- 09/10/2025
जमीन फर्जीवाड़ा: कारोबारी गुरुचरण सिंह होरा पर FIR दर्ज, मृत महिला को जिंदा बताकर की फर्जी रजिस्ट्री, BJP मंडल अध्यक्ष सहित 7 आरोपी

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र में मृत महिला को जिंदा बताकर जमीन की फर्जी रिजस्ट्री कराए जाने का मामला सामने आया है। मामले में पुलिस रिटायर्ड शिक्षक देवनाथ देवागन की शिकायत पर होटल कारोबारी गुरुचरण सिंह होरा, बीजेपी तेलीबांधा मंडल अध्यक्ष दलविंदर सिंह बेदी और उनके साथियों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और धमकी की धाराओं में अपराध दर्ज किया है। एफआईआर के अनुसार, आरोपियों ने 1980 में मर चुकी चमारिन बाई को 1999 में जिंदा दिखाकर फर्जी मुख्तियारनामा बनवाया और कई प्लॉटों की अवैध रजिस्ट्री कर ली। बाद में वास्तविक मालिकों को उनकी ही जमीन पर मकान बनाने से रोका और धमकाया।
फर्जीवाड़े की पूरी साजिश: मृत्यु प्रमाण-पत्र के बावजूद रजिस्ट्री
एफआईआर में खुलासा हुआ है कि चमारिन बाई की मौत 1980 में हो चुकी थी, जिसका प्रमाण-पत्र भी मौजूद है। बावजूद इसके, आरोपियों ने फर्जी महिला को मुख्तियार बनाकर 1999 में जमीन की रजिस्ट्री करा ली। इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कई प्लॉटों का बैनामा तैयार किया गया। पीड़ित देवनाथ देवागन ने बताया कि जब उन्होंने अपने प्लॉट पर निर्माण शुरू किया, तो आरोपी धमकी देने लगे। उन्होंने कहा, “यह जमीन गुरुचरण भैया की है।” निर्माण सामग्री फेंक दी गई और पथराव किया गया।
शिकायतकर्ता ने कहा कि कोर्ट ने पहले ही इन रजिस्ट्रियों को अवैध और शून्य घोषित कर दिया था, लेकिन आरोपी बार-बार कब्जा करने की कोशिश करते रहे। यह सिलसिला वर्षों से चल रहा था, जिससे भू-स्वामियों में डर का माहौल बना हुआ था।
आरोपी: होटल कारोबारी और बीजेपी नेता पर पुराने फर्जीवाड़े के आरोप
मुख्य आरोपी गुरुचरण सिंह होरा रायपुर के प्रमुख होटल कारोबारी हैं, जिन पर पहले भी जमीन संबंधी फर्जीवाड़े के मामले दर्ज हैं। शिकायत के मुताबिक, होरा ने अपने रिश्तेदारों—रंजीत सिंह, मंजीत सिंह, इंदरपाल सिंह, हरपाल सिंह, अविनाश सिंह—के साथ मिलकर साजिश रची। इसमें बीजेपी तेलीबांधा मंडल अध्यक्ष दलविंदर सिंह बेदी भी शामिल हैं। कुल 7 लोगों के खिलाफ धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखे से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज का उपयोग), 506 (आपराधिक धमकी) और 34 (साझा आशय) आईपीसी के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।
पुलिस ने बताया कि जांच में फर्जी दस्तावेजों की पुष्टि हो चुकी है। आरोपी दस्तावेजों को लेकर रजिस्ट्री कार्यालयों में घूमते रहे और वास्तविक मालिकों को ब्लैकमेल करते रहे। सिविल लाइन थाना प्रभारी ने कहा कि सभी आरोपियों की तलाश जारी है और जल्द गिरफ्तारी होगी।
प्रभावितों का दर्द: वर्षों की लूट और डर
पीड़ित पक्ष ने बताया कि यह गिरोह वर्षों से अमीराबाद क्षेत्र के प्लॉटों पर नजर रखे हुए था। फर्जी रजिस्ट्री के बाद मालिकों को धमकाया जाता था, जिससे कई परिवार अपनी जमीन बेचने या निर्माण करने से डरते रहे। एक प्रभावित ने कहा, “हमारी जमीन पर हमारा हक नहीं, आरोपी राज कर रहे थे। कोर्ट के फैसले के बाद भी धमकियां बंद नहीं हुईं।”