुष्प्रचार फैलाने वाले बस कुछ लाख लोगों को ही जगह दे सकता है ताकि किसी जनमत सर्वेक्षण के साथ छेड़छाड़ कर सके। कितना बड़ा मजाक है। अमेरिका: देखो कि किस तरह विदेशी हित हमारे सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए करते हैं।” यह पोस्ट उनके एक पोल पर फैक्ट-चेकिंग के बाद आया, जहां भारतीय उपयोगकर्ताओं ने उनके दावों को चुनौती दी थी।

पृष्ठभूमि: ट्रंप की टैरिफ नीति और भारत-अमेरिका संबंध

नवारो के बयान ट्रंप प्रशासन की आक्रामक व्यापार नीति के बीच आ रहे हैं, जिसमें अगस्त 2025 में भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ लगाए गए थे। ट्रंप ने हाल ही में पीएम मोदी को ‘मित्र’ कहा था और भारत-अमेरिका संबंधों को ‘विशेष’ बताया था, लेकिन नवारो जैसे सलाहकारों का रुख कठोर बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति अमेरिका-भारत संबंधों को कमजोर कर रही है और बीआरआईसीएस को मजबूत कर सकती है। अर्थशास्त्री जेफरी सैक्स ने इसे ‘अमेरिकी विदेश नीति की सबसे मूर्खतापूर्ण चाल’ करार दिया है।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने अभी तक नवारो के बयानों पर सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन बीआरआईसीएस वर्चुअल समिट में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि समूह को निष्पक्ष आर्थिक प्रथाओं को बढ़ावा देना चाहिए और व्यापार बाधाओं को बढ़ाना मददगार नहीं होगा।