- 13/09/2025
‘लव अफेयर में बने शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं’, हाईकोर्ट का अहम फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रेम संबंधों और सहमति से बने शारीरिक संबंधों से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि कोई महिला यह जानते हुए कि सामाजिक कारणों से विवाह संभव नहीं है, फिर भी वर्षों तक सहमति से शारीरिक संबंध बनाए रखती है, तो इसे दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं माना जा सकता। यह फैसला जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की सिंगल बेंच ने दो लेखपालों से जुड़े एक मामले में सुनाया।
मामले का विवरण
मामला एक महिला लेखपाल और उसके सहकर्मी के बीच प्रेम संबंधों से जुड़ा है। महिला ने आरोप लगाया था कि वर्ष 2019 में उसके सहकर्मी ने जन्मदिन की पार्टी के बहाने उसे अपने घर बुलाया, जहां उसे नशीला पदार्थ देकर दुष्कर्म किया गया। महिला का दावा था कि आरोपी ने इस घटना का वीडियो बनाकर उसे ब्लैकमेल किया और शादी का वादा किया। हालांकि, चार साल बाद 2023 में आरोपी ने कथित तौर पर जातिगत टिप्पणी करते हुए शादी से इनकार कर दिया।
महिला ने यह भी आरोप लगाया कि उसने स्थानीय थाने और पुलिस अधीक्षक (एसपी) से शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उसने एससी-एसटी विशेष अदालत में परिवाद दाखिल किया। विशेष अदालत ने यह कहते हुए परिवाद खारिज कर दिया कि इसमें दुष्कर्म का मामला नहीं बनता। विशेष अदालत के इस फैसले के खिलाफ महिला ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की और न्याय की गुहार लगाई।
आरोपी की दलील
अदालत में आरोपी लेखपाल की ओर से दलील दी गई कि महिला ने स्वयं थाने और एसपी को लिखित में सूचित किया था कि वह कोई कानूनी कार्रवाई नहीं चाहती। इसके अलावा, यह भी कहा गया कि जब आरोपी ने महिला को दिए गए दो लाख रुपये वापस मांगे, तभी उसने दुष्कर्म का परिवाद दाखिल किया। आरोपी पक्ष ने दावा किया कि संबंध सहमति से बने थे और महिला को शुरू से ही सामाजिक कारणों के चलते शादी की असंभवता की जानकारी थी।
हाईकोर्ट का फैसला
जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल ने दोनों पक्षों की दलीलें और साक्ष्य सुनने के बाद महिला की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “यदि कोई महिला यह जानते हुए कि सामाजिक कारणों से विवाह संभव नहीं है, फिर भी वर्षों तक सहमति से शारीरिक संबंध बनाए रखती है, तो बाद में इसे दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं माना जा सकता।” कोर्ट ने यह भी माना कि महिला ने शुरू में कोई कार्रवाई नहीं चाहने की बात पुलिस को लिखित में दी थी, और परिवाद बाद में पैसे के लेन-देन के विवाद के बाद दाखिल किया गया।





