- 27/03/2025
1 अप्रैल से लागू होंगे नए टैक्स नियम, टैक्स स्लैब, TDS से रिबेट तक, जानिए क्या होगा इसका असर?


1 अप्रैल 2025 से भारत में नए वित्तीय वर्ष (FY 2025-26) की शुरुआत के साथ ही आयकर से जुड़े कई नए नियम लागू होने जा रहे हैं। ये बदलाव केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित किए गए हैं, जो करदाताओं, विशेष रूप से मध्यम वर्ग, वेतनभोगी कर्मचारियों, व्यवसायियों और स्टार्टअप्स को प्रभावित करेंगे। इसका उद्देश्य टैक्स सिस्टम को सरल बनाना, करदाताओं की बचत बढ़ाना और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है।
आइए, इन नए नियमों को विस्तार से समझते हैं:
1. नई टैक्स व्यवस्था में संशोधित स्लैब
नई टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट बनाए रखते हुए सरकार ने इसमें टैक्स स्लैब को और उदार बनाया है। ये बदलाव 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे और वित्तीय वर्ष 2025-26 की आय पर प्रभावी होंगे। संशोधित स्लैब इस प्रकार हैं:
- 0 से 4 लाख रुपये: कोई टैक्स नहीं
- 4 लाख से 8 लाख रुपये: 5%
- 8 लाख से 12 लाख रुपये: 10%
- 12 लाख से 16 लाख रुपये: 15%
- 16 लाख से 20 लाख रुपये: 20%
- 20 लाख से 24 लाख रुपये: 25%
- 24 लाख रुपये से ऊपर: 30%
इसके साथ ही, नई टैक्स रिजीम में छूट की सीमा को बढ़ाकर 12 लाख रुपये तक कर दिया गया है। यानी, 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए 75,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन को ध्यान में रखें, तो 12.75 लाख रुपये तक की आय टैक्स-मुक्त होगी। पुरानी टैक्स रिजीम में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन इसे चुनने के लिए करदाता को स्पष्ट रूप से ऑप्ट-इन करना होगा।
2. सेक्शन 87A के तहत बढ़ी छूट
नई टैक्स रिजीम में सेक्शन 87A के तहत रिबेट को 25,000 रुपये से बढ़ाकर 60,000 रुपये कर दिया गया है। इसका मतलब है कि 12 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को कोई टैक्स नहीं देना होगा। यह कदम मध्यम वर्ग को राहत देने और उनकी खर्च करने की क्षमता बढ़ाने के लिए उठाया गया है। हालांकि, यह रिबेट पुरानी टैक्स रिजीम में लागू नहीं होगी, जहां यह सीमा 12,500 रुपये ही रहेगी।
3. टीडीएस और टीसीएस में बदलाव
1 अप्रैल 2025 से स्रोत पर कर कटौती (TDS) और स्रोत पर कर संग्रह (TCS) के नियमों में भी संशोधन होंगे:
- वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज आय पर TDS: बैंकों से ब्याज आय पर TDS की सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी गई है। इससे बुजुर्गों को बड़ी राहत मिलेगी।
- सामान्य नागरिकों के लिए ब्याज आय: गैर-वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 40,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये होगी।
- किराए पर TDS: किराए पर TDS की सीमा 2.4 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये सालाना कर दी गई है।
- लॉटरी और अन्य जीत पर TDS: अब 10,000 रुपये की सीमा हटाकर हर भुगतान पर TDS लागू होगा, जिससे छोटी जीत पर भी टैक्स कटेगा।
- विदेशी प्रेषण पर TCS: लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत TCS की सीमा 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये होगी।
ये बदलाव छोटे करदाताओं को राहत देने के साथ-साथ अनुपालन को आसान बनाने के लिए हैं। हालांकि, कुछ मामलों में यह टैक्स बोझ बढ़ा सकता है।
4. स्टार्टअप्स और प्रॉपर्टी मालिकों के लिए राहत
- स्टार्टअप्स के लिए टैक्स छूट: 1 अप्रैल 2030 से पहले रजिस्टर्ड स्टार्टअप्स को सेक्शन 80-IAC के तहत 10 साल में से 3 साल तक 100% मुनाफे पर टैक्स छूट मिलेगी। यह नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देगा।
- दो मकानों पर छूट: अब करदाता दो घरों को स्व-उपयोग (Self-Occupied) घोषित कर सकते हैं, जिनका वार्षिक मूल्य शून्य माना जाएगा। पहले यह सीमा एक मकान तक थी।
5. अपडेटेड रिटर्न फाइल करने की समय सीमा
अब करदाता अपनी आयकर रिटर्न में सुधार के लिए 4 साल तक अपडेटेड रिटर्न (ITR-U) दाखिल कर सकेंगे, जो पहले 2 साल थी। यह कदम उन लोगों के लिए मददगार होगा जो गलती से कुछ जानकारी छोड़ देते हैं।
6. अन्य महत्वपूर्ण बदलाव
- यूलिप पर टैक्स: यदि यूलिप (Unit Linked Insurance Plan) का प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से अधिक है, तो उससे होने वाली आय को कैपिटल गेन्स माना जाएगा और टैक्स लगेगा।
- एनपीएस में योगदान: नियोक्ता द्वारा एनपीएस में योगदान पर छूट की सीमा 10% से बढ़ाकर 14% होगी, जिससे वेतनभोगियों को अतिरिक्त बचत का मौका मिलेगा।
- जीएसटी संशोधन: कुछ वस्तुओं जैसे नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों पर GST दर 5% होगी, जबकि लग्जरी सामानों पर 28% रहेगी। ऑनलाइन गेमिंग पर 18% और क्रिप्टोकरेंसी पर 28% GST लागू होगा।
इसका असर
- वेतनभोगी कर्मचारी: 12.75 लाख रुपये तक की आय टैक्स-मुक्त होने से मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिलेगी। स्टैंडर्ड डिडक्शन और एनपीएस छूट बढ़ने से बचत बढ़ेगी।
- वरिष्ठ नागरिक: ब्याज आय पर TDS सीमा बढ़ने से बुजुर्गों को फायदा होगा।
- निवेशक: म्यूचुअल फंड और स्टॉक डिविडेंड पर TDS सीमा 5,000 से 10,000 रुपये होने से छोटे निवेशकों को राहत मिलेगी।
- व्यवसायी: TDS/TCS नियमों में सरलीकरण से अनुपालन आसान होगा, लेकिन कुछ मामलों में बोझ बढ़ सकता है।
1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाले ये नए टैक्स नियम करदाताओं के लिए राहत और चुनौतियों का मिश्रण लेकर आएंगे। सरकार का लक्ष्य टैक्स सिस्टम को पारदर्शी और करदाता-अनुकूल बनाना है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि करदाता अपनी वित्तीय योजना को इन बदलावों के अनुसार अपडेट करें और जरूरत पड़ने पर टैक्स सलाहकार से संपर्क करें।