• 07/03/2025

CG शराब घोटाले में 3 को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत, पूर्व IAS टुटेजा और ढेबर को झटका

CG शराब घोटाले में 3 को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत, पूर्व IAS टुटेजा और ढेबर को झटका

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छत्तीसगढ़ में 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा के शराब घोटाला के मामले में जेल में बंद तीन आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी विभाग के पूर्व सचिव एपी त्रिपाठी, अनुराग द्विवेदी और दीपक दुआरी को जमानत दे दी है। वहीं कोर्ट ने घोटाले के मास्टरमाइंड और पूर्व आईएएस अऩिल टुटेजा और अनवर ढेबर की जमानत याचिका खारिज कर दी है।

कोर्ट ने एपी त्रिपाठी को सशर्त जमानत दी है। कोर्ट ने उन्हें अपना पासपोर्ट ईडी ऑफिस में जमा कराने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने उन्हें हर सप्ताह जांच एजेंसी के सामने पेश होने का आदेश दिया है।

क्या है मामला?

छत्तीसगढ़ में साल 2019 से 2022 के बीच 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा का शराब घोटाला सामने आया था। तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के पूर्व सचिव AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट द्वारा छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले को अंजाम दिया गया था।

डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बेची गई शराब

ED की ओर से दर्ज कराई गई FIR की जांच ACB कर रही है। ACB से मिली जानकारी के अनुसार साल 2019 से 2022 तक सरकारी शराब दुकानों से अवैध शराब डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर बेची गई। इससे शासन को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ है।

ED की जांच से यह भी पता चला कि अरुणपति त्रिपाठी ने CSMCL सरकारी शऱाब की दुकानों (पार्ट B ) के माध्यम से बिना हिसाब की गई शराब की बिक्री की योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसने ही 15 सबसे ज्यादा शराब बिक्री से कमाई वाले जिलों के आबकारी अधिकारियों के साथ बैठक कर अवैध शराब बेचने के निर्देश दिए। एपी त्रिपाठी ने ही विधु गुप्ता के साथ डुप्लिकेट होलोग्राम की आपूर्ति की व्यवस्था की। जांच से पता चला है कि Part-B शराब की बिक्री की आय में से एक निश्चित राशि अरुणपति त्रिपाठी को जाती थी।

2019 से 2022 के बीच ऐसे हुआ भ्रष्टाचार

ईडी की जांच में पता चला कि छत्तीसगढ़ में साल 2019 से लेकर 2022 तक शराब घोटाला हुआ। इसमें कई तरीकों से भ्रष्टाचार किया गया।

PART-A कमीशन: डिस्टिलर्स से प्रत्येक पेटी शराब के लिए रिश्वत ली गई।

PART-B कच्ची शराब बिक्री: बिना हिसाब की कच्ची देशी शराब की बिक्री की गई। इस मामले में एक भी रुपया राज्य को नहीं मिला और सारी बिक्री की आय सिंडिकेट के पास चली गई। अवैध शराब केवल राज्य-नियंत्रित दुकानों से बेची गई।

PART-C कमीशन: डिस्टिलर्स से रिश्वत लेकर उन्हें एक कार्टेल बनाने और निश्चित बाजार हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की अनुमति दी गई। FL-10A लाइसेंस धारक जो विदेशी शराब उपलब्ध कराते थे, उनसे कमीशन लिया जाता था।

ED की जांच से पता चला कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले ने राज्य के खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया और शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेबों को 2100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध आय से भर दिया। इस मामले में ED ने पूर्व IAS अफसर अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह और त्रिलोक सिंह ढिल्लों  को भी भी गिरफ्तार किया था। ईडी ने शराब घोटाले के जांच में आरोपियों की 205.49 करोड़ की  18 चल संपत्तियां और 161 अचल संपत्तियां अटैच की है।