• 28/08/2025

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में EOW-ACB की बड़ी कार्रवाई, ओम साईं बेवरेज के निदेशक अतुल सिंह और मुकेश मनचंदा ट्रांजिट रिमांड पर, झारखंड से लाया जा रहा रायपुर

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में EOW-ACB की बड़ी कार्रवाई, ओम साईं बेवरेज के निदेशक अतुल सिंह और मुकेश मनचंदा ट्रांजिट रिमांड पर, झारखंड से लाया जा रहा रायपुर

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने एक और बड़ी कार्रवाई की है। झारखंड की जेल में बंद छत्तीसगढ़ की ओम साईं बेवरेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के दो निदेशकों, अतुल कुमार सिंह और मुकेश मनचंदा को EOW-ACB ने ट्रांजिट रिमांड पर लिया है। जांच एजेंसी की टीम दोनों आरोपियों को झारखंड से छत्तीसगढ़ लाने के लिए रवाना हो चुकी है। दोनों को शुक्रवार, 29 अगस्त 2025 को रायपुर की विशेष अदालत में पेश किया जाएगा।

शराब घोटाले में ओम साईं बेवरेज की भूमिका

EOW की जांच में सामने आया है कि ओम साईं बेवरेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी इस घोटाले में प्रमुख रूप से शामिल थी। कंपनी के निदेशक अतुल कुमार सिंह और मुकेश मनचंदा पर आरोप है कि उन्होंने नियमों का उल्लंघन कर शराब की आपूर्ति की और आबकारी अधिकारियों को कमीशन देकर अवैध लाभ कमाया। जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि कंपनी का असल लाभार्थी विजय कुमार भाटिया था, जिसने डमी डायरेक्टरों के जरिए लगभग 14 करोड़ रुपये का लाभ हासिल किया। कंपनी से होने वाले मुनाफे का 60% हिस्सा एक संगठित सिंडिकेट को जाता था, जिसमें से 52% हिस्सा भाटिया को मिलता था।

झारखंड में हुई थी गिरफ्तारी

अतुल सिंह और मुकेश मनचंदा को झारखंड शराब घोटाले के सिलसिले में 7 जुलाई 2025 को झारखंड की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने गिरफ्तार किया था। दोनों को रांची की विशेष ACB अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा भेज दिया गया था। 25 अगस्त को दोनों को ACB की विशेष अदालत ने सशर्त जमानत दे दी थी। हालांकि, छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में उनकी संलिप्तता के चलते EOW-ACB ने उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर लेने की कार्रवाई शुरू की।

छत्तीसगढ़ में जांच का दायरा बढ़ा

EOW ने हाल ही में रायपुर की विशेष अदालत में शराब घोटाले से जुड़ा छठा अभियोग पत्र दाखिल किया, जो विदेशी शराब की आपूर्ति पर अवैध कमीशन और सिंडिकेट की भूमिका पर आधारित है। जांच में सामने आया है कि इस घोटाले से राज्य सरकार को 248 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जबकि कुल घोटाले की राशि 3200 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है। इस मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा, रायपुर के पूर्व मेयर के भाई अनवर ढेबर और अन्य सहित 70 लोग आरोपी बनाए गए हैं।

सिंडिकेट का जाल और अवैध कमाई

EOW की जांच के अनुसार, शराब घोटाले में एक संगठित सिंडिकेट सक्रिय था, जिसमें आबकारी विभाग के अधिकारी, निजी कंपनियां और राजनीतिक संरक्षण प्राप्त लोग शामिल थे। 2020-21 में नई आबकारी नीति के तहत FL-10 A/B लाइसेंस व्यवस्था लागू की गई, जिसके जरिए निजी कंपनियों को विदेशी शराब की आपूर्ति का अधिकार दिया गया। इस व्यवस्था से सिंडिकेट ने 2174 करोड़ रुपये का अवैध लाभ कमाया, जिसमें से नेताओं और मंत्रियों को 1392 करोड़ रुपये, शराब डिस्टिलर्स को 358 करोड़ रुपये और आबकारी अधिकारियों को 90 करोड़ रुपये से अधिक की राशि दी गई।