- 06/04/2025
1987 जैसी शेयर बाजार में आएगी तबाही! ट्रंप के टैरिफ से अमेरिकी विशेषज्ञ चिंतित


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में लागू किए गए व्यापक टैरिफ ने वैश्विक शेयर बाजारों में हलचल मचा दी है। इन टैरिफ के प्रभाव से डरते हुए एक प्रमुख अमेरिकी विशेषज्ञ ने चेतावनी दी है कि शेयर बाजार में 1987 के “ब्लैक मंडे” जैसी स्थिति फिर से उत्पन्न हो सकती है। उस ऐतिहासिक घटना में डाऊ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज ने एक ही दिन में 22.6% की गिरावट दर्ज की थी, जो अब तक की सबसे बड़ी एकदिवसीय गिरावट मानी जाती है।
सीएनबीसी के मशहूर होस्ट और बाजार विश्लेषक जिम क्रैमर ने कहा, “ट्रंप के ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ प्लान ने वैश्विक शेयर बाजारों को दो दिनों तक लगातार झटके दिए। अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो हम 1987 जैसी भयावह मंदी की ओर बढ़ सकते हैं।” क्रैमर की यह टिप्पणी तब आई है, जब 3 और 4 अप्रैल को डाऊ जोन्स में 2,231 अंकों की भारी गिरावट देखी गई। इस गिरावट का कारण टैरिफ से बढ़ती महंगाई और आर्थिक विकास में रुकावट की आशंका को बताया जा रहा है।
ट्रंप ने 2 अप्रैल को सभी आयातों पर 10% का आधारभूत टैरिफ लागू करने की घोषणा की थी, जिसमें चीन पर 34% और भारत पर 26% जैसे देश-विशिष्ट कड़े टैरिफ भी शामिल हैं। जवाब में, चीन ने शुक्रवार को अमेरिकी सामानों पर 34% अतिरिक्त शुल्क लगाने का ऐलान किया, जिससे वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका और गहरी हो गई है। जापान जैसे अमेरिका के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों ने भी इसे “राष्ट्रीय संकट” करार दिया है, जहां टोक्यो स्टॉक मार्केट अपने सबसे खराब सप्ताह की ओर बढ़ रहा है।
पिछले दो दिनों में एसएंडपी 500 कंपनियों के शेयर बाजार मूल्य से 5 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो चुका है। नैस्डैक 5.8% और एसएंडपी 500 5.97% नीचे गिरा, जबकि निवेशक सुरक्षित सरकारी बॉन्ड्स की ओर भाग रहे हैं।
क्रैमर ने चेतावनी दी कि अगर ट्रंप ने उन देशों के साथ बातचीत नहीं की, जिन्होंने अभी तक जवाबी टैरिफ नहीं लगाए हैं, तो स्थिति और बिगड़ सकती है। 1987 का ब्लैक मंडे बढ़ती ब्याज दरों, ऊंचे मूल्यांकन और स्वचालित ट्रेडिंग प्रोग्राम जैसे कारकों का परिणाम था। आज के संदर्भ में, विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के टैरिफ वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर धकेल सकते हैं। हालांकि, ट्रंप ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा, “अमेरिकियों को मजबूत बने रहना होगा। यह टैरिफ अमेरिकी निर्माताओं के लिए निष्पक्षता लाएंगे और अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगे।”
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि यह संकट अभी खत्म नहीं हुआ है। आने वाले दिनों में वैश्विक प्रतिक्रियाएं और आर्थिक आंकड़े इस तबाही की दिशा तय करेंगे। क्या इतिहास खुद को दोहराएगा? यह सवाल निवेशकों और अर्थशास्त्रियों के मन में बना हुआ है।