- 12/10/2024
तलाक के बाद पति-पत्नी का साथ रहना उचित नहीं, दंपति के आपसी विवाद पर हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला
अवमानना के मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच की ओर से जारी आदेश को डिवीजन बेंच ने निरस्त कर दिया है। डीबी ने याचिकाकर्ताओं की अपील स्वीकार करते हुए यह माना है कि वैवाहिक रूप से अलग हो चुके पति-पत्नी का एक घर में रहना मुश्किल है। इसलिए तलाकशुदा पत्नी को पृथक कमरा नहीं देने पर किसी तरह की अवमानना नहीं हुई है।
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मामले में जस्टिस पीपी साहू और जस्टिस रजनी दुबे की डिवीजन बेंच ने सुनवाई हुई। बता दें, बिलासपुर जरहाभाठा में रहने वाले शैलेश जैकब और मल्लिका बल पति-पत्नी थे। विवाह के कुछ समय बाद दोनों का कानूनन तलाक भी हो गया।
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने मल्लिका बल की अपील पति, भाई और बहन के खिलाफ आरोप तय किया। वहीं उसे ससुराल के घर में एक अलग कमरा देने का निर्देश दिया। जब पति की ओर से कमरे की व्यवस्था नहीं की गई तो पत्नी ने अवमानना याचिका प्रस्तुत की। सिंगल बेंच की नोटिस पर पति शैलेश और परिजन ने डिवीजन बेंच में चुनौती दी।
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बताया गया कि जिस घर में पति निवासरत है, वह व्यक्तिगत नहीं बल्कि मिशन का है। तलाक के बाद एक ही छत के नीचे रहना संभव नहीं है। फिर भी पति एक बैडरूम का मकान किराए पर लेकर देने तैयार है।
जस्टिस पीपी साहू और जस्टिस रजनी दुबे की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान पाया कि पति-पत्नी के बीच तलाक के अलावा जिस प्रकार की परिस्थितियां बनी है, उनमें दोनों एक साथ नहीं रह सकते। कोर्ट ने यह भी माना कि अदालती आदेश की कोई अवमानना नहीं हुई है।