- 10/07/2025
शराब घोटाला: 22 आबकारी अधिकारियों पर गिरी गाज, सरकार ने किया निलंबित, 3200 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी का खुलासा

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 22 आबकारी अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। आबकारी विभाग ने इस संबंध में औपचारिक आदेश जारी कर दिए हैं। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने 7 जुलाई 2025 को रायपुर की विशेष अदालत में 29 आबकारी अधिकारियों के खिलाफ 2300 पन्नों का चतुर्थ पूरक चालान पेश किया था, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। नवीनतम जांच में घोटाले की राशि 3200 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान लगाया गया है।
EOW ने पेश किया चतुर्थ पूरक चालान
EOW ने इस मामले में चतुर्थ पूरक चालान 7 जुलाई को विशेष अदालत में पेश किया, जिसे 5 जुलाई को विशेष न्यायाधीश के अवकाश के कारण प्रस्तुत नहीं किया जा सका था। चालान में 29 आबकारी अधिकारियों पर अवैध शराब बिक्री और संगठित सिंडिकेट के साथ मिलीभगत के आरोप हैं। EOW ने इन अधिकारियों को समन जारी किया था, लेकिन गिरफ्तारी के डर से कोई भी कोर्ट में पेश नहीं हुआ। इसके बाद अदालत ने सभी 29 आरोपियों को 20 अगस्त तक पेश होने का नोटिस जारी किया है।
घोटाले में कवासी लखमा की भूमिका
जांच में सामने आया है कि पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के संरक्षण में इस घोटाले को अंजाम दिया गया। EOW के अनुसार, लखमा को इस घोटाले से 64 करोड़ रुपये की अवैध कमाई हुई, जिसमें से 18 करोड़ रुपये के निवेश और खर्च के दस्तावेजी साक्ष्य मिले हैं। घोटाले में प्राप्त राशि का उपयोग आरोपियों ने व्यक्तिगत और पारिवारिक हितों में किया।
60 लाख पेटी अवैध शराब की बिक्री
EOW की जांच में खुलासा हुआ है कि 2019 से 2023 के बीच बस्तर और सरगुजा संभाग को छोड़कर 15 बड़े जिलों में बी-पार्ट (बिना ड्यूटी चुकाई गई) शराब की अवैध बिक्री की गई। लगभग 60,50,950 पेटी अवैध शराब, जिसकी कीमत 2174 करोड़ रुपये अनुमानित है, को शासकीय दुकानों में वैध शराब के समानांतर बेचा गया। डिस्टलरियों से ट्रकों में लोडकर यह शराब आबकारी अधिकारियों की निगरानी में सीधे दुकानों तक पहुंचाई जाती थी। प्रति पेटी 600 रुपये तक का कमीशन सिंडिकेट को दिया जाता था।
13 आरोपियों की हो चुकी है गिरफ्तारी
इस मामले में अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें पूर्व IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा, अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी, पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, और कारोबारी विजय भाटिया शामिल हैं। FIR में कुल 70 लोग नामजद हैं, और जांच अभी भी जारी है।
निलंबित अधिकारियों के नाम
निलंबित 22 आबकारी अधिकारियों में जनार्दन कौरव (सहायक जिला आबकारी अधिकारी), अनिमेष नेताम (उपायुक्त आबकारी), विजय सेन शर्मा (उपायुक्त आबकारी), अरविंद कुमार पाटले (सहायक आयुक्त), प्रमोद कुमार नेताम, रामकृष्ण मिश्रा, विकास कुमार गोस्वामी, नवीन प्रताप सिंह तोमर, मंजुश्री कसेर, सौरभ बख्शी, दिनकर वासनिक, सोनल नेताम, प्रकाश पाल, अलेख राम सिदार, आशीष कोसम, राजेश जायसवाल, इकबाल खान (जिला आबकारी अधिकारी), नितिन खंडुजा, मोहित कुमार जायसवाल, गरीबपाल सिंह दर्दी, नीतू नोतानी ठाकुर, और नोहर सिंह ठाकुर शामिल हैं। सात अन्य अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, और एक की मृत्यु हो चुकी है।
EOW और भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो (ACB) की जांच में डुप्लीकेट होलोग्राम, नकली बिल, और कैश वसूली जैसे तथ्य सामने आए हैं। जांच एजेंसी का दावा है कि तकनीकी दस्तावेज, बैंक ट्रांजेक्शन, कॉल रिकॉर्ड्स, और गवाहों के बयानों के आधार पर पर्याप्त साक्ष्य एकत्र किए गए हैं। राज्य सरकार ने सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से निलंबन आदेश जारी किए, और आगामी सुनवाई में कोर्ट के फैसले पर सभी की नजरें टिकी हैं।