• 12/08/2025

कश्मीरी पंडित नरसंहार फाइल खुली: 35 साल बाद सरला भट्ट को मिलेगा न्याय? हॉस्टल से किडनैप, 4 दिन तक गैंगरेप और हत्या, बर्रबरता की कहानी पढ़ कांप जाएगी रूह; अब SIA की 9 ठिकानों पर छापेमारी

कश्मीरी पंडित नरसंहार फाइल खुली: 35 साल बाद सरला भट्ट को मिलेगा न्याय? हॉस्टल से किडनैप, 4 दिन तक गैंगरेप और हत्या, बर्रबरता की कहानी पढ़ कांप जाएगी रूह; अब SIA की 9 ठिकानों पर छापेमारी

कश्मीरी पंडित नर्स सरला भट्ट के 1990 में हुए अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और बर्बर हत्या के मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस की स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) ने मंगलवार को श्रीनगर में 9 स्थानों पर छापेमारी की। इनमें जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के पूर्व प्रमुख मोहम्मद यासीन मलिक का मैसुमा स्थित आवास भी शामिल है, जो वर्तमान में तिहाड़ जेल में बंद हैं। इस कार्रवाई का मकसद 35 साल पुराने इस जघन्य अपराध के दोषियों को सजा दिलाकर पीड़िता और उनके परिवार को न्याय दिलाना है।

कौन थी सरला भट्ट? 

25 वर्षीय सरला भट्ट, अनंतनाग की रहने वाली एक कश्मीरी पंडित थीं, जो श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SKIMS), सौरा में नर्स के रूप में कार्यरत थीं। अपनी कोमल मुस्कान और मरीजों के प्रति समर्पण के लिए जानी जाने वाली सरला ने नर्सिंग को अपना धर्म माना। लेकिन 1990 का कश्मीर आतंकवाद और अलगाववाद की आग में जल रहा था। पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़ने का फरमान जारी किया था, जिसका नारा था- “रालिव, गालिव या चालिव” (धर्म परिवर्तन करो, भाग जाओ, या मरने को तैयार रहो)। मस्जिदों से धमकियां दी जा रही थीं और हिंदुओं के घरों पर धमकी भरे पोस्टर चस्पा किए गए थे।

अपहरण, दुष्कर्म और बर्बर हत्या

14 अप्रैल 1990 को JKLF के आतंकियों ने सरला भट्ट को SKIMS के हब्बा खातून हॉस्टल से अगवा कर लिया। आतंकी, जिनमें अब्दुल अहद गुरु और JKLF के डिप्टी कमांडर हामिद शेख शामिल थे, सरला को पुलिस मुखबिर मानते थे और उन्हें बार-बार नौकरी छोड़ने की धमकी दे रहे थे। उनकी हिम्मत और नौकरी जारी रखने के फैसले ने आतंकियों को उकसाया। अपहरण के बाद, आतंकियों ने सरला को अज्ञात स्थान पर ले जाकर चार दिनों तक उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। 19 अप्रैल 1990 को उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई। उनका क्षत-विक्षत शव, गोलियों के निशान और यातना के जख्मों के साथ, श्रीनगर के डाउनटाउन उमर कॉलोनी, मलाबाग में सड़क किनारे मिला। शव के पास एक नोट था, जिसमें आतंकियों ने सरला को “पुलिस मुखबिर” बताया।

परिवार पर कहर

आतंकियों का अत्याचार यहीं नहीं रुका। जब सरला का परिवार उनके शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जा रहा था, तब आतंकियों ने उन पर बम हमला किया। इसके बाद, अनंतनाग में सरला के घर को आग के हवाले कर दिया गया। टूट चुके परिवार को आखिरकार अपनी मातृभूमि छोड़कर पलायन करना पड़ा। पिछले 35 सालों से सरला का परिवार न्याय की बाट जोह रहा है।

SIA की छापेमारी

SIA ने मंगलवार को श्रीनगर में 9 ठिकानों पर छापेमारी की, जिनमें JKLF के पूर्व नेताओं और सदस्यों के घर शामिल थे। इनमें शामिल हैं:

  1.  मोहम्मद यासीन मलिक, मैसुमा (वर्तमान में तिहाड़ जेल में)।
  2.  जावेद अहमद मीर उर्फ नलका, ज़ैनाकदल।
  3.  पीर नूर उल हक शाह उर्फ एयर मार्शल, इलाही बाग, बुचपोरा।
  4.  अब्दुल हामिद शेख, दंदरकाह, बटमालू (मुठभेड़ में मारा गया)।
  5. बशीर अहमद गोजरी, कदिकादल सोकलीपोरा।
  6.  फिरोज अहमद खान उर्फ जान मोहम्मद, सजगरीपोरा।
  7.  गुलाम मोहम्मद टपलू, टिपलू मोहल्ला, अंचार।
  8.  गुलाम मोहम्मद टपलू, अल-हमजा कॉलोनी, अहमदनगर।

SIA ने CRPF और स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर यह ऑपरेशन चलाया। अधिकारियों का कहना है कि छापेमारी में महत्वपूर्ण साक्ष्य जुटाए गए हैं, जो इस जघन्य अपराध की साजिश को उजागर करने में मदद करेंगे।

कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार का दौर

सरला भट्ट की हत्या उस समय की उन कई घटनाओं में से एक थी, जिन्होंने कश्मीरी पंडितों के खिलाफ लक्षित हिंसा को उजागर किया। उनकी हत्या से कुछ दिन पहले ही, आतंकियों ने श्रीनगर के हब्बा कदल में टेलीफोन ऑपरेटर गिरिजा टिक्कू की बलात्कार के बाद लकड़ी काटने की मशीन से जिंदा काटकर हत्या कर दी थी। ये घटनाएं कश्मीरी पंडितों के सामूहिक पलायन का कारण बनीं।

न्याय की उम्मीद

SIA ने हाल ही में इस मामले की जांच अपने हाथ में ली है और 1990 के दशक के अनसुलझे आतंकी मामलों को सुलझाने की दिशा में काम कर रही है। सरला भट्ट की हत्या के संबंध में निगीन पुलिस स्टेशन में दर्ज FIR (56/1990) में लंबे समय तक कोई प्रगति नहीं हुई थी। लेकिन अब SIA की सक्रियता से इस मामले में न्याय की उम्मीद जगी है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन और SIA का कहना है कि वे दोषियों को सजा दिलाने और पीड़ितों के परिवारों को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

यह कार्रवाई न केवल सरला भट्ट के परिवार, बल्कि उन सभी कश्मीरी पंडितों के लिए एक उम्मीद की किरण है, जिन्होंने आतंकवाद के उस काले दौर में अपने प्रियजनों और मातृभूमि को खोया।