- 11/06/2025
हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: युक्तियुक्तकरण में गड़बड़ी के मामले में 70 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई, जानें हाईकोर्ट ने क्या कहा?

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में अनियमितताओं के आरोपों से संबंधित 70 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हुई। जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की एकल पीठ ने प्रदेश भर के कलेक्टर्स को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता शिक्षक जिला स्तरीय समिति के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत करें। कोर्ट ने बिलासपुर संभाग के शिक्षकों को 13 जून तक अभ्यावेदन दाखिल करने और समिति को 16 जून तक निराकरण करने का आदेश दिया। रायपुर, बस्तर, सरगुजा और दुर्ग संभाग के शिक्षकों के लिए भी 13 जून तक अभ्यावेदन और 17 जून तक निराकरण की समय सीमा तय की गई है।
किन शिक्षकों को मिली राहत?
कोर्ट ने उन शिक्षकों को अभ्यावेदन का अवसर दिया है, जिन्होंने युक्तियुक्तकरण के तहत काउंसलिंग के बाद नई जगह पर जॉइनिंग नहीं की। शिक्षकों ने युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन, अतिशेष घोषित करने और अन्य खामियों को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की थी। गुरुवार को इस मामले में 300 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई होगी।
युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया पर उठे सवाल
याचिकाकर्ता शिक्षकों की ओर से अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि स्कूल शिक्षा विभाग की युक्तियुक्तकरण नीति मनमानी और गैर-कानूनी है। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया में कई खामियां हैं, जैसे शिक्षकों को दावा-आपत्ति का अवसर न देना, रात में अतिशेष सूची जारी करना और सुबह काउंसलिंग के लिए बुलाना। यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है। साथ ही, परिवीक्षा अवधि वाले शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण से छूट देना संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) के खिलाफ बताया गया। अधिवक्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि शिक्षकों को “अतिशेष” घोषित करने का निर्णय बिना सुनवाई के लिया गया, जो नियमों के विरुद्ध है।
याचिकाकर्ताओं की मांग
शिक्षकों ने युक्तियुक्तकरण नीति को खारिज करने की मांग की है, इसे गैर-कानूनी और भेदभावपूर्ण बताते हुए। कोर्ट ने जिला स्तरीय समितियों को शिक्षकों के अभ्यावेदन पर विचार कर समयबद्ध तरीके से निर्णय लेने का निर्देश दिया है। यह मामला शिक्षकों के बीच व्यापक असंतोष को दर्शाता है, और आगे की सुनवाई पर सबकी नजरें टिकी हैं।