• 22/07/2025

स्वास्थ्यगत कारण या सियासी खेल? धनखड़ के अचानक इस्तीफे की टाइमिंग पर सवाल, विपक्ष के साथ ही सत्ता पक्ष को भी दिखाया आईना, जाने जाएंगे तेजतर्रार और मुखर उपराष्ट्रपति के लिए

स्वास्थ्यगत कारण या सियासी खेल? धनखड़ के अचानक इस्तीफे की टाइमिंग पर सवाल, विपक्ष के साथ ही सत्ता पक्ष को भी दिखाया आईना, जाने जाएंगे तेजतर्रार और मुखर उपराष्ट्रपति के लिए

भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार देर रात अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपे इस्तीफे में स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया, लेकिन विपक्षी नेताओं ने इसकी टाइमिंग और कारणों पर सवाल उठाते हुए सियासी कारणों की आशंका जताई है।

धनखड़ ने मार्च 2025 में हृदय संबंधी समस्याओं के कारण एम्स में भर्ती होने का जिक्र किया, लेकिन विपक्षी नेताओं जैसे कांग्रेस सांसद इमरान मसूद और जयराम रमेश ने संकेत दिया कि इस्तीफे के पीछे सियासी दबाव या बड़े ऐलान की योजना हो सकती है। मसूद ने कहा, “वे दिनभर संसद में सक्रिय थे, अचानक क्या हुआ?” वहीं, रमेश ने दावा किया कि धनखड़ न्यायपालिका से जुड़ा बड़ा बयान देने वाले थे। पूर्व सांसद पप्पू यादव ने इसे “सियासी खेल” करार दिया।

धनखड़ का कार्यकाल: बेबाकी और विवादों की पहचान

जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल (11 अगस्त 2022 से 21 जुलाई 2025) उनकी मुखरता और विवादास्पद बयानों के लिए याद किया जाएगा। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल (2019-2022) के रूप में ममता बनर्जी सरकार के साथ तकरार से चर्चा में आए धनखड़ ने उपराष्ट्रपति बनने के बाद भी अपनी बेबाक शैली जारी रखी। उन्होंने संसद की सर्वोच्चता, संवैधानिक संस्थाओं, और सामाजिक मुद्दों पर खुलकर विचार रखे। उनके कुछ प्रमुख बयान:

  • जनवरी 2023: सुप्रीम कोर्ट के मूल संरचना सिद्धांत पर टिप्पणी करते हुए कहा कि संसद के कानूनों को रोकना लोकतंत्र के लिए खतरा है। विपक्ष ने इसे न्यायपालिका में हस्तक्षेप बताया।
  • मार्च 2023: कुछ विश्वविद्यालयों को “देशविरोधी विचारधारा का अड्डा” कहा, जिसका लेफ्ट संगठनों ने विरोध किया।
  • मई 2024: विपक्षी नेताओं के संसद बहिष्कार पर तंज कसते हुए कहा कि ऐसे लोग “देशद्रोहियों के कटघरे में होने चाहिए।”
  • अक्टूबर 2024: सीबीआई और ईडी पर सवाल उठाने वालों को “न्यायिक तंत्र को कमजोर करने वाला” बताया।
  • दिसंबर 2024: किसान आंदोलन के दौरान सरकार से सवाल किया कि किसानों के वादों का क्या हुआ।

सियासी सफर और सक्रियता

झुंझुनू, राजस्थान के किठाना गांव में जन्मे धनखड़ ने वकालत से करियर शुरू किया और सलमान खान जैसे हाई-प्रोफाइल केस लड़े। 1989 में जनता दल के टिकट पर झुंझुनू से सांसद बने और चंद्रशेखर सरकार में संसदीय मामलों के राज्य मंत्री रहे। उपराष्ट्रपति के रूप में उन्होंने विपक्ष के साथ तनावपूर्ण रिश्ते बनाए, जिसके चलते दिसंबर 2024 में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया।

अब आगे क्या?

धनखड़ के इस्तीफे के बाद राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह कार्यवाहक सभापति की जिम्मेदारी संभालेंगे। संविधान के अनुसार, 60 दिनों के भीतर नए उपराष्ट्रपति का चुनाव होना अनिवार्य है। एनडीए की राज्यसभा में बहुमत के चलते अगले उपराष्ट्रपति के चयन पर अटकलें तेज हैं।

जगदीप धनखड़ का कार्यकाल भले ही विवादों में रहा, लेकिन उनकी सक्रियता और बेबाकी ने उपराष्ट्रपति पद को नई पहचान दी। अब उनके इस्तीफे का असल कारण सामने आना बाकी है।