- 25/05/2025
मारे गए नक्सली बसवराजू और सज्जा वेंकट के शव के लिए याचिका, CG पुलिस को आंध्र हाईकोर्ट ने दिया निर्देश

आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में शनिवार, 24 मई 2025 को दो रिट याचिकाओं (13928 और 13929) पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए अपने रिश्तेदारों, सज्जा वेंकट नागेश्वर राव (उर्फ राजन्ना/येसम्मा/नवीन) और नंबाला केशव राव (उर्फ बसवराज) के शव अंतिम संस्कार के लिए सौंपने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने शव देने से इनकार किया और उन्हें वहां से भगा दिया।
याचिकाकर्ताओं का तर्क
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता मृतकों के रिश्तेदार हैं और छत्तीसगढ़ पुलिस ने शव सौंपने से मना कर दिया। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 226(2) का हवाला देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता आंध्र प्रदेश के निवासी हैं, इसलिए यह कोर्ट सुनवाई के लिए उपयुक्त है। वकील ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों, नवल किशोर शर्मा बनाम भारत सरकार (2014) और पीटी परमानंद कटारा बनाम भारत सरकार (1995) का उल्लेख करते हुए कोर्ट के अधिकार क्षेत्र का समर्थन किया। उन्होंने यह भी दावा किया कि आंध्र प्रदेश पुलिस ने याचिकाकर्ताओं को नजरबंद किया, जिससे वे छत्तीसगढ़ नहीं जा सके।
छत्तीसगढ़ और आंध्र सरकार की दलील
छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता ने वर्चुअल सुनवाई में कहा कि यह मामला छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के क्षेत्राधिकार में आता है। उन्होंने याचिकाकर्ताओं के दावों को आधारहीन बताते हुए कहा कि शव न लेने का कोई सबूत नहीं है। आंध्र प्रदेश के महाधिवक्ता ने भी यही तर्क दिया कि शव आंध्र प्रदेश में नहीं हैं, इसलिए यह कोर्ट निर्देश जारी नहीं कर सकता। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों, एल्केमिस्ट लिमिटेड बनाम स्टेट बैंक ऑफ सिक्किम (2007) और नवीनचंद्र एन. मजीठिया बनाम महाराष्ट्र सरकार (2000) का हवाला दिया। केंद्र सरकार की ओर से उप महान्यायवादी ने कहा कि इस मामले में सीआरपीएफ की कोई भूमिका नहीं है और शव सौंपने से छत्तीसगढ़ में कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है, क्योंकि अंतिम संस्कार के नाम पर जुलूस निकल सकता है।
कोर्ट का फैसला
न्यायमूर्ति हरिनाथ एन. और डॉ. वाई. लक्ष्मण राव की खंडपीठ ने क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के सवाल को दरकिनार करते हुए याचिकाओं का निपटारा कर दिया। कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता के बयान को दर्ज किया कि सभी शवों का पोस्टमार्टम 24 मई 2025 तक पूरा हो चुका है और इसके बाद शव रिश्तेदारों को सौंप दिए जाएंगे। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को छत्तीसगढ़ पुलिस से संपर्क कर शव लेने की सलाह दी और कहा कि अंतिम संस्कार शांतिपूर्ण हो, इसके लिए शर्तें लागू की जा सकती हैं। याचिकाओं को प्रवेश के स्तर पर ही निपटा दिया गया।
यह मामला छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में डीआरजी जवानों द्वारा चलाए गए ऑपरेशन से जुड़ा है, जिसमें 10 करोड़ के ईनामी माओवादी और सीपीआई माओवादी संगठन के महासचिव सज्जा वेंकट नागेश्वर राव और नंबाला केशव राव मारे गए। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वे अंतिम संस्कार के लिए शव लेना चाहते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ पुलिस ने सहयोग नहीं किया।