• 09/04/2025

घटेगी EMI: RBI ने लगातार दूसरी बार रेपो रेट में 0.25% की कटौती की घोषणा की

घटेगी EMI: RBI ने लगातार दूसरी बार रेपो रेट में 0.25% की कटौती की घोषणा की

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आम लोगों को बड़ी राहत देते हुए रेपो रेट में लगातार दूसरी बार 0.25% की कटौती का ऐलान किया है। यह फैसला 7-9 अप्रैल, 2025 को हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में लिया गया। इस कटौती के बाद रेपो रेट अब 6.25% से घटकर 6% हो गया है। इससे होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन जैसी ब्याज दरों में कमी आने की उम्मीद है, जिसका सीधा असर लोगों की मासिक किस्त (EMI) पर पड़ेगा।

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आज सुबह 10 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस फैसले की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह कटौती आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और महंगाई को नियंत्रित करने के संतुलन को ध्यान में रखकर की गई है। इससे पहले फरवरी 2025 में भी RBI ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की थी, जो पिछले पांच साल में पहली कटौती थी। अब लगातार दूसरी बार यह कदम उठाया गया है, जो मध्यम वर्ग के लिए खुशखबरी लेकर आया है।

EMI पर क्या होगा असर?

रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है। जब यह दर घटती है, तो बैंक भी अपने ग्राहकों को सस्ते कर्ज की पेशकश करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कटौती से बैंकों के ब्याज दरों में कमी आएगी, जिससे फ्लोटिंग रेट वाले लोन की EMI में राहत मिलेगी। उदाहरण के लिए, अगर किसी ने 50 लाख रुपये का होम लोन 20 साल के लिए 8.75% ब्याज दर पर लिया है, तो उसकी EMI लगभग 44,186 रुपये है। 0.25% की कटौती के बाद अगर ब्याज दर 8.5% हो जाती है, तो EMI घटकर 43,391 रुपये हो सकती है। इससे हर महीने करीब 795 रुपये की बचत होगी।

अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा

RBI के इस कदम से न केवल कर्ज लेने वाले लोगों को फायदा होगा, बल्कि इससे उपभोग और निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा। रियल एस्टेट सेक्टर, ऑटोमोबाइल और अन्य उद्योगों में मांग बढ़ने की संभावना है। हालांकि, यह लाभ तभी मिलेगा जब बैंक इस कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों तक पहुंचाएंगे। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि बैंकों को अपनी नीतियों के आधार पर दरें कम करने में कुछ समय लग सकता है।

भविष्य की उम्मीदें

महंगाई के हाल के रुझानों को देखते हुए विश्लेषकों का अनुमान है कि अगर यह स्थिर रहती है, तो RBI आने वाले महीनों में और कटौती कर सकता है। इससे मध्यम वर्ग को और राहत मिलने की उम्मीद है। फिलहाल, यह फैसला कर्ज लेने वालों और अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है।