• 24/08/2025

‘प्रेमानंद महाराज विद्वान नहीं, संस्कृत के एक श्लोक का अर्थ भी…’ वृंदावन के संत पर रामभद्राचार्य का विवादास्पद बयान, गांधी पर भी कह दी बड़ी बात

‘प्रेमानंद महाराज विद्वान नहीं, संस्कृत के एक श्लोक का अर्थ भी…’ वृंदावन के संत पर रामभद्राचार्य का विवादास्पद बयान, गांधी पर भी कह दी बड़ी बात

चित्रकूट के तुलसी पीठाधीश्वर और पद्मविभूषण से सम्मानित जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने मथुरा-वृंदावन के लोकप्रिय संत प्रेमानंद महाराज और महात्मा गांधी को लेकर एक साक्षात्कार में विवादास्पद बयान दिए। एनडीटीवी को दिए गए इस इंटरव्यू में उन्होंने कई मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी।

प्रेमानंद महाराज पर टिप्पणी

जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद महाराज की विद्वता और चमत्कारिक शक्तियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि वे न तो विद्वान हैं, न साधक और न ही चमत्कारी। उन्होंने प्रेमानंद महाराज को “बालक के समान” बताया और चुनौती दी कि यदि उनमें शक्ति है, तो वे उनके सामने संस्कृत का एक अक्षर बोलकर या किसी श्लोक का अर्थ समझाकर दिखाएं। उन्होंने कहा, “चमत्कार उसको कहते हैं जो शास्त्रीय चर्चा में सक्षम हो। प्रेमानंद मेरे सामने राधा सुधा का एक श्लोकार्थ भी ठीक से बता दें।”

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रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद महाराज की लोकप्रियता को “क्षणभंगुर” करार देते हुए कहा कि यह केवल थोड़े समय की होती है। उन्होंने स्वीकार किया कि प्रेमानंद भजन करते हैं और पढ़े-लिखे हैं, लेकिन उन्हें चमत्कारी मानना स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे प्रेमानंद से कोई द्वेष नहीं रखते, लेकिन उनकी शास्त्रीय योग्यता पर सवाल उठाए।

गांधी जी और देश के विभाजन पर बयान

साक्षात्कार में महात्मा गांधी और देश के विभाजन को लेकर भी रामभद्राचार्य ने तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि गांधी जी के कारण ही देश का विभाजन हुआ। उन्होंने गांधी जी के जवाहरलाल नेहरू के प्रति अत्यधिक प्रेम को इसका कारण बताया और कहा कि गांधी जी नेहरू की गलतियों को “घूंट-घूंट कर पी जाते थे।”

रामभद्राचार्य ने दावा किया कि सनातन धर्म के अनुयायियों ने कभी आक्रमण नहीं किया, जबकि मुसलमानों और ईसाइयों की ओर से आक्रमण हुए। उन्होंने अकबर का उदाहरण देते हुए कहा कि उसने “मीना बाजार लगाकर हजारों लड़कियों की इज्जत लूटी।” उन्होंने गांधी जी के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान को 1% और क्रांतिकारियों का योगदान 99% बताया।

कौन हैं रामभद्राचार्य?

जगद्गुरु रामभद्राचार्य रामानंद संप्रदाय के चार प्रमुख जगद्गुरुओं में से एक हैं और चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक हैं। वे विश्व के पहले विकलांग विश्वविद्यालय, जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, के आजीवन कुलाधिपति भी हैं। दो महीने की उम्र में नेत्रहीन होने के बावजूद, उन्होंने 22 भाषाओं में महारत हासिल की और 80 से अधिक ग्रंथों की रचना की। वे राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट में गवाही दे चुके हैं, जहां उनके शास्त्रीय और वैदिक प्रमाणों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

जगद्गुरु रामभद्राचार्य के इस बयान से धार्मिक और सामाजिक क्षेत्र में एक नया विवाद खड़ा हो सकता है। प्रेमानंद महाराज, जो वृंदावन में अपनी भक्ति और प्रवचनों के लिए जाने जाते हैं, पर उनकी टिप्पणी और गांधी जी को लेकर दिए गए बयान ने चर्चा को और गर्म कर दिया है। यह देखना बाकी है कि इस बयान का प्रेमानंद महाराज और उनके अनुयायियों पर क्या प्रभाव पड़ता है।