- 01/06/2025
Breaking: पूर्व CM भूपेश का करीबी दिल्ली से गिरफ्तार, दुर्ग-भिलाई में आधा दर्जन ठिकानों पर ACB-EOW की छापेमारी

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व CM भूपेश बघेल के करीबी और शराब कारोबारी विजय भाटिया को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। भाटिया को रायपुर लाया जा रहा है। साथ ही EOW की टीमें भिलाई-दुर्ग में भाटिया के छह ठिकानों पर छापेमारी कर रही हैं।
सुबह 6 बजे भिलाई के नेहरू नगर स्थित भाटिया के घर पर EOW और ACB की सात सदस्यीय टीम दो गाड़ियों में पहुंची। टीम ने घर की तलाशी शुरू की और वहां मौजूद लोगों व नौकरों से पूछताछ की। महिला पुलिसकर्मी भी इस कार्रवाई में शामिल हैं। बताया जा रहा है कि दो साल पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भाटिया के घर छापेमारी की थी, तब से वह फरार था।
दो साल पहले ED की कार्रवाई और राजनीतिक बवाल
दो साल पहले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जन्मदिन पर ED ने उनके राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा, OSD आशीष वर्मा, मनीष बंछोर और कारोबारी विजय भाटिया के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस कार्रवाई को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में तीखी बयानबाजी हुई थी। भूपेश बघेल ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की ओर से “जन्मदिन का तोहफा” करार दिया था।
12 दिन पहले 39 ठिकानों पर छापेमारी
शराब घोटाला मामले में 12 दिन पहले ACB और EOW ने दुर्ग-भिलाई, धमतरी और महासमुंद में 39 स्थानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान 90 लाख रुपये नकद, सोना-चांदी और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद किए गए थे। भिलाई के हाउसिंग बोर्ड स्थित आम्रपाली अपार्टमेंट में कारोबारी अशोक अग्रवाल के घर, नेहरू नगर में बंसी अग्रवाल और विशाल केजरीवाल के ठिकानों के साथ-साथ खुर्सीपार में विनय अग्रवाल के घर दस्तावेजों की जांच की गई।
शराब घोटाला क्या है?
ED के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में 2019 से 2022 के बीच 2,100 करोड़ रुपये से अधिक का शराब घोटाला हुआ। ED ने इस मामले में ACB में FIR दर्ज कराई, जिसमें तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार के दौरान IAS अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के MD AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट पर घोटाले का आरोप है। इस दौरान सरकारी शराब दुकानों से डुप्लीकेट होलोग्राम के जरिए अवैध शराब बेची गई, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ।
कवासी लखमा पर ED के गंभीर आरोप
ED का दावा है कि पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक कवासी लखमा इस शराब सिंडिकेट के अहम हिस्सा थे। उनके निर्देश पर सिंडिकेट संचालित होता था और उन्होंने शराब नीति में बदलाव कर FL-10 लाइसेंस की शुरुआत की। ED के अनुसार, लखमा को हर महीने 2 करोड़ रुपये मिलते थे, जो तीन साल में कुल 72 करोड़ रुपये हुए। यह राशि उनके बेटे हरीश कवासी के घर और सुकमा में कांग्रेस भवन के निर्माण में खर्च की गई।
घोटाले की अवैध कमाई का तरीका
ED के अनुसार, शराब घोटाले में तीन तरह से अवैध कमाई की गई:
- पार्ट-A कमीशन: CSMCL के जरिए शराब खरीद और बिक्री में डिस्टिलर्स से प्रति केस रिश्वत ली गई।
- पार्ट-B कच्ची शराब की बिक्री: बिना हिसाब की देसी शराब बेची गई, जिसका सारा पैसा सिंडिकेट ने हड़प लिया।
- पार्ट-C कमीशन: शराब निर्माताओं से कार्टेल बनाने और बाजार में हिस्सेदारी के लिए रिश्वत ली गई।
FL-10 लाइसेंस क्या है?
FL-10 (फॉरेन लिकर-10) लाइसेंस छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा विदेशी शराब की खरीद, भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन के लिए जारी किया गया था। FL-10 A लाइसेंस धारक देशभर के निर्माताओं से शराब खरीदकर सरकार को सप्लाई करते थे, जबकि FL-10 B लाइसेंस धारक राज्य के निर्माताओं से शराब लेकर बेचते थे। हालांकि, भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन का काम बेवरेज कॉर्पोरेशन को ही सौंपा गया था।





