• 11/04/2025

आतंकी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण में छत्तीसगढ़-झारखंड के इन तीन IPS अफसरों की अहम भूमिका, जानें कौन हैं वो

आतंकी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण में छत्तीसगढ़-झारखंड के इन तीन IPS अफसरों की अहम भूमिका, जानें कौन हैं वो

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26/11 मुंबई आतंकी हमलों के प्रमुख साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है। गुरुवार शाम को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष टीम उसे लेकर दिल्ली पहुंची। इस ऑपरेशन में तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिनमें झारखंड कैडर के आशीष बत्रा, छत्तीसगढ़ कैडर के प्रभात कुमार और झारखंड कैडर की महिला अधिकारी जया रॉय शामिल हैं। यह प्रत्यर्पण भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी सफलता माना जा रहा है।

नक्सलियों से टक्कर लेने वाले आशीष बत्रा

1997 बैच के झारखंड कैडर के आईपीएस अधिकारी आशीष बत्रा इस मिशन के प्रमुख चेहरों में से एक रहे। वर्तमान में एनआईए में महानिरीक्षक (आईजी) के पद पर तैनात बत्रा को 2019 में पांच साल के लिए एनआईए में भेजा गया था, जिसकी अवधि गृह मंत्रालय ने 15 सितंबर 2024 को दो साल और बढ़ा दिया है। इससे पहले वह झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ अभियानों के लिए बनी विशेष इकाई ‘झारखंड जगुआर’ के आईजी थे। बत्रा ने अपने करियर में जहानाबाद में सहायक पुलिस अधीक्षक, कोएल करो और हजारीबाग में पुलिस अधीक्षक जैसे कई अहम पदों पर काम किया है। वह झारखंड पुलिस के प्रवक्ता और आईजी (अभियान) के रूप में भी अपनी छाप छोड़ चुके हैं।

तेज-तर्रार प्रभात कुमार का योगदान

छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस अधिकारी प्रभात कुमार ने इस प्रत्यर्पण में कोऑर्डिनेटर की भूमिका निभाई। वर्तमान में एनआईए में पुलिस अधीक्षक (एसपी) के पद पर कार्यरत प्रभात ने राणा को भारत लाने की तैयारियों को अंजाम दिया। उन्होंने दिल्ली हवाई अड्डे से एनआईए मुख्यालय तक की व्यवस्था को संभाला। अपनी जांबाजी और तेज-तर्रार कार्यशैली के लिए मशहूर प्रभात ने इस संवेदनशील मिशन को बखूबी अंजाम दिया। उनकी सतर्कता और समन्वय ने सुनिश्चित किया कि यह ऑपरेशन सुचारु रूप से पूरा हो।

साइबर अपराधियों पर नकेल कसने वाली जया रॉय

झारखंड कैडर की 2011 बैच की आईपीएस अधिकारी जया रॉय भी इस टीम की अहम कड़ी रहीं। वर्तमान में एनआईए में उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) के पद पर तैनात जया को 2019 में चार साल के लिए एनआईए में पुलिस अधीक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था, जिसे बाद में बढ़ाया गया। जया उस टीम की अगुवाई के लिए जानी जाती हैं, जिसने झारखंड के जामताड़ा में साइबर अपराधियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की थी। इस मामले की गूंज इतनी थी कि इस पर एक लोकप्रिय वेब सीरीज भी बन चुकी है। राणा के प्रत्यर्पण में जया ने ‘सरेन्डर वारंट’ पर हस्ताक्षर कर इस प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया।

भारत पहुंचते ही NIA की हिरासत में राणा

तहव्वुर राणा को दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरते ही एनआईए ने औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया। उसे अब तिहाड़ जेल के हाई-सिक्योरिटी वार्ड में रखा जाएगा। इस ऑपरेशन के लिए दिल्ली में कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए थे, जिसमें दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और स्वाट कमांडो भी शामिल थे। एनआईए अब राणा से पूछताछ शुरू करेगी, जिसमें उसकी लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से कथित संलिप्तता पर सवाल उठेंगे।

यह प्रत्यर्पण 16 साल की लंबी कानूनी और कूटनीतिक लड़ाई का परिणाम है, जिसमें इन तीन अधिकारियों की अगुवाई वाली एनआईए टीम ने अहम भूमिका निभाई। अब राणा पर दिल्ली की एक विशेष अदालत में मुकदमा चलेगा, जो 26/11 हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।