- 29/08/2025
सिद्धारमैया के 1991 ‘वोट चोरी’ बयान से कांग्रेस पर उल्टा पड़ा दांव, बीजेपी ने बनाया हथियार

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के एक बयान ने कांग्रेस की ‘वोट चोरी’ के खिलाफ चल रही ‘वोटर अधिकार यात्रा’ को मुश्किल में डाल दिया है। सिद्धारमैया ने शुक्रवार को कहा कि 1991 के लोकसभा चुनाव में उन्हें ‘चुनावी धांधली’ के कारण हार का सामना करना पड़ा था। उस समय वह जनता दल (सेक्युलर) के उम्मीदवार थे और कांग्रेस के बसवराज पाटिल अनवारी के खिलाफ कोप्पल सीट से चुनाव लड़े थे। इस बयान ने बीजेपी को कांग्रेस पर हमला करने का मौका दे दिया है, क्योंकि 1991 में सिद्धारमैया ने कांग्रेस पर ही ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाया था, जिसके साथ वह अब बिहार में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में शामिल हैं।
सिद्धारमैया का बयान और विवाद
कर्नाटक के पूर्व एडवोकेट जनरल रवि वर्मा कुमार के सम्मान समारोह में सिद्धारमैया ने कहा, “मैंने 1991 का लोकसभा चुनाव लड़ा था और फ्रॉड के कारण हार गया था। तब रवि वर्मा कुमार ने मेरी मदद की थी। उन्होंने बिना कोई फीस लिए मेरा केस लड़ा।” सिद्धारमैया ने 1991 में कोप्पल लोकसभा सीट से जनता दल (सेक्युलर) के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस के बसवराज पाटिल अनवारी ने उन्हें 11,197 वोटों से हरा दिया था। पाटिल को 2.41 लाख वोट मिले थे, जबकि सिद्धारमैया को 2.30 लाख वोट मिले थे।
सिद्धारमैया ने तब हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनाव आयोग द्वारा 22,243 वोटों को अवैध घोषित करने पर सवाल उठाया था। उनका दावा था कि यदि ये वोट गिने जाते, तो वह बड़े अंतर से जीत जाते। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि बसवराज पाटिल की उम्मीदवारी अवैध थी, क्योंकि उन्हें लोकसभा स्पीकर ने दलबदल के कारण अयोग्य घोषित किया था, जिसके चलते उनकी उम्मीदवारी स्थायी रूप से अमान्य होनी चाहिए थी।
बीजेपी का पलटवार
सिद्धारमैया के इस बयान को बीजेपी ने तुरंत भुनाया और कांग्रेस की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ को ‘पाखंड’ करार दिया। बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने X पर लिखा, “यह कितनी बड़ी विडंबना है कि सिद्धारमैया बिहार में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में उसी कांग्रेस के साथ मार्च कर रहे हैं, जिस पर उन्होंने 1991 में कोप्पल लोकसभा चुनाव में ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाया था। तब वह बैलेट पेपर से हारे थे, और आज राहुल गांधी ‘चुनावी धांधली’ का शोर मचा रहे हैं, क्योंकि जनता ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया। यह रैली लोकतंत्र की बात नहीं, बल्कि एक परिवार के खोए हुए रसूख को बचाने की कोशिश है।”
कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर. अशोक ने भी तंज कसते हुए कहा, “सिद्धारमैया ने खुद स्वीकार किया कि 1991 में कांग्रेस ने उन्हें धोखे से हराया। अगर देश में ‘वोट चोरी’ का कोई सच्चा पैरोकार है, तो वह कांग्रेस और नेहरू-गांधी परिवार है। राहुल गांधी का ‘वोट चोरी’ का आरोप भूत के भगवद्गीता पढ़ने जैसा है।”
कांग्रेस की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ और आरोप
कांग्रेस, राहुल गांधी और महागठबंधन के नेतृत्व में बिहार में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ चला रही है, जिसमें वह विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत 65 लाख मतदाताओं के नाम कटने को ‘वोट चोरी’ बता रही है। राहुल गांधी ने कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 2024 लोकसभा चुनाव में 1,00,250 ‘फर्जी वोट’ डाले जाने का आरोप लगाया, जिसमें डुप्लिकेट वोटर, फर्जी पते और नए मतदाताओं के लिए फॉर्म 6 का दुरुपयोग शामिल है।
सिद्धारमैया ने राहुल के आरोपों का समर्थन करते हुए कहा, “राहुल गांधी ने जो सबूत पेश किए, वे सही हैं। बीजेपी ने चुनाव आयोग के दुरुपयोग से कर्नाटक में लोकसभा सीटें चुराईं।” उन्होंने पीएम मोदी से इस्तीफे की मांग की और कहा कि उनके पास सत्ता में रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
कांग्रेस की मुश्किलें और बीजेपी का हमला
सिद्धारमैया का 1991 का बयान कांग्रेस के लिए उल्टा पड़ गया है। बीजेपी ने इसे सबूत के तौर पर पेश करते हुए कहा कि कांग्रेस स्वयं ‘वोट चोरी’ में माहिर रही है। मालवीय ने यह भी तंज कसा कि राहुल गांधी बैलेट पेपर की वकालत करते हैं, जबकि सिद्धारमैया ने खुद बैलेट पेपर के दौर में धांधली का शिकार होने की बात कही।
इसके अलावा, बीजेपी ने पूर्व कांग्रेस नेता सी.एम. इब्राहिम के उस बयान को भी उठाया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि 2018 के बडामी विधानसभा चुनाव में सिद्धारमैया की जीत के लिए 3,000 वोट खरीदे गए थे। बीजेपी ने इसकी जांच की मांग की है।
सियासी निहितार्थ
बिहार में नवंबर 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और महागठबंधन की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ को यह बयान कमजोर कर सकता है। बीजेपी इस मुद्दे को ‘कांग्रेस की दोहरी नीति’ के रूप में प्रचारित कर रही है। दूसरी ओर, कांग्रेस का दावा है कि सिद्धारमैया का बयान 30 साल पुरानी घटना से संबंधित है और इसका मौजूदा संदर्भ से कोई लेना-देना नहीं है।
कर्नाटक के शिवाजीनगर विधायक रिजवान अरशद ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा, “बीजेपी 30 साल पुरानी बात को अनावश्यक रूप से उठा रही है। सिद्धारमैया उस समय जनता दल के विधायक थे। आज चुनाव आयोग बीजेपी के नियंत्रण में है।”
सिद्धारमैया के बयान ने कांग्रेस की ‘वोट चोरी’ की मुहिम को कमजोर किया है और बीजेपी को हमलावर होने का मौका दिया है। बिहार और कर्नाटक में चुनावी माहौल गरमाने के साथ यह विवाद दोनों दलों की रणनीति को प्रभावित कर सकता है। सिद्धारमैया के बयान ने जहां कांग्रेस की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं, वहीं बीजेपी इसे ‘कांग्रेस की पाखंडी राजनीति’ के रूप में पेश कर रही है।