- 31/08/2025
‘ड्रैगन और हाथी का एक साथ आना जरूरी’, PM मोदी से मुलाकात पर शी जिनपिंग का ट्रंप को सीधा मैसेज, जानें 55 मिनट की मीटिंग में क्या-क्या बातें हुई

चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मुलाकात की। यह बैठक लगभग 55 मिनट तक चली, जिसमें दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों, सीमा शांति, और आपसी सहयोग जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। दोनों नेताओं की यह मुलाकात 2024 में रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद दूसरी मुलाकात थी। एससीओ शिखर सम्मेलन 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चलेगा।
मुलाकात में क्या हुई बात?
पीएम मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ चर्चा में पिछले साल कजान में हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि उसने भारत-चीन संबंधों को सकारात्मक दिशा दी। उन्होंने बताया कि सीमा पर सैनिकों की वापसी के बाद शांति और स्थिरता का माहौल बना है। सीमा प्रबंधन पर विशेष प्रतिनिधियों के बीच समझौता हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हो गई है। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें भी जल्द शुरू होने वाली हैं।
आपसी सहयोग पर जोर
पीएम मोदी ने कहा कि भारत और चीन के सहयोग से 2.8 अरब लोगों के हित जुड़े हैं, जो पूरी मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर संबंधों को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई। जवाब में, शी जिनपिंग ने कहा कि दोनों देश आपसी सहयोग के लिए तैयार हैं और भविष्य में मिलकर काम करेंगे। उन्होंने वैश्विक परिवर्तनों के दौर में भारत और चीन के एक साथ आने की जरूरत पर बल दिया।
“ड्रैगन और हाथी का एक साथ आना जरूरी”
शी जिनपिंग ने कहा कि भारत और चीन दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश हैं। दोनों देशों का दोस्त और अच्छा पड़ोसी बनना जरूरी है। उन्होंने इसे “ड्रैगन और हाथी का एक साथ आना” करार देते हुए सहयोग की इच्छा जताई।
आभार और बधाई
पीएम मोदी ने एससीओ की सफल अध्यक्षता के लिए शी जिनपिंग को बधाई दी और तियानजिन आने के निमंत्रण व इस मुलाकात के लिए उनका आभार जताया। वहीं, शी जिनपिंग ने पीएम मोदी से मिलने पर खुशी जाहिर की और कहा कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में दोनों देशों का एकजुट होना जरूरी है।
यह मुलाकात भारत-चीन संबंधों में एक नई गति लाने और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।