• 05/10/2025

14 बच्चों की मौत के बाद जागी सरकार, ‘जहरीली कफ सिरप’ लिखने वाला डॉक्टर गिरफ्तार, दवा कंपनी पर केस

14 बच्चों की मौत के बाद जागी सरकार, ‘जहरीली कफ सिरप’ लिखने वाला डॉक्टर गिरफ्तार, दवा कंपनी पर केस

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में ‘कोल्डरिफ’ कफ सिरप के सेवन से 11 बच्चों की मौत के मामले में राज्य सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। सिरप में जहरीले रसायन डाईथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की पुष्टि के बाद इसे पूरे राज्य में बैन कर दिया गया। परासिया के सरकारी डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार किया गया है, जिन पर मृत बच्चों को यह सिरप लिखने का आरोप है। साथ ही, दवा बनाने वाली कंपनी ‘श्रीसन फार्मास्युटिकल्स’ के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया है।

क्या है मामला?

जुलाई-सितंबर 2025 के बीच छिंदवाड़ा के परासिया क्षेत्र में सर्दी-खांसी के इलाज के लिए दी गई ‘कोल्डरिफ’ कफ सिरप से बच्चों में किडनी फेलियर की शिकायत सामने आई। अब तक 11 बच्चों की मौत हो चुकी है, जिनमें 10 छिंदवाड़ा और 1 पंधुरना जिले का है। मृतकों में परासिया के 11, छिंदवाड़ा शहर के 2 और चौराई का 1 बच्चा शामिल है। 13 अन्य बच्चे, जिनमें 8 छिंदवाड़ा और नागपुर में भर्ती हैं, इलाजरत हैं।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रभावित परिवारों को 4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और इलाज का खर्च वहन करने की घोषणा की। उन्होंने एक्स पर लिखा, “छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत बेहद दुखद है। कोल्डरिफ सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।”

डॉक्टर पर आरोप

परासिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी नौकरी के साथ निजी क्लिनिक चलाकर बच्चों को ‘कोल्डरिफ’ सिरप लिखा। परासिया थाने में ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर अंकित सहलाम की शिकायत पर उनके खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की धारा 27(ए) और भारतीय न्याय संहिता की धाराओं 105 व 276 के तहत केस दर्ज हुआ। शनिवार रात डॉ. सोनी को गिरफ्तार कर लिया गया। जांच में पाया गया कि मृत बच्चों को उनके क्लिनिक में यह सिरप दिया गया था, जिससे किडनी में संक्रमण फैला।

कंपनी के खिलाफ कार्रवाई

तमिलनाडु की ‘श्रीसन फार्मास्युटिकल्स’ के खिलाफ भी उसी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। दवा के नमूनों में 48.6% DEG पाया गया, जो एक विषाक्त औद्योगिक रसायन है। इसके बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल और तमिलनाडु ने कंपनी के सभी उत्पादों पर बैन लगा दिया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने छह राज्यों में दवा इकाइयों की जांच शुरू की है।

आगे की जांच

राज्य सरकार ने विशेषज्ञों की समिति बनाई है जो मौतों के कारणों की जांच करेगी। NCDC, NIV, ICMR और AIIMS-नागपुर की टीमें सैंपल विश्लेषण में जुटी हैं।