- 21/03/2024
बीजेपी के अभेद किले में ‘विकास’ का चलेगा जादू या 8 बार के विधायक पलटेंगे बाजी, जानिए क्या कहते हैं सियासी समीकरण?
2024 की चुनावी बिसात बिछ चुकी है. हम आपको छत्तीसगढ़ की सभी 11 लोकसभा सीटों के सियासी समीकरण से रूबरू करा रहे हैं, इस आर्टिकल में प्रदेश की सबसे अहम और सबसे पुरानी सीट रायपुर के बारे में जानिए. क्योंकि ये प्रदेश की राजधानी भी है. आजादी के बाद से 90 के दशक तक ये कांग्रेस का गढ़ था.
1996 के बाद रायपुर बीजेपी का अभेद गढ़ बन गया. 2019 के लोकसभा चुनाव में रायपुर सीट से बीजेपी के सुनील सोनी सांसद चुने गए थे. लेकिन इस बार बीजेपी ने अपने कद्दावर नेता और साय सरकार में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस ने युवा कार्ड खेलते हुए पूर्व विधायक विकास उपाध्याय पर दांव लगाया है.
बृजमोहन अग्रवाल को जानिए
- बृजमोहन पिछले 35 सालों से लागातार विधायक हैं
- रायपुर दक्षिण विधानसभा से 8वीं बार विधायक
- राजनीतिक करियर की शुरुआत ABVP से की
- साल 1990 में अविभाजित मध्यप्रदेश में MLA बने
- 1993, 1998 में भी रायपुर से विधायक रहे
- छत्तीसगढ़ गठन के बाद लगातार पांच बार MLA
- 2003, 2008, 2013, 2018 और 2023 में विधायक
- रमन सरकार में कैबिनेट के कद्दावर मंत्री रहे
- 2023 में फिर साय सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं
विकास उपाध्याय को जानिए
- राजनीतिक करियर की शुरुआत 1994 में NSUI से की
- 1998 में NSUI के ब्लॉक अध्यक्ष रहे
- 1999 में रायपुर के NSUI जिला अध्यक्ष बने
- 2004 में NSUI के प्रदेश अध्यक्ष बने
- 2006 में NSUI के राष्ट्रीय सचिव बने
- 2009 में राष्ट्रीय सचिव युवा कांग्रेस बने
- 2010 में राष्ट्रीय महासचिव युवा कांग्रेस बने
- 2013 से 2018 तक जिला कांग्रेस अध्यक्ष रायपुर शहर रहे
- 2018 में रायपुर पश्चिम से विधायक चुने गए
- 2023 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा
रायपुर सीट का सियासी समीकरण
- आजादी से लेकर 90 के दशक कांग्रेस का दबदबा
- 1989 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के रमेश बैस जीते
- 1991 के चुनाव में कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल जीते
- 1996 में बीजेपी ने वापसी की और रमेश बैस जाते
- लगातार 7 लोकसभा चुनावों में बीजेपी अजेय रही
- वर्तमान में बीजेपी के सुनील सोनी सांसद हैं
रायपुर लोकसभा में आने वाली विधानसभा सीटें
- रायपुर उत्तर
- रायपुर दक्षिण
- रायपुर पश्चिम
- रायपुर ग्रामीण
- बलौदाबाजार
- भाटापारा
- धरसीवां
- आरंग
- अभनपुर
किस जाति का ज्यादा प्रभाव:
रायपुर लोकसभा क्षेत्र के जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां साहू और कुर्मी समाज गेमचेंजर की भूमिका में है. इसके साथ ही ब्राह्मण, क्षत्रिय, सतनामी, आदिवासी और दलितों का भी कुछ हद तक प्रभाव देखा जाता है. लेकिन जो प्रत्याशी यहां साहू और कुर्मी समाज को साध लेता है, वह जीत हासिल करता है.
लोकसभा का मतदान प्रतिशत
- 2009 : 46.99 फीसदी मतदान
- 2014 : 65.68 फीसदीमतदान
- 2019 : 66.12 फीसदी मतदान
रायपुर के प्रमुख मुद्दे
बेरोजगारी, बिजली, पानी, सड़क, साफ सफाई की समुचित व्यवस्था, सामुदायिक भवन, शौचालय और अस्पताल की सुविधाएं मुख्य मुद्दे हैं. वहीं रायपुर लोकसभा के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती किसानी बेरोजगारी, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य भी मुद्दा है. रायपुर शहर में NIT, IIM, AIIMS, कृषि विश्वविद्यालय समेत शिक्षा से जिड़े कई संस्थान मौजूद हैं. इसलिए यहां स्टूडेंट्स की उच्च शिक्षा भी लाइब्रेरी, उद्यान, ओपन जिम बड़ा मुद्दा रही है.