- 15/09/2025
चैतन्य बघेल पर अब EOW-ACB भी कसेगा शिकंजा, मांगी 7 दिन की रिमांड, ED ने कोर्ट में पेश किया 7 हजार पन्नों का चालान

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल के खिलाफ रायपुर की विशेष PMLA कोर्ट में 7 हजार से अधिक पन्नों का विस्तृत चालान (चार्जशीट) पेश कर दिया है। ED के अधिकारी चार बंडलों में दस्तावेज लेकर कोर्ट पहुंचे, जिसमें शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का पूरा विवरण शामिल है। ED का दावा है कि चैतन्य को घोटाले से 16.70 करोड़ रुपये की अवैध कमाई मिली, जिसे रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में निवेश किया गया। इस बीच, आर्थिक अपराध शाखा (EOW-ACB) ने चैतन्य की 7 दिनों की रिमांड मांगी है, लेकिन कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। सुनवाई मंगलवार को फिर होगी।
चैतन्य बघेल 18 जुलाई 2025 को ED ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया था, तब से वे रायपुर जेल में बंद हैं। उनकी कस्टोडियल रिमांड खत्म होने पर जेल अधिकारियों ने उन्हें कोर्ट में पेश किया। हाईकोर्ट में चैतन्य की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई अधूरी रह गई, जो 19 सितंबर को होगी। जस्टिस अरविंद वर्मा की सिंगल बेंच में यह मामला आया था। ED का कहना है कि चैतन्य ने सिंडिकेट के साथ मिलकर 1000 करोड़ रुपये की हेराफेरी की, जिसमें ब्लैक मनी को व्हाइट करने के लिए फर्जी निवेश दिखाए गए।
चैतन्य को 16.70 करोड़ की अवैध कमाई, रियल एस्टेट में निवेश- ED का दावा
ED की जांच में सामने आया कि शराब घोटाले की रकम से चैतन्य बघेल को 16.70 करोड़ रुपये मिले। इनमें से ज्यादातर पैसे उनके विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट (बघेल डेवलपर्स) में लगाए गए। ED ने प्रोजेक्ट से जुड़े अकाउंटेंट के ठिकानों पर छापेमारी कर रिकॉर्ड जब्त किए। कंसल्टेंट राजेंद्र जैन के अनुसार, प्रोजेक्ट का वास्तविक खर्च 13-15 करोड़ था, लेकिन रिकॉर्ड में केवल 7.14 करोड़ दिखाया गया। जब्त डिजिटल डिवाइसेस से पता चला कि एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ कैश पेमेंट किया गया, जो दस्तावेजों में दर्ज नहीं है।
ED ने फर्जी फ्लैट खरीद के जरिए पैसे की हेराफेरी का भी खुलासा किया। आरोपी त्रिलोक सिंह ढिल्लो ने 19 फ्लैट खरीदने के लिए बघेल डेवलपर्स को 5 करोड़ ट्रांसफर किए, जो उसके कर्मचारियों के नाम पर खरीदे गए। कर्मचारियों ने पूछताछ में बताया कि पेमेंट ढिल्लो ने खुद किया, और यह 19 अक्टूबर 2020 को एक ही दिन हुआ। ED का कहना है कि यह पूर्व-योजना के तहत ब्लैक मनी को चैतन्य तक पहुंचाने का तरीका था।
इसके अलावा, भिलाई के एक ज्वेलर्स ने चैतन्य की दो कंपनियों को 5 करोड़ का लोन दिया, लेकिन बाद में उसी ज्वेलर्स ने 80 लाख के 6 प्लॉट खरीदे। ED ने इसे शराब घोटाले से आए कैश को बैंक ट्रांसफर से लीगल दिखाने की साजिश बताया। चैतन्य ने फ्रंट कंपनियों का इस्तेमाल कर पैसे छिपाए, जैसे ढिल्लन सिटी मॉल से पैसे लेकर ढिल्लन ड्रिंक्स के जरिए बघेल डेवलपर्स तक पहुंचाए।
ED कैसे पहुंची चैतन्य तक? पप्पू बंसल के बयान से खुलासा
ED के वकील सौरभ पांडेय ने बताया कि शराब घोटाले की जांच में पप्पू बंसल के बयान से चैतन्य का नाम सामने आया। बंसल ने खुलासा किया कि लिकर स्कैम का पैसा अनवर ढेबर के जरिए दीपेंद्र चावड़ा, फिर केके श्रीवास्तव और कांग्रेस कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल के माध्यम से चैतन्य तक पहुंचाया जाता था। अनवर ढेबर से मोबाइल चैट और रिकॉर्डिंग बरामद हुईं, जो सिंडिकेट के कनेक्शन को साबित करती हैं। ED ने कहा कि चैतन्य ने 1000 करोड़ के लेनदेन में लेयरिंग की।
बचाव पक्ष का दावा: राजनीतिक साजिश, कोई समन नहीं दिया गया
चैतन्य के वकील फैजल रिजवी ने कहा कि गिरफ्तारी पप्पू बंसल के बयान पर आधारित है, जो गैर-जमानती वारंट के बावजूद फरार है। 2022 से जांच चल रही है, लेकिन चैतन्य को एक भी समन नहीं दिया गया। मार्च 2025 में ED ने उनके घर पर रेड की और डिजिटल डिवाइसेस जब्त कीं, लेकिन सभी मांगे दस्तावेज दिए गए। वकील ने आरोप लगाया कि ED ने जांच में सहयोग किया, लेकिन बयान लिए बिना गिरफ्तार कर लिया। यह पूर्व CM के बेटे होने की सजा है, राजनीतिक vendetta का मामला है।
क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला? 3200 करोड़ का काला कारोबार
ED की FIR के अनुसार, 2019-2022 के बीच भूपेश बघेल सरकार में IAS अनिल टुटेजा, आबकारी MD एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट ने 3200 करोड़ का घोटाला किया। इसमें राजनेता, अधिकारी और कारोबारी शामिल थे। EOW ने 7 जुलाई 2025 को 29 आबकारी अधिकारियों के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की। घोटाला A, B और C कैटेगरी में बंटा था:
A कैटेगरी: डिस्टलरी संचालकों से कमीशन – 2019 में प्रति पेटी 75 रुपये, बाद में 100 रुपये कमीशन लिया। शराब की कीमतें बढ़ाकर और ओवर बिलिंग से नुकसान बचाया।
B कैटेगरी: नकली होलोग्राम वाली शराब की बिक्री – डिस्टलरी मालिकों से ज्यादा शराब बनवाई, नकली होलोग्राम लगाकर सरकारी दुकानों में बेची। एपी त्रिपाठी ने होलोग्राम सप्लायर विधु गुप्ता को तैयार किया। खाली बोतलें अरविंद सिंह और अमित सिंह पहुंचाते थे। 15 जिलों में बिना शुल्क बेची गई, एमआरपी 2880 से बढ़ाकर 3840 रुपये प्रति पेटी। डिस्टलरी को 560-600 रुपये प्रति पेटी। ACB को मिले साक्ष्य से 40 लाख पेटी बिकी।
C कैटेगरी: अन्य तरीकों से हेराफेरी, जैसे लाइसेंस मैनिपुलेशन और ऑफ-द-बुक्स सेल्स। CSMCL के जरिए डिस्टलरों से रिश्वत ली गई। ED ने 22 अधिकारियों को सस्पेंड करवाया।
यह घोटाला राज्य को 2161 करोड़ (ED के अनुसार) से 3200 करोड़ (EOW) का नुकसान पहुंचाया। EOW-ACB अब चैतन्य से पूछताछ करेगी।