- 09/11/2022
आरक्षण के मुद्दे पर सरकार बुलाएगी विशेष सत्र, CM ने विधानसभा अध्यक्ष को भेजा प्रस्ताव
आरक्षण के मुद्दे पर राज्य सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने जा रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरण दास महंत को प्रस्ताव भेजा है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष से 1 और 2 दिसंबर को विशेष सत्र बुलाए जाने का आग्रह किया है।
यह बैठक हंगामाखेज होने के आसार हैं। विपक्ष लगातार इस मुद्दे को लेकर राज्य सरकार पर हमलावर है। वहीं सत्ता पक्ष इसके लिए तत्कालीन भाजपा सरकार को जिम्मेदार बताते आया है। सत्ता पक्ष का आरोप है कि हाईकोर्ट में तत्कालीन रमन सरकार ने सही तरीके से पक्ष नहीं रखा। जिसकी वजह से ही प्रदेश में आदिवासियों का आरक्षण कम हुआ है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी समाज को भरोसा दिलाया है कि राज्य में आरक्षण के मामले में आदिवासी निश्चिंत रहें, उन्हें 32 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए हम हर संभव प्रयास कर रहे है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक में आरक्षण की विधिक स्थिति का अध्ययन करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन की ओर से वरिष्ठ अधिकारियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं का दल शीघ्र वहां जाएगा। अध्ययन दल के गठन एवं इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय द्वारा आदेश भी जारी कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि आदिवासियों के हित और उनके संरक्षण के लिए संविधान में जो अधिकार प्रदत्त है, उसका पालन हमारी सरकार कर रही है। हमारी स्पष्ट मंशा है कि संविधान द्वारा अनुसूचित जनजाति वर्ग को प्रदान किए गए सभी संवैधानिक अधिकार उन्हें प्राप्त हों। आरक्षण के मामले को लेकर हमने विधानसभा अध्यक्ष महोदय से एक एवं दो दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र आहूत किए जाने का भी आग्रह किया है।
आपको बता दें हाईकोर्ट ने 50 फीसदी से ज्यादा के आरक्षण को असंवैधानिक बताया था। चीफ जस्टिस अरुण कुमार गोस्वामी और जस्टिस पीपी साहू के बेंच ने 58 फीसदी आरक्षण को रद्द कर दिया था।
हाईकोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार के अलावा कई आदिवासी नेताओं ने भी याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने आदिवासी नेताओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था।