- 22/09/2025
बड़ी खबर: नान घोटाले में ED की बड़ी कार्रवाई, छत्तीसगढ़ के 2 पूर्व IAS अधिकारी गिरफ्तार

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व मुख्य सचिव और रिटायर्ड आईएएस अधिकारी डॉ. आलोक शुक्ला तथा पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा को गिरफ्तार कर लिया है। रायपुर की विशेष अदालत ने दोनों को 16 अक्टूबर तक ईडी की रिमांड पर भेज दिया है। गिरफ्तारी के तुरंत बाद ईडी की टीम दोनों को दिल्ली ले जाने की तैयारी में जुटी है। ईडी अधिकारी सुबह से ही रायपुर कोर्ट में मौजूद थे।
सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की अग्रिम जमानत, चार हफ्ते की कस्टडी
आपको बता दें कि नान घोटाले के मामले में डॉ. शुक्ला और अनिल टुटेजा को बिलासपुर हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल चुकी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच—जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा—ने 17 सितंबर को इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने ईडी की अपील पर सुनवाई करते हुए दोनों अधिकारियों को पहले दो हफ्ते ईडी की कस्टडी और उसके बाद दो हफ्ते न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया। अदालत ने स्पष्ट कहा कि आरोपियों ने 2015 में दर्ज नान घोटाला मामले और ईडी की जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हमारे पास कोई संकोच नहीं है कि अग्रिम जमानत को रद्द किया जाए और ईडी को चार हफ्ते की कस्टडी दी जाए।”
यह घोटाला छत्तीसगढ़ के सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में घटिया चावल की खरीद-बिक्री से जुड़ा है, जिसमें करोड़ों रुपये के कथित भ्रष्टाचार का आरोप है। मामला 2015 में एंटी-करप्शन ब्यूरो/आर्थिक अपराध विंग द्वारा दर्ज एफआईआर से शुरू हुआ था, जिसमें शिव शंकर भट्ट सहित 26 अन्य नामजद थे। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच संभाली है।
18 सितंबर को ईडी का छापा, सरेंडर पर रोक
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के ठीक दूसरे दिन, 18 सितंबर को ईडी की टीम ने डॉ. आलोक शुक्ला के भिलाई के तालपुरी स्थित आवास पर छापेमारी की। इसी दौरान डॉ. शुक्ला ईडी की विशेष अदालत में सरेंडर करने पहुंचे, लेकिन कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अपलोड न होने का हवाला देकर उन्हें सरेंडर से रोक दिया। अगले दिन 19 सितंबर को उनके सरेंडर आवेदन पर सुनवाई टाल दी गई, जो आज 22 सितंबर को होनी थी। इसी सुनवाई के दौरान गिरफ्तारी हुई।
जांच में बाधा डालने के आरोप
ईडी का आरोप है कि दोनों अधिकारियों ने अग्रिम जमानत का दुरुपयोग कर जांच को प्रभावित करने की कोशिश की। अप्रैल 2025 में सीबीआई ने भी तीन पूर्व अधिकारियों—शुक्ला, टुटेजा और तत्कालीन एडवोकेट जनरल सतीश चंद्र वर्मा—के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें जांच प्रभावित करने का आरोप था। ईडी ने कहा कि जमानत के कारण वह प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई।
घोटाले का पृष्ठभूमि
नान घोटाला छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के दौरान (2018-2023) भले ही उजागर हुआ, लेकिन जड़ें 2015 के बीजेपी शासन काल में हैं। डॉ. शुक्ला तब फूड सेक्रेटरी और नान चेयरमैन थे, जबकि टुटेजा सिविल सप्लाईज कॉर्पोरेशन के प्रमुख। एसीबी की जांच में घटिया चावल की खरीद में अनियमितताओं का खुलासा हुआ था। दोनों अधिकारियों को 2015 में ही पद से हटा दिया गया था।