- 24/06/2025
कैसे रुकी ईरान-इजरायल जंग, किन शर्तों पर हुआ सीजफायर, 12 दिन चले युद्ध में किसे क्या नफा, क्या नुकसान, जानें पूरी कहानी


12 दिन तक चले ईरान और इजरायल के बीच भीषण युद्ध का अंत 24 जून 2025 को एक युद्धविराम (सीजफायर) के साथ हुआ। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता और कतर की कूटनीतिक भूमिका ने इस युद्ध को रोकने में निर्णायक योगदान दिया। इस युद्धविराम की शर्तें, युद्ध के नफा-नुकसान और इसके पीछे की कहानी ने वैश्विक ध्यान खींचा है। आइए, जानते हैं कि यह युद्ध कैसे रुका और दोनों पक्षों का क्या हुआ।
युद्ध की शुरुआत: क्यों भड़की जंग?
13 जून 2025 को इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज और इस्फहान—पर हवाई हमले किए, यह दावा करते हुए कि ईरान 15 परमाणु हथियार बना रहा था, जो इजरायल के लिए खतरा था। जवाब में, ईरान ने इजरायल के तेल अवीव, यरुशलम और बेयर शेवा पर बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक मिसाइलों से हमले शुरू किए। युद्ध में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को भारी नुकसान पहुंचाया, लेकिन 11वें दिन अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स और GBU-57 बंकर बस्टर बमों से हमले किए, जिसने युद्ध का रुख मोड़ दिया।
युद्धविराम कैसे हुआ?
युद्धविराम की प्रक्रिया में अमेरिका और कतर की भूमिका अहम रही। प्रमुख बिंदु:
- अमेरिकी सैन्य और कूटनीतिक दबाव:
- अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाकर उसकी सैन्य क्षमता को कमजोर किया। ट्रंप ने चेतावनी दी कि अगर युद्धविराम नहीं हुआ, तो और बड़े हमले होंगे। मध्य पूर्व में अतिरिक्त लड़ाकू विमान तैनात किए गए।
- ट्रंप ने यह स्पष्ट किया कि उनका लक्ष्य युद्ध नहीं, बल्कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना और शांति स्थापित करना है।
- कतर की मध्यस्थता: कतर ने दोहा में गुप्त वार्ता का आयोजन किया, जिसमें दोनों पक्षों के बीच युद्धविराम की शर्तें तय हुईं।
- ट्रंप की घोषणा: 24 जून को ट्रंप ने ‘ट्रूथ सोशल’ और ‘X’ पर घोषणा की कि इजरायल और ईरान ने “पूर्ण और संपूर्ण युद्धविराम” पर सहमति जताई है। यह 24 घंटे में चरणबद्ध तरीके से लागू हुआ—पहले 12 घंटे में ईरान और अगले 12 घंटे में इजरायल ने हमले रोके।
- ईरान का रुख: युद्धविराम से पहले ईरान ने इजरायल पर बड़े मिसाइल हमले किए, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई। ईरान ने यह संदेश देने की कोशिश की कि वह दबाव में नहीं, बल्कि अपनी शर्तों पर सहमत हुआ।
युद्धविराम की शर्तें
आधिकारिक शर्तें सार्वजनिक नहीं की गईं, लेकिन उपलब्ध जानकारी के आधार पर निम्नलिखित बिंदु सामने आए:
- सैन्य कार्रवाइयों पर रोक: दोनों पक्षों ने 24 घंटे के भीतर सभी हमले रोकने पर सहमति जताई।
- परमाणु कार्यक्रम पर स्थिति: ईरान ने अपने परमाणु गतिविधियों को जारी रखने की बात कही, लेकिन युद्धविराम के बाद कोई नई सैन्य कार्रवाई नहीं की।
- क्षेत्रीय स्थिरता: कतर और अन्य खाड़ी देशों ने क्षेत्र में शांति बनाए रखने की गारंटी दी। कतर ने अपना एयरस्पेस फिर से खोला।
- अमेरिकी निगरानी: अमेरिका ने मध्य पूर्व में अपनी सैन्य उपस्थिति बनाए रखने का फैसला किया ताकि युद्धविराम का पालन सुनिश्चित हो।
12 दिन की जंग: किसे क्या नफा, क्या नुकसान?
इजरायल
- नुकसान:
- 24 लोगों की मौत, 900 से अधिक घायल।
- तेल अवीव, यरुशलम और अन्य शहरों में बुनियादी ढांचे को नुकसान।
- ईरानी मिसाइल हमलों से आर्थिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव।
- लाभ:
- ईरान के परमाणु ठिकानों और सैन्य ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाया, जिसमें छह एयरबेस, मिसाइल लॉन्चर और रडार सिस्टम नष्ट हुए।
- आयरन डोम डिफेंस सिस्टम ने मिसाइल हमलों को काफी हद तक नाकाम किया।
- अमेरिकी समर्थन से इजरायल की रणनीतिक स्थिति मजबूत हुई।
- युद्धविराम ने इजरायल को तत्काल राहत दी और क्षेत्र में उसकी सैन्य श्रेष्ठता बरकरार रही।
ईरान
- नुकसान:
- 430-657 लोगों की मौत, 2000 से अधिक घायल।
- परमाणु ठिकानों (फोर्डो, नतांज, इस्फहान) को भारी क्षति, जिससे परमाणु कार्यक्रम कई साल पीछे चला गया।
- रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के चीफ हुसैन सलामी और कई परमाणु वैज्ञानिक मारे गए।
- एयर डिफेंस सिस्टम और सैन्य बुनियादी ढांचा लगभग नष्ट।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस और चीन से नैतिक समर्थन मिला, लेकिन कोई सैन्य सहायता नहीं।
- लाभ:
- इजरायल पर मिसाइल हमले कर अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया।
- युद्धविराम से पहले अंतिम हमलों के जरिए यह संदेश दिया कि वह दबाव में नहीं झुका।
- परमाणु गतिविधियों को जारी रखने का दावा कर अपनी आंतरिक जनता को संदेश देने की कोशिश की।
अमेरिका
- नुकसान:
- युद्ध में सीधे शामिल होने से मध्य पूर्व में तनाव बढ़ा, लेकिन कोई बड़ा सैन्य नुकसान नहीं।
- कतर में अमेरिकी एयरबेस पर ईरानी हमले की खबरें, लेकिन हताहतों की पुष्टि नहीं।
- लाभ:
- ट्रंप की मध्यस्थता ने उनकी कूटनीति को वैश्विक मंच पर मजबूत किया।
- ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कमजोर कर मध्य पूर्व में अमेरिकी प्रभाव बढ़ा।
- युद्धविराम को ट्रंप की रणनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है।